gyaanee agyaanee mein baat
gyaanee agyaanee mein baat

आइंस्टीन से कोई पूछ रहा था, मरने के आठ दिन पहले, कि आप एक वैज्ञानिक बुद्धि के व्यक्ति में और एक अवैज्ञानिक बुद्धि के व्यक्ति में क्या फर्क करते हैं? आइंस्टीन ने कहा, वह सुनने, समझने जैसा है।

आइन्स्टीन ने कहा- “अगर एक वैज्ञानिक व्यक्ति से आप सो प्रश्न पूछें, तो निन्यानवे प्रश्नों के सम्बन्ध में तो वह यह कह देगा, कि मुझे पता नहीं है। सौवें प्रश्न के सम्बन्ध में वह कहेगा, मुझे पता है, लेकिन बहुत थोड़ा। क्योंकि कल और पता हो जायेगा, परसों और पता हो जायेगा। ज्ञान रोज विकासमान है, इसलिए जो मैं कहता हूँ। इस शर्त के साथ, कि अभी तक जो जाना गया है, वह इतना है। ज्ञान पूरा नहीं है, पूर्ण नहीं है

लेकिन एक अवैज्ञानिक आदमी के बारे में आइन्स्टीन ने कहा- “अगर आप सौ प्रश्न पूछें, तो वह सौ की जगह एक सौ एक के उजर देगा, और हर उत्तर पर दावा करेगा कि यह उत्तर पूर्ण है, और आखिरी है। इसके आगे उत्तर नहीं हो सकता।

मनुष्य को अज्ञान में रखने का बड़े से बड़ा कारण जो है, वह है ज्ञान की सर्वज्ञता, पूर्णता का भ्रम।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)