Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: कार के डोर हेन्ज पर ब्रीजर की कैप फंसाकर उस पर मुक्का मारते हुए, बॉटल खोली और उसकी ओर बढ़ाया। उसने ज़रा हैरत से अनूठे बॉटल ओपनर और मुझे देखा।

“यह सारे हुनर, तजुर्बों की देन है डार्लिंग!” मैंने आँख मारते हुए कहा।

“हाँ वह तो पता है, बहुत तजुर्बेदार हो तुम तो। कितनी लड़कियों को डेट कर चुके हो? गिनती थोड़ी ना याद होगी?” यह उसने पहले भी कहा था। उसे उन हिसाबों की फ़िक्र में देख, मुझे खीज होती है।

“हा…हा…हा…तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है उससे। तुम्हें तो अच्छा है जो बेवकूफ़ियाँ मैंने दूसरों के साथ की हैं, तुम्हें कम झेलनी पड़ेगीं। और…क़ाबिल, हुनरमंद आशिक़ तुम्हारे नाज-नख़रे उठाये, इससे बेहतर और क्या?”

“बताओ तो…” उसने ज़ोर तो दिया, हालाँकि वह सीधे जवाब की नाउम्मीदी में ही होगी।

“डियर! मैं इस धरती पर कोई ख़ुशियाँ गिनने थोड़ी ना आया हूँ…हा…हा…हा…” मैंने बात मज़ाक में उड़ा देनी चाही।

“दुष्ट कहीं के, मैं भी छोड़ दूँ ख़ुशियाँ गिनना…?” वैसे मुझे उसके बदले से डर लगता है, लेकिन यह भी जानता हूँ यह कोई बदला लेने की बात तो हो नहीं सकती; और अतीत की किसी बात का बदला अब कैसे लिया जा सकता है? मोहतरमा के आने बाद कभी किसी को पूरी नज़र देखा तक नहीं; इसका बदला लिया जाना चाहिए।

“बिल्कुल छोड़ सकती हो। तुम्हारी आज़ादी है वह तो…” वैसे चाह ही ले वह, तो कौन रोक सकेगा।

“इसे आज़ादी नहीं ठरकीपना कहते हैं माई डियर।” उसने मुँह बिचकाया।

“मैंने तुम्हारे साथ क्या ठरक कर दी भाई!” ड्राइव करते हुए ही मैंने उसकी जाँघों पर चुटकी काटी जिससे वह सीट पर ही उछल पड़ी और मेरे हाथ पर ज़ोरदार थप्पड़ रसीद किया।

“यही…और क्या…” दर्द से सिसयाते हुए वह अपनी जाँघें सहला रही थी। एकाएक पलटवार करते हुए उसने दाँत भींचे और मेरी बाँह पर अपने नाखूनों से निशान बना डाला।

एक मिनट दर्द से बिलबिला उठने के बाद खाली सड़क का फ़ायदा उठाते हुए उसे अपनी ओर खींचा और उसकी गाल पर इतनी ही ज़ोर से काटा की निशान न पड़े। “दुष्ट दरींदे।” उसने कहा ज़रूर, पर ख़ुद को छुड़ाने की उसकी बेमन की ज़ोर आज़माइश और लाज ने आज की तारीख़ भी यादगार बना दी।