बात कुछ ही दिनों पहले की है, शिवरात्रि का दिन था। मैं अपने पोते को लेकर मंदिर पूजा करने गई। काफी लंबी लाइन थी, व्रत का दिन था। वह मेरे साथ खड़ा-खड़ा थक गया था। बार-बार पूछे जा रहा था, ‘हमारा नम्बर कब आएगा? फिर हमारा नम्बर आ गया।
हम मंदिर में गए, काफी लोग थे। हमें पूजा करने में देर हो रही थी। पोता फिर झट से आगे बढ़ गया, जैसे ही उसने शिवजी की मूर्ति देखा वह झट से जोर से बोल पड़ा, दादी-दादी यहां से घर चलो। यहां तो बाबाजी का ठुल्लू दिखा रहे हैं, जैसा टीवी में दिखाते हैं और उसने भीड़ में अपने हाथों से इशारा करके दिखाया। कई लोग हंसने लगे, लेकिन कई उसे डांटने लगे। लेकिन मैं शर्म से लाल हो गई।
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