लचकती सब्जी और पतला भात-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं उत्तर प्रदेश
Lachkati Sabji or Patla Bhaat

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

लचकती सब्जी और पतला भात-दो भाई बूढ़ा-बूढ़ी के घर सहभागिता निभाने चले गए थे। उन्होंने सोचा था कि उन्हें दोपहर और सांय बढ़िया स्वादु भोजन खाने को मिलेगा। इस कारण उन्होंने मन लगाकर उनका काम किया था। दोपहर को तो उन्हें उनका मन भावन खाना नहीं मिला। उन्होने थोड़ा-थोड़ा खाना ही खाया था। उन दोनों भाइयों ने सोचा कि शाम को तो उन्हें अवश्य बढिया-बढिया खाने को मिलेगा। ऐसे भी लोग सहभागियों के लिए बढ़िया स्वादु खाने के लिए बनाते हैं। किन्तु सांय उन बूढ़े-बुढ़िया ने लिच-लिची सब्जी और पतला भात बनाया था। थके हारे दोनों भाइयों से शाम को भी खाना न खाया गया। वे जब घर के लिए लौटे तो उन्हें बड़े जोर की भूख लगी थी। परन्तु घर में उनसे बोला न गया कि वे दोनों भूखे हैं। चूल्हे के पास बैठी उनकी मां ने पूछ ही लिया- “जवानों सहभागिता के लिए तो लोग अच्छा-अच्छा खाने को बनाते हैं। उन सयाने-सयानी ने स्वादु-स्वादु बनाया होगा। तुम्हारा तो आज मजा लग गया होगा। क्या-क्या बनाया था?”

“लचकती-लचकती सब्जी और पतला-पतला भात बनाया था अम्मा।” दोनों से रोस में एक साथ हे बोला गया।

“हाय रे मेरे बेटों!” दु:ख और हैरानी के साथ अम्मा देखती रह गई थी।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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