Hindi Short Story:” अम्मा एक जगह क्यों नहीं बैठ जातीं …हम सबको हलकान किए दे रही हो..! संगीता अपनी सास पर खीज रही थी।
सचमुच बुढ़ा बसपा कष्टकर होता है। स्वयं के लिए भी और संभालने वालों के लिए भी। पर दोनों ही मजबूर हैं । संगीता की बड़बड़ जारी थी कि उसकी नवविवाहिता बहू काम्या कमरे में आई-” क्या हुआ मां..?
कुछ नहीं बेटा ये अम्मा जब तक जीवित हैं ,चैन नहीं देने देंगी।कुछ ना कुछ कुटुर-कुटुर करती रहती हैं। क्या बताऊं..? तु आराम कर… तुझे समझ नहीं आएगा।
” ऐसा नहीं है मां.. वह अपेक्षाकृत गंभीर स्वर में बोली -मैं कुछ करूं..?
संगीता ने आश्चर्य में भरकर देखा। फैली आंखों में संदेह के साथ भाव थे ये कल की छोरी…!
प्रत्यक्ष में वह बोली- तुम क्या करोगी…?
मैं अभी आई.. कहकर वह कमरे से निकल गई।
दस मिनट बाद अम्मा काम्या के साथ बरामदे में बैठी धनिया- पुदीना सुधारकर एक एक पत्ती नफासत से थाली में रख रही थीं।एक और कचरा था दूसरी और पत्तियां।
संगीता समझ गई थी कि कल की छोरी ने बीते कल की नब्ज़ पकड़कर उपचार शुरू कर दिया था।
धनिया पुदीना की महक पूरे घर में फैल गई थी।
कल की छोरी-गृहलक्ष्मी की कहानियां
