हैप्पी बर्थडे-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Happy Birthday

Hindi Kahani: आज शुभा की सात वर्षीय जुड़वां बेटियों श्रेया और श्रेष्ठा का बर्थडे था . शुभा उन्हें प्यार से चिनी मिनी बुलाती है. सुबह जल्दी उठकर उसने अच्छा सा लंच पैक करके बच्चों को स्कूल के लिए रवाना किया और
साथ में बाँटने के टाफियॉं लिए दी . अपने पति शलभ को आफिस भेज कर शुभा शाम की बर्थडे पार्टी की तैयारी में लग गई. शुभा ने गौरी के साथ मिलकर ढेर सारे व्यंजन बच्चों की पसंद के बना लिए . चाऊमीन, बर्गर ,पेटिस , दहीं बड़े, साथ में छोले भटूरे की भी तैयारी
कर ली , गाजर का हलवा तो एक दिन पहले ही बना कर
लिया था . क्योंकि कुछ उसके और शलभ के रिश्तेदार एवं कुछ दोस्त भी तो आयेंगे. केक और चिप्स तो बाज़ार से ही आयेंगे .
गौरी के साथ मिलकर उसने घर भी सजा लिया था . गौरी 12-13 साल की एक किशोरी जिसको
शुभा अपने मायके से अपनी सहायता के लिए ले लाई थी. गौरी की मॉं रज़्ज़ो शुभा के मायके में काम करती है. दो साल पहले शुभा पटना गई थी तब चिनी मिनी के साथ रज्जो की बेटी गौरी भी बच्चियों के साथ खूब घुल मिल गई थी . इधर शुभा को अकेले बच्चियों के साथ घर
के काम काज में भी दिक़्क़त आती थी सो उसने रज्जो से
पूछा “ क्या वो गौरी को अपने साथ दिल्ली ले जाए . “उसे सब सुविधा देगी और साथ में पढ़ायेंगी भी
. रज्जो को
भला क्या एतराज़ होता उसने ख़ुशी ख़ुशी गौरी को ले जाने की हामी भर दी.आख़िर एक लड़के की आस में रज्जो को चार लड़कियाँ हो गई थी. तब जाकर एक लड़के का मुँह देख पाई थी . गौरी तीसरे नंबर की थी. शाम को ख़ूब धमाकेदार पार्टी हुई . बच्चों ने खूब गेम खेले , खूब मस्ती की . सब को विदा करते करते रात के नौ बज गये . शलभ ने कहा “ शुभा, अब तुम भी आराम करो, सुबह से लगी हो . कल शनिवार है छुट्टी है तो बाक़ी काम सुबह हो जाएगा . वो तो ठीक है शलभ, बस थोड़ा किचन समेट कर आती हूँ. तभी वहाँ चिनी मिनी आई “मम्मी
अब हम लोग अपने अपने गिफ़्ट खोल ले . बेटा पहले
आप लोग अपने हाथ मुँह धो लो ब्रुश करो ,नाइट सूट पहनो फिर आराम से अपने गिफ़्ट खोल लो . मम्मी यू आर सो स्वीट . बस हम अभी तैयार होते हैं. गौरी दी, जल्दी आओ न हम लोग पॉंच मिनट में गिफ़्ट खोल रहे
हैं.

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गौरी जो किचन में बर्तन समेट रही थी आकर बोली “ चिनी बेबी, मिनी बेबी आप लोग अपने गिफ़्ट देखो मेरा थोड़ा काम बाक़ी है. गौरी चल में तेरे साथ काम करा देती हूँ. तुम भी जाकर आराम करो. कल सुबह बाक़ी काम हो जाएगा. अभी तो ठंड भी बढ़ रही है.
चिनी मिनी भी तुम्हारा इंतज़ार कर रही हैं. थोड़ी देर बाद
गौरी चिनी मिनी के कमरे में थी. गौरी भी चिनी मिनी के
कमरे में सोती थी. दोनों बहनें मिले उपहार खोलती जाती और मनपसंद खिलौने और बुकस पाकर खुश हो जाती
चिनी मिनी की बुआ उनके लिए बोलने वाली गुड़िया लाई थी. जिसे देख देख कर तीनों खूब खुश हो
रहे थे. चिनी बोली मिनी बर्थडे में कितना मजा आता है
मनपसंद कपड़े खिलौने बुकस मिलती है. हॉं चिनी इस दिन तो सब लोग हमें प्यार भी खूब करते हैं .
मिनी ये तो जनवरी है न ! दिसम्बर में पापा का बर्थडे था. जनवरी में हमारा और मार्च में मम्मी
का. कितना मजा आता है न बर्थडे में केक काटो ,मोम बती बुझाओ – पार्टी करो , खूब धमाल करो है न गौरी दी.गौरी चुप और उदास बैठी थी. गौरी दी तुम्हें अच्छा नहीं लगता है. चुप क्यों हो . नहीं तो , अच्छा क्यों नहीं
लगता है. मैं तो आप लोगों की बात सुन रही हूँ.
इतने में चिनी ने चहुँक कर पूछा
गौरी दी गौरी दी आपका बर्थडे कब आता है . हमारा हैप्पी बर्थडे नहीं आता है. अरे ऐसे कैसे हो सकता है. बर्थडे तो सबका आता है जिस दिन वो पैदा होता है उसी दिन उसका बर्थडे होता है जैसे हमारा 5 जनवरी. इसी दिन हमारा बर्थडे मनाया जाता है .
पर हमारे यहाँ लड़कियों का
बर्थडे नहीं मनाते . बस जब से हमारा भाई हुआ है उसका ही बर्थडे अम्मा बाबू मनाते हैं. गौरी ने धीरे से कहा . कैसे
मनाते हैं ? आप लोग की तरह थोडे ही कि घर सजाओ ,
इतना सुंदर केक काटो , पकवान बनाओ सब को बुलाओ , खूब धमाल मचाओ. ये बर्थडे तो बहुत अच्छा
होता है. हमारे यहाँ तो मॉं भाई को नहला धुला के अच्छे
कपड़े पहना देती है. रोली का टीका भाई के माथे लगा
देती है. भगवान के आगे दिया बती कर देती है और भगवान को हलुआ भोग लगा कर भाई को खाने को देती है.
मिनी बोली – हाय ये भी कितना अच्छा तरीक़ा है बर्थडे मनाने का. तुम लोग भी तो फिर हलुआ
खाती होगी . नहीं मिनी बेबी, हलुआ तो सिर्फ़ भाई के लिए ही बनता है. ये कहते कहते गौरी का गला भर आया .
चिनी मिनी की समझ में नहीं आया कि क्या
बोले—कुछ सोच कर चिनी बोली अच्छा गौरी दी, ये तो आपको पता होगा कि आपका जन्म किस साल किस
तारीख़ को हुआ था . नहीं…….. हॉं अम्मा बताती हैं कि
जिस दिन झंडा फहराते हैं न उस दिन मैं पैदा हुई थी और
उस दिन बहुत ठंड थी . अच्छा 15 अगस्त- मिनी बोली 15 अगस्त को क्या ठंड होती है मिनी वो 26 जनवरी होगी . चिनी ने मिनी की बात को सुधारा . हॉं ……हॉं
26 जनवरी ये ही मॉं बताती है. पर हम लोगों का क्या
बर्थडे …………. ! कह कर गौरी ने एक लम्बी सॉंस सी .
चले अब सो जाएं . फिर तीनों चुपचाप सो गईं .
दूसरे दिन चिनी मिनी ने सारी बातें
शुभा और शलभ से कहीं. वो लोग भी सारी बातें सुनकर
गौरी के प्रति सहानुभूति से भर गए. शुभा के मन में उथल-पुथल होने लगी. बेचारी गौरी
शुभा शलभ चिनी मिनी चारों ने
तय किया कि इस बार गौरी का बर्थडे ज़रूर मनायेंगे और
उसे सरप्राइज़ देंगे . कुछ संयोग ऐसा बैठा कि 26 जनवरी वाले हफ़्ते में दो दिन की छुट्टी अगर शलभ लेते हैं तो उन्हें पॉंच दिन की छुट्टी मिल जाएगी .तुरंत शलभ ने पटना जाने का प्रोग्राम बनाया. बहाना ये बनाया कि उसे आफिस के काम से पटना जाना है. तुम लोगों को चलना हो तो चलो सब लोग तैयार हो गए . गौरी भी खुश थी
वो अपने भाई बहनों अम्मा बाबू से मिल लेगी . कितने दिन हो गये उन्हें देखे बिना .
पटना पहुँचते ही शुभा और शलभ
ने अपने घरवालों को गौरी के बर्थडे के बारे में बता दिया.
सब लोग बहुत खुश हुए. रज़्ज़ो गौरी को देख कर बहुत खुश थी .अच्छे खाने ,अच्छे पहनावे से गौरी बहुत सुंदर लग रही थी. और बडी ही तमीज़ और तहज़ीब से बात करती थी.
26 जनवरी को शुभा ने रज़्ज़ो के पूरे परिवार को शाम के खाने पर बुलाया और रज़्ज़ो को
एक अच्छी साड़ी , उसके पति के लिए स्वेटर और गौरी
के भाई बहनों के कपड़े दिए कहा कि शाम को यही पहन कर आए .गौरी के लिए बहुत सुंदर झालरदार फ़्राक दिया.
उसे अच्छी तरह तैयार हो कर आने को कहा . रज़्ज़ो अभिभूत थी . सभी ने मिलकर आंगन सजा दिया बीच में मेज पर केक सजा के रख दिया . ढेर सारे व्यंजन बना लिए थे. और सबों ने अपने अपने गिफ़्ट भी तैयार
कर लिए थे.
जैसे ही रज़्ज़ो और उसके परिवार ने आंगन
में प्रवेश किया एक साथ सब लोग गाने लगे “हैप्पी बर्थडे टू गौरी “ रज़्ज़ो और उसके परिवार को तो कुछ समझ ही नहीं आया. पर गौरी इन शब्दों का अर्थ जरूर समझती थी . तभी चिनी मिनी ने दौड कर गौरी का हाथ पकड़ लिया. और बाँहों में लेकर बोली “ हैप्पी बर्थडे गौरी दी “
गौरी आश्चर्य से उन्हें देखती रही . चिनी मिनी गौरी का हाथ पकड़ कर टेबल तक ले आईं. तभी शुभा ने आकर
सबसे कहा “गौरी बहुत प्यारी बच्ची है और हम सब की
बेहद दुलारी , तो आज हम सब इसका बर्थडे मना रहे हैं.
फिर रज़्ज़ो की ओर देख कर शुभा बोली “आओ रज़्ज़ो ,
अपनी बेटी से केक कटवाओ “ रज़्ज़ो की आँखों से अविरल अश्रु धारा बह निकली. नहीं शुभा बीबी , चिनी मिनी बेबी ही केक कटवायेंगी. हम ये सब क्या जाने.
जैसे ही गौरी ने केक काटा “हैप्पी
बर्थडे गौरी “ का समवेत स्वर एक बार फिर गूंज उठा.
गौरी ख़ुशी के आवेग से काँप रही थी. चिनी मिनी को केक खिलाते समय उसके हाथ काँप रहे थे. फिर उसने केक शुभा मौसी की बढाया . तो शुभा ने …
चिनी मिनी की समझ में नहीं आया कि क्या
तो शुभा ने प्यार से थोडा
सा खाया और कहा “गौरी अपने बहन भाईयों को खिलाओ . गौरी की बहनें ख़ुशी के मारे उससे लिपट गई. रज़्ज़ो और रामदीन गौरी के ख़ुशी से भरे चेहरे को देख रहे थे और ममता भरा हाथ हाथ उसके सिर पर फिरा रहे थे .
थोड़ी देर में म्यूज़िक सिस्टम आन हो गया देर तक सब लोग नाचते रहे खूब हंगामा हुआ.शलभ बोले “शुभा
भई , अब कुछ खिलाओ पिलाओ सभी को भूख लग रही
होगी “ बच्चों को एंजाय करने दो .
शुभा और उसकी भाभी रसोई की ओर बढे तो रज़्ज़ो आ गई . दीदी आप और भाभी जाओ
अब मैं कर लूँगी. नहीं रज़्ज़ो , आज तुम हमारी मेहमान हो अभी खाना लगा जाता है ! शलभ और शुभा के भाई
अजय और बच्चों ने मिल कर गौरी के पूरे परिवार को आग्रह करके खिलाया . ये सब देखकर चिनी मिनी, शलभ और शुभा बहुत खुश थे .चलते वक़्त चिनी मिनी ने गौरी से
सबको रिटर्न गिफ़्ट दिलवाये . रामदीन ने हाथ जोड़ कर
कहा , साहब हम आपका किस तरह शुक्रिया अदा करे
हमें समझ में नहीं आ रहा. बस आज से ये वादा करते हैं कि हम छोटा मोटा सा ही सही अपनी सभी बेटियों का
जन्मदिन मनायेंगे. गौरी को कुछ नहीं सूझा वो दौड़ कर
शुभा के पैरों से लिपट गई. आँसूओं से तर उसका चेहरा
कह रहा था . “ थैंक्यू मौसी “ !