एक तालाब में बहुत सारे मेढ़क रहते थे। जब उनमें आपसी विवाद बढ़ने लगे तो एक दिन उन्हें एहसास हुआ कि उनकी इस छोटी सी दुनिया में एक राजा होना चाहिए। जिसके आगे वे अपनी समस्याएं, अपने विवाद लेकर जा सके। उन्होंने जल देवता से प्रार्थना की कि हमें एक राजा भेजो।
जल देवता ने एक लकड़ी का बड़ा सा टुकड़ा भेज दिया। पहले तो मेढ़क बहुत खुश हुए, लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनका यह राजा न तो कुछ बोलता है, न ही हिलता डुलता है तो वे निराश हो गए। कुछ उद्दंड मेढ़कों ने उसी पर अपना डेरा बना लिया।
मेढ़क जल्दी ही अपने इस बेजान राजा से ऊब गए। उन्होंने जल देवता से कहा कि उन्हें ऐसा राजा नहीं चाहिए, बल्कि एक जीता-जागता राजा चाहिए, जो कि उन पर शासन कर सके। इस पर जल देवता कुपित हो गए। इस बार उन्होंने एक बगुला भेज दिया। बगुले के पास जब भी कोई किसी की शिकायत लेकर आता। वह सजा के तौर पर आरोपी को खा जाता। देखते ही देखते उसने कुछ ही दिनों में तालाब के सारे मेढ़कों को अपना ग्रास बना लिया।
सारः आपसी विवादों में बाहरी लोगों को शामिल करना हानिकारक होता है।
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