आनंद की अनुभूति "-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Anand ki Anubhuti

Story in Hindi: ” ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग, ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग घर के बरामदे में रखा हुआ फोन लगातार बज रहा था , फोन बजने की आवाज़ रसोईघर में खाना बना रही स्वेता के कानों में पड़ रही थी , मगर काम में व्यस्त होने के कारण वह फोन नहीं उठा पाती है ” , एक बार फिर से जब फोन की घंटियां बजती हैं तो स्वेता फोन को उठाकर पूछती है – ” जी , कहिए आप कौन हैं ? और किससे बात करनी है आपको ? फोन पर एक आवाज़ आती है – ” जी, मैं सिटी हॉस्पिटल से बोल रहा हूं , आपके पति का एक्सीडेंट हो गया है , उनका काफ़ी खून बह गया है , आप तुरंत हॉस्पिटल आ जाएं “। इतना सुनते ही स्वेता सब कुछ छोड़कर सिटी हॉस्पिटल के लिए भागने लगती है , रास्ते में कुछ विचार भी उसके साथ सिटी हॉस्पिटल की तरफ़ चल देते हैं। कुछ विचारों के कारण उसके आंसू आंखों से निकलने लगते हैं तो कुछ विचार उसे जीवन में आने वाले संकट से लड़ने की ताकत देते हैं तो कुछ विचार उसके मंगलसूत्र को कमजोर करने लगते हैं जिनसे बचने के लिए वह अपने मंगलसूत्र को अपने हाथों से पकड़कर कहती है – ” यह सब ” मायाजाल ” है , यह मेरे जीवन की सुखमय ” आनंद की अनुभूति ” छीनने का प्रयास है , मैं इनसे हार नहीं सकती “। कुछ समय बाद वह हॉस्पिटल पहुंच जाती है और उसके साथ चल रहे यह विचार उसका साथ वहीं छोड़ देते हैं। 

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हॉस्पिटल के अंदर जाते ही उसे कुछ पुलिसकर्मी और मानव के दफ़्तर के कुछ सहकर्मी वहां पर मौजूद दिखाई देते हैं , उनसे मानव के बारे में पूछने पर उसे पता चलता है कि मानव दफ़्तर के कुछ ज़रूरी काम से बाहर गया था रास्ते में उसे कुछ दोस्त मिल गए उनसे बात करते हुए उन सबका शराब की ” आनंद की अनुभूति ” प्राप्त करने का ख्याल आया और फिर वह सब मदिरालय में नशा करने लगे , जब हमने उसे फोन लगाया तो हमें मालूम हुआ कि उसका एक्सीडेंट हो गया है और वह यहां हॉस्पिटल में ज़िंदगी और मौत के बीच की लड़ाई लड़ रहा है। शराब के इस ” मायाजाल ” में फंसकर हमारा दोस्त आज इस जगह आ गया है और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। हमने ही आपको यहां बुलाया है। पुलिस को भी सूचना मिल चुकी थी वह हमारे आने से पहले ही यहां पर उपस्थित हो चुकी थी। अब आप ही कुछ कीजिए। यह सब सुनकर स्वेता वहीं एक कुर्सी पर बैठकर रोने लगती है। सभी उसे संभालते हैं और उसे हिम्मत से काम करने की सलाह देते हुए कहते हैं – ” हम सब आपके साथ हैं आप चिंता मत कीजिए “। 

कुछ देर बाद डॉक्टर उपचार कक्ष से बाहर आते हैं , वह बताते हैं – ” मरीज को गहरी चोटें आईं हैं मगर घबराने की कोई बात नहीं है मरीज अब खतरे से बाहर है और हां मरीज को शराब या किसी भी प्रकार का नशा जिससे मरीज को तामसिक ” आनंद की अनुभूति ” होती है उससे जीवन भर दूर रहना होगा “। स्वेता खुद को संभालते हुए उपचार कक्ष में दाखिल हो जाती है , वह मानव का हाथ पकड़कर कहती है – ” मानव तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगे ” और वहां से घर के लिए निकल जाती है। रास्ते में वह खुद को एक ताकतवर महिला के रूप में देख रही थी , जो सभी संकटों से लड़ने के लिए सक्षम है वह अपने परिवार को स्वस्थ और उनकी सफलताओं के लिए किसी भी प्रकार के संकटों के द्वारा निर्मित ” मायाजाल ” से अपने परिवार को बचा सकती है। वह इस जगत की जननी भी है और काली भी है। 

मानव की हॉस्पिटल से रिपोर्ट लेकर स्वेता ने उसका गहन अध्ययन किया और मानव के खान – पान और दवाईयों का भी ध्यान रखा और उसके दोस्तों की सहायता से उसको अच्छा महसूस करवाती रही। मानव को नशे और उसके दुष्प्रभाव के बारे में सभी अवगत कराते रहते जिससे उसके मन में नशे से होने वाले नुकसान की छवियां बन सकें। नशे से मिलने वाले परम ” आनंद की अनुभूति ” सिर्फ कुछ पलों की ही होती है , यह नशे का ” मायाजाल ” होता है , जो झूठी ” आनंद की अनुभूति ” देकर व्यक्ति को अपने ” मायाजाल ” में बांध लेता है और उसके परिवार का नाश करके उसे समाज में सबसे नीचे स्तर पर लाकर उसके प्राण ले लेता है। मानव को हर दिन मिल रही दवाएं और दुआएं उसके स्वास्थ्य को बेहतर बना रही थीं वह बहुत जल्दी अपनी जिंदगी को वापिस जीने के लिए आ रहा था। नशे से होने वाले नुकसान का अनुभव भी उसे हो चुका था। 

कुछ दिनों बाद मानव अपने घर स्वस्थ होकर आ जाता है और अपने दफ़्तर के काम भी करने लगता है कुछ हफ्तों के बाद एक दिन शाम को स्वेता अपनी बालकनी में बैठकर किताब पढ़ रही थी। तभी वह कुछ सामान को अपने घर के बगीचे में रखते हुए कुछ लोगों को देखती है, उसने मानव से इस बारे में पूछा – ” मानव यह सब क्या है ? क्या कोई आने वाला है ? मानव ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए कहा -” हां , शाम को एक कार्यक्रम रखा है और कुछ लोग भी आने वाले हैं “। शाम को ‘ नशे के दुष्प्रभाव ‘ कार्यक्रम शुरू होता है , कार्यक्रम में बहुत लोग आते हैं मुख्य अतिथि के रूप में मानव अपनी पत्नी स्वेता को बुलाता है , स्वेता अपना भाषण देते हुए कहती है – ” नशा हमारे समाज में अपनी झूठी ” आनंद की अनुभूति ” कराकर हमें अपने ” मायाजाल ” में बांधकर हमारे घर – परिवार , साथियों को प्रताड़ित करता है , यह जितना बुरा होता है उतना ही बुरे इसके दुष्प्रभाव भी होते हैं। आओ हम सब मिलकर यह संकल्प लें , हम सब नशे से ” आनंद की अनुभूति ” प्राप्त नहीं करेंगे और इसके ” मायाजाल ” में नहीं फसेंगे “।