भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
“रघु, आ जा बेटा। यह ले पौधा। मैं बताती हूं इसे जमीन में कैसे लगाते हैं!”
“पर दादी, क्यों लगाना है यह पौधा?”
“बेटा, आज सुबह आम के पेड़ पर चढ़कर मीठे-मीठे आम कौन खा रहा था?”
“दादी, रघु!”
“तो यह आम का पेड़ यहां आया कैसे? ये बताओ!”
“पता नहीं।”
“मैं बताती हूं, आंगन में ये आम का पेड़ मैंने लगाया था।”
“आपने? इतना बड़ा!”
“हां, पर शुरु से ही थोड़े न था इतना बड़ा यह पेड़!”
“तो?”
“ये भी इसी पौधे जितना छोटा था। मैं रोज पानी देती थी। इसके आस-पास घास निकल आती तो उसे निकाल देती थी। खाद भी डालती थी। तब यह धीरे-धीरे बड़ा होता गया।…. रमेश खूब खाता था आम। और बहू तो कच्चे आमों की चटनी इतनी अच्छी बनाती थी।…. अच्छा चल, अब लगा दे इसे इस गड्ढे में और मिट्टी डालकर बराबर कर दे। आज सवेरे ही इसमें खाद मिला दी थी मैंने।”
“पर दादी, इस पर आम कब लगेंगे? और मैं कब खा पाऊंगा?”
“अरे लगेंगे, जल्दी ही लगेंगे। फिर खूब खाना! अब अगर इतने साल पहले मैं ऐसा सोचती कि इसमें जाने कब आम लगेंगे, मैं खा भी पाऊंगी कि नहीं तो यह इतना बड़ा दरख्त यहां न होता।… बस अब खूब सेवा करना इसकी। वैसे ही जैसे तेरी मम्मी तेरी करती है और यह भी तेरी तरह बड़ा होता जाएगा। फिर देखना कोयल कूकेगी, गिलहरियां दौड़ेंगी, चिड़िया-तोते आएंगे।”
“दादी, यह बड़ा पेड़ तो है ही। फिर और क्यों?”
“अरे, तेरी दादी की तरह यह पेड़ भी तो बूढ़ा हो गया है। और पेड़ तो नए-नए लगाते रहना चाहिए। कल को हमारे बच्चों के बच्चे, और उनके बच्चे होंगे तो वे भी कहेंगे कि यह आम का पेड़ हमारे पापा, हमारे दादा ने लगाया है। तब देखना, तुझे भी उतनी ही खुशी मिलेगी जितनी मुझे मिलती है।”
“यह लो दादी, लगा भी दिया। चलो हाथ धोकर मीठे-मीठे आम खाते हैं।”
“ठीक है रघु, हर बरसात में एक न एक पौधा जरूर लगाना। ठीक है?”
“हां दादी!”
“अपने जन्मदिन पर भी पौधा लगाना और और दादी की याद में भी…. याद रखोगे न?”
“जाओ दादी, मेरी कट्टी है आपसे… मैं नहीं बोलता आपसे!”
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
