Hindi Story: देश के एक बहुत ही जाने-माने और मशहूर नेता ने अपने बेटे के साथ गपशप करते हुए उससे पूछ लिया कि बेटा बड़े होकर क्या बनना चाहते हो? बेटे ने हंसते-हंसते कहा कि मैं भी आपकी तरह कोई बड़ा नेता बनना चाहता हूं। नेता जी ने झल्लाकर कहा कि क्या तुम पागल हो? बेटे ने बड़ी ही मासूमियत से पूछा कि क्या नेता बनने के लिये पागल होना जरूरी है?
पास ही बैठी उसकी मां ने कहा कि बेटा हमारे देश में नेता बनने के लिये सिर्फ पागल होना ही नहीं, बल्कि नंगा, लफंगा और बेढंगा होना भी जरूरी है। इतना सब कहने के साथ ही मां ने अपने बेटे से पूछ लिया कि आखिर तुम दुनिया के सारे अच्छे काम-धंधे छोड़ कर केवल नेतागिरी ही क्यूं करना चाहते हो? बेटे ने जवाब देते हुए कहा कि जब से होश संभाला है तो यही समझ आया है कि हमारे देश में नेतागिरी ही एक ऐसा पेशा है जिसमें बिना किसी प्रकार की पढ़ाई-लिखाई और तजुर्बे के भी हर कोई सुबह-शाम आपको सलाम करता है। बिना हाथ-पैर हिलाए और मेहनत किये घर बैठे ही करोड़ों के वारे-न्यारे हो जाते हैं।
बेटे की ओर हैरानगी से देखते हुए मां ने कहा- ‘क्या तुम यह नहीं जानते कि हर सरकारी विभाग में घोटाले, भ्रष्टाचार, बेलगाम महंगाई, आतंकवाद, लूटपाट, भ्रष्ट अफसरशाही फैल रही है। हर नेता और मंत्री आम आदमी की समस्याओं को कम करने की बजाए और अधिक बढ़ा रहे हैं। बड़े-बड़े अर्थशास्त्री अनर्थशास्त्रियों जैसा काम कर रहे हैं। सारे देश की कानून व्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की राजधानी दिल्ली में आए दिन डकैती, लूटपाट, हत्या की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही है। देश में जितनी अशांति, असुरक्षा, भय, भ्रष्टाचार और महंगाई आज है, उतनी शायद कभी नहीं रही। आज देश में चाहे कोई महंगाई की, चाहे भ्रष्टाचार या आतंकवाद की बात करे सब कुछ चरम सीमा पर है। क्या तुम भी यह नहीं समझ पाये कि हमारे देश के छुटभैया नेताओं के साथ-साथ अधिकांश सांसदों के ऊपर जनता से खुलेआम लूट-खसोट और दलाली खाने के अनेकों आपराधिक मामले अदालतों में बरसों से चल रहे हैं। लेकिन इससे भी बड़ी हैरानगी की बात तो यह है कि सभी बातों से बेखबर हमारे नेता जनसाधारण की ओर आंख उठा कर देखने की बजाए अपने आसन को बचाने में मशगूल है। कोई भी एक-दूसरे की कमी को उजागर करके व्यवस्था में सुधार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता क्योंकि हर किसी की अवैध कमाई जग जाहिर हो रही है। सरकार की हर नीति गरीबों को बुरी तरह प्रभावित करने के साथ आहत कर रही है। इन्हीं बातों से घबरा कर आम आदमी इस कदर टूट चुका है कि किसी क्रांति को जन्म देना तो दूर अब तो उसकी आंखों से रो-रो कर आंसू भी सूखते जा रहे हैं, वो बेचारा तो हर तरफ से परेशान, बैचेन और बौखलाते हुए दम तोड़ रहा है।
बेटे ने अपनी मां से कहा कि तुम्हारा तो इस दुनिया बनाने वाले में अटूट विश्वास है और तुम तो हर समय भगवान का ध्यान भी करती हो क्या वो हमारे देश की बिगड़ती हुई व्यवस्था को नहीं सुधार सकता। मां ने बेटे को समझाते हुए कहा कि दुनिया बनाने वाले ने सृष्टि के निर्माण के साथ-साथ अच्छा जीवन जीने के लिये हर किसी के लिये कुछ कायदे और नियम भी बनाये थे। अब जानवरों का ही उदाहरण ले लो, चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये गाय भूखी मर जायेगी लेकिन कभी भी मांस नहीं खायेगी, इसी तरह भगवान ने शेर को मांसाहारी बनाया है वो भी अपनी जान दे देगा परंतु वो कभी घास नहीं खाता। एक इंसान ही ऐसा प्राणी है जो कुदरत के हर नियम को ताक पर रख कर सब कुछ अपनी मनमर्जी मुताबिक करने पर उतारू है। बेटा जब किसी की औलाद ही सब कुछ जानने और समझने के बावजूद गलत राह पर चलने लगे तो मां-बाप भी थक कर हार मान लेते हैं। इसी तरह लगता है कि दुनिया बनाने वाला भी अपने हाथ से बनाये हुए इंसान रूपी खिलौने को मनमर्जी करते देख कर हार गया है। लेकिन इसका कदापि यह अर्थ नहीं है कि वो अपने ही इस रचाये हुए सारे खेल को सुधारने में असमर्थ है। उसके घर में देर जरूर है, लेकिन अंधेर नहीं। उसकी छड़ी में इतनी ताकत है कि वो बड़े-बड़े बाहुबलियों को भी राजा से रंक बना कर दिन में तारे दिखा सकता है।
इतना सब कुछ सुनने के बाद बेटे ने मां से कहा कि तुम ही सदा कहती हो कि भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि आज सारी दुनिया की दुर्दशा के लिये खुद दुनिया बनाने वाला ही जिम्मेदार है? इतना सुनते ही मां ने कहा-‘बेटा तुम भी अपने पिता की तरह अपनी कमियों को सुधारने की बजाए दूसरों के दोष ढूंढने में माहिर होते जा रहे हो। तुम यह कभी मत भूलना कि महान कर्मों का इतिहास उन लोगों का इतिहास है, जिन्होंने संसार के खिलाफ अकेले खड़े रहने की हिम्मत की थी। बेटा यदि तुम इस संसार में अपनी अलग से पहचान बनाना चाहते हो तो भीड़ से अलग रहने की आदत डालो। हां एक बात पक्की है कि जिस दिन दुनिया बनाने वाले से मुलाकात होगी, उससे यह सवाल जरूर करूंगी कि देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों के इस देश में रहने वाली भोली-भाली जनता से ऐसा क्या गुनाह हुआ है कि कल तक जहां इस पवित्र धरती पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ साधु-संत जन्म लेते थे, वहां आज एक से बढ़ कर एक भ्रष्ट अपराधी प्रवृत्ति के खतरनाक राक्षस रूपी नेता पैदा क्यूं हो रहे हैं?
दुनिया बनाने वाले के खेल को तो वो ही जाने, लेकिन जौली अंकल युवाओं को राजनीति में आने की प्रेरणा देने के साथ इतना पैगाम जरूर देना चाहते हैं कि यदि नेता बनना है तो अपने पूर्वजों के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए बलशाली, योद्धा, विद्वान और चरित्रवान नेता बनो। दुनिया बनानेवाले की भी यही कामना है कि यदि किसी को भी प्रजा के बीच सम्मान की भावना पैदा करनी है तो उन्हें जनता की भावनाओं और आवाज की इज्जत करनी होगी क्योंकि जनता की आवाज ही दुनिया बनाने वाले की आवाज है। भगवान को किसी भी रूप में याद करो, वो सदैव आपकी दुआ कबूल करता है।
ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–
