बुने हुए स्वेटर-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Bune Hue Sweater

Hindi Kahaniyan: सुबह के करीब आठ बज चुके थेऔर शर्मा जी को ऑफिस 9:00 बजे जाना था, इसलिए वो काफी परेशान थे , कि हम अभी तक नाश्ता भी नही किए ,और स्वेटर भी नही मिल रहे हैं ,आखिर ऑफिस पहनकर जाऊंगा क्या? शर्मा जी की पत्नी वसुंधरा बोली इतना परेशान क्यों है आप? और नाश्ता क्यों नहीं कर रहे हैं ,जबकि मैं कितनी बार बोल चुकी हूं, नाश्ता लगा दूं टेबल पर ,लेकिन आपने एक बार भी नही कहा, आखिर बात क्या है, शर्माजी पत्नी की बाते सुनकर बोले वो में स्वेटर ढूंढ रहा हूं ,लेकिन कहीं मिल नही रहा है, और जाड़े के दिन है तथा ठंड भी बहुत ज्यादा है ,अगर स्वेटर पहनकर नही जाऊंगा तो ठंड लग जायेगी ,इधर ऑफिस जाने का भी टाइम हो गया है और अभी तक स्वेटर नही मिला है,आखिर स्वेटर किधर खो गया है?
शर्मा जी की पत्नी उनकी बातों को सुनकर बोली , बस इतनी सी बात है और इसलिए आप परेशान हुए जा रहे हैं? मैने सारे स्वेटर दीवान में रख दिया है बस कुछ स्वेटर अलमीरा में रख दिया ,ताकि आप हमारे कमरा में जाए और तैयार होकर स्वेटर पहन ले ऑफिस जाने के लिए,लेकिन आप तो ऐसे परेशान हो रहे हैं,जैसे कितनी बड़ी बात हो गई हो? उसके बाद शर्मा जी की पत्नी शर्मा जी को मुंह चिढ़ाते हुए बोली आप तो ऐसे कर रहे थे, जैसे कि लगता है कितनी बड़ी बात हो गई है,खैर छोड़ो इन बातो को , जल्दी से में टेबल पर नाश्ता लगा देती हूं आप नाश्ता कर लीजिए, उसके बाद मैं आपको हाथ में स्वेटर दे दूंगी पहनने के लिए ,और आपको ऑफिस के लिए लेट भी नही होगा

शर्माजी अपनी पत्नी को बोले ठीक है जल्दी से तुम नाश्ता टेबल पर लगा दो और स्वेटर खोज कर मुझे दो ,शर्माजी की पत्नी वसुंधरा शर्माजी का नाश्ता टेबल पर लगा देती है,और वो अलमीरा से दो तीन कलर के रेडीमेड स्वेटर निकाल कर शर्माजी से बोलती है ,ये रहा आपका स्वेटर ।
शर्माजी नाश्ता करके हाथ मुंह धोकर आते हैं ंऔर बोलते हैं रेडीमेड स्वेटर मुझे नही चाहिए, मुझे तो तुम्हारे हाथ के बुने हुए स्वेटर चाहिए, शर्मा जी की पत्नी मुंह चिढ़ाते हुए बोली आप भी ना बच्चो जैसा जिद करते हो और हठ करने लगते हो बुने हुए स्वेटर पहनने के लिए ,जबकि आज के जमाने मे सभी लोग रेडीमेड स्वेटर पहनते है, क्योंकि रेडीमेड स्वेटर ज्यादा खूबसूरत दिखता है,और ज्यादा स्टैंडर्ड लगता है,अगर आप इस जमाने मे बुने हुए स्वेटर पहनेंगे लोग आपको देहाती कहेंगे ,और क्या कहेंगे सभी लोग शर्माजी कितना पुराना स्वेटर पहनकर ऑफिस जा रहे है।
शर्माजी अपनी पत्नी की बाते को सुनकर बोलते हैं ,लोगो का तो काम है कहने का ,पर मैं उनकी बातो पर क्यों ध्यान दूं? मुझे तो तुम्हारे हाथो के बुने हुए स्वेटर ही पहनना है,क्योंकि रेडीमेड स्वेटर में वो प्यार नही झलकता है ,जो तुम्हारे हाथ के बुने हुए स्वेटर को पहनने में झलकता है, ऐसा लगता है तुम मुझसे कितना प्यार करती हो , इसलिए तो वक्त निकाल कर मेरे लिए हर साल स्वेटर बुनती हो और तुम कहती हो की मैं लोगो के खातिर अपने प्यार को भूल जाऊं , शर्माजी की पत्नी बोलती ,शर्माजी से बोलती है बूढ़े हो गए हो ,लेकिन बाते हमेशा प्यार वाली करते रहते हो ,शर्माजी अपनी पत्नी से बोलते है दिल अभी भी जवान है श्रीमती जी।

Also read : कब मिलेगा अर्धांगिनी को उसका हक़?-गृहलक्ष्मी की कहानियां