गृहलक्ष्मी की कहानियां : दूधो नहाओ पूतो फलो
Stories of Grihalakshmi

गृहलक्ष्मी की कहानियां : दूसरे दिन रविवार था। घर में मेहमान आए हुए थे। मम्मी ने कहा- बेटे आज अपने आप नहा लो। मैं तुरंत दौड़कर किचन में गई व दो लीटर दूध से नहा ली। मम्मी किचन के अंदर गई तो दूध की बाल्टी गायब देखकर उन्होंने पूछा, तब मैंने बड़े भोलेपन से उत्तर दिया, मम्मी मैं तो दूध से नहा ली, क्योंकि कल मैडम ने मुहावरा पढ़ाया था- दूधो नहाओ पूतो फलो। मेरी नादान हरकत पर सभी मेहमान हंस पड़े।

गृहलक्ष्मी की कहानियां : दूधो नहाओ पूतो फलो
Stories of Grihalakshmi

1- जीतेजी तस्वीर पर माला

बचपन हर गम से बेगाना होता है। ऐसी बेफिक्री और मस्ती-मौज़ का आलम जीवन में फिर दुबारा लौट कर नहीं आता। ऐसे ही मस्त बचपन की एक शरारत आज भी मुझे याद है। तब मैं 4-5 साल की छोटी बच्ची थी और हमेशा नई-नई शरारतें करते रहना मुझे खूब भाता था। एक दिन एक आदमी को मैंने अपने घर के सामने से जाते देखा जिसने अपने गले में ढेर सारी मालाएं पहनी हुई थी। जो भी आता उसे माला पहना कर चला जाता। किसी से पूछने पर बताया कि उसने कोई बड़ा अच्छा काम किया है इसलिए उसे माला पहनाई जा रही है। यह देखकर मैंने एक माला ली और घर में लगे दादाजी की तस्वीर को पहना दी क्योंकि मैं उनकी बहुत लाड़ली थी और उनको बहुत चाहती थी। शाम को दादाजी घर लौटे तो अपनी तस्वीर पर माला पड़ी देख नाराज हो गए। ‘अरे भई ये जीते जी मुझे किसने माला डाला भई!’
‘मैंने!’ तभी मैं दौड़ती हुई दादाजी के गले से लिपट कर बोली तो माजरा समझ में आते ही दादा जी का सारा गुस्सा छूमंतर हो गया। फिर तो उन्होंने मेेरे भोलेपन पर खूब ठहाके लगाए। पर मैं तो मन ही मन शॄमदा हो रही थी। ऐसा होता है भोला और निराला बचपन।

गृहलक्ष्मी की कहानियां : दूधो नहाओ पूतो फलो
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2- चुइंगम से तौबा कर ली

यह घटना कई वर्ष पहले की है। एक दिन हम कई दोस्त मिल कर खेल रहे थे और एक-दूसरे की लाई हुई चीजें शेयर कर खा रहे थे। किसी बात पर मेरी और उनमें से एक लड़की की लड़ाई हो गई। वह बार-बार चुइंगम मेरे कपड़ों पर लगाकर मुझे परेशान कर रही थी। मेरे कपड़ों पर कई जगह चुइंगम चिपक गई थी और मेरे कपड़े खराब हो गए थे। फिर मुझे भी गुस्सा आ गया। परेशान होकर मैंने भी मुंह से चुइंगम निकाली और उसके सिर में लगाकर रगड़ दी, जिससे उसके आगे की तरफ के बहुत सारे बाल एकसाथ चिपक गए। फिर उसे देखकर मैं घबरा गई। वह रोती हुई अपने घर चली गई। जब यह शिकायत उसकी मम्मी द्वारा मेरे घर पहुंची तो मुझे बहुत डांट पड़ी। शाम को मुझे मेरे पापा से भी डांट पड़ी। दूसरे दिन जब वह स्कूल आई तो उसके बाल जगह-जगह से कटे हुए थे। इस बात का मुझे बहुत दुख हुआ, क्योंकि उसके बाल बहुत सुंदर थे, जो अब खराब हो गए थे। स्कूल में जब टीचर्स को इस बारे में पता चला तो वहां भी मुझे बहुत डांट पड़ी। उस दिन से चुइंगम से ही तौबा कर ली, बहुत डांट पड़वाती है यह चुइंगम।

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