मलाई वाला दही-हाय मैं शर्म से लाल हुई
Malai Wala Dahi

Funny Story in Hindi: आज जब फुर्सत के कुछ पल पाकर मै अपनी अलमारी संगवा रही थी, तो उसमें एल्बम मिलने पर कुछ बचपन की फोटो देखने बैठ गई, फोटो देखने क्या बैठी कि वक्त का पता ही ना चला । ऐसे ही एक तस्वीर उन सुनहरी यादों को ताजा कर रही थी, उस आनंद भरे बचपन की कहानी वह तस्वीर बयान कर रही थी। जिस आंनद  का शायद आज के बच्चों को पता ही नहीं चलता ।

बात उन दिनों की है जब गर्मियों की छुट्टियां थी, सभी बच्चे मौज मस्ती में दिन काट रहे थे ।सुबह पूरी बच्चा पार्टी  मस्त ठंडाई और कचौड़ी या कुछ भी जायकेदार नाश्ता करती, फिर  पूरी दोपहरी कैरम, लूडो, ताश खेला जाता, हो सका तो कुछ जरूरी काम भी करते, नहीं तो बस वह बचपन था जो मस्ती में जिया जा रहा था ।

उस समय हमारे बड़े बातों ही बातों में बच्चों को कुछ सबक सिखाते रहते थे ।हमारी छोटी सबकी लाड़ली बुआ घर आई हुई थी और उनके दोनों बेटे भी घर आए थे । उन दिनों फोटो खींचने के लिए खास कैमरे परिवार  में कुछ लोगों के पास ही हुआ करते थे।

फिर फोटो आने पर एक एक फोटो की तीन चार कापियां करा ली जाती थी। बुआ के छोटे बेटे अनुज भैया को भी फोटो खींचने का बहुत शौक था। वह जब तब एक दो फोटो खींचते रहते थे। उस दिन बुआजी को लेने फूफा जी आने वाले थे , तो मां ने कहा जा गुड़िया भूपसिंह हलवाई से आधा किलो दही ले आ,और कहना मलाई वाला दही दें। पर यह क्या मां तो खुद भूल गई की गुड़िया को दही लाने भेजा है गुड़िया तो दही की चट्टू है, दही देखा नहीं की बस उसकी दही की मांग शुरू । पर मैं भी उस समय बिना ना नुकर करे दही लेने चल दी ,क्योंकि जब तक दही नहीं लाती तो मां खेलने भी नहीं देती।

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 बस मैं सभी बच्चों से यह कहकर कि अभी 10 मिनट में आई भाग कर भूपसिंह चाचा की दुकान पर पहुंच गई, दही लिया पर जैसे ही भूपसिंह चाचा ने दही पर गाढ़ा गाढ़ा मलाई वाला दही ऊपर से डाला तो मेरा मन उसे चखने को कर आया ।

फिर मैंने सोचा मां को कौन सा पता चलेगा , थोड़ा सा दही यदि  चख भी लूं तो। बस फिर क्या था मैंने थोड़ा सा दही ऊपर से चख लिया, और यह क्या एक बार चखा तो फिर दूसरी बार, फिर तीसरी बार ,तीन चार बार दही मै खाती गई, पर मुझे यह पता नहीं था कि पास वाले घर में ही छोटी ताई जी रहती है जो उस समय खिड़की से मुझे देख रही थी, और उन्हीं के पास अनुज भैया भी बैठे थे, उन्होंने दही खाते खाते मेरी फोटो ले ली थी ।

मैंने घर आकर मां को दही पकड़ा दिया और खेलने जाने लगी,तभी पीछे-पीछे ताई जी और भैया ने आकर मेरा सारा भांडा फोड़ दिया। मां ने जोर से मेरा कान खींचा कि तभी एक और फोटो अनुज भइया ने मेरी और मां की खींच ली। ताई जी ने मां को अपनी साड़ी के पल्लू से दूसरा दही का दोना दिया और कहा मेरा वाला दही का दोना गुड़िया को ही दे दिया जाए। मैं तो बहुत खुश हो गई।

तब ताई जी ने मेरे गाल पर हल्की सी प्यार से चपत लगाते हुए कहा आगे से ऐसा ना करना, खाना हो तो मां से कह कर ले आना । घर में सभी छोटे-बड़े मुझ पर हंस रहे थे और मैं दही का दोना पकड़े पकड़े शर्म से लाल हो गई जो आज भी इस तस्वीर में साफ दिखाई देता है।