कीजिए खुद को सुपर चार्ज
‘मेरा साफ मानना है कि एक औरत में भरपूर संभावनाएं होती हैं। अगर वह पत्नी और मां के रूप में घर संभालती है। तो दूसरी ओर ऑफिस की मुश्किल चुनौतियों का सामना भी करती है। औरत की इसी संभावना को मैं उसकी ताकत मानती हूँ।’ सुष्मिता सेन, पूर्व मिस यूनिवर्स रोजमर्रा से जुड़ी जिंदगी में कई बार लंबे समय तक लगातार विषम परिस्थितियों, असफलताओं और शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों से रू-ब-रू होना पड़ता है। ऐसे नाजुक दौर में यूं लगता है जैसे पूरी शख्सियत खंड-खंड होकर बिखर रही है। तब कौन संभालेगा आपको? आज के इस व्यस्तम दौर में भला किसे है इतनी फुर्सत जो आपको लगातार चार्ज करता रहे? और फिर खुद आपके सिवाए किसी में वह शक्ति भी तो नहीं है, जो आपको सर्वश्रेष्ठ ढंग से प्रोत्साहित यानी सुपरचार्ज कर सकें।

समय नष्ट न करें
अपना समय नष्ट न करें। आलस्य करके पड़े रहना, गप्पें लगाना, व्यर्थ बुराइयां करने में अपना समय नष्ट करने की बजाए उस वक्त अपने बचे को मो पूरा करें, अपने शौक के द्वारा अपनी पहचान भी बन सकती है। हैरी पॉटर की लेखिका जे.के. रॉलिगं, ब्यूटीशियन शहनाज हुसैन, भांड गायिका अल्लाह जिलाई इन सभी महिलाओं ने समय निकालकर अपने हुनर को आगे बढ़ाया और अपनी कला का सृजन करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।

शोक तरोताजा रखें
हॉबी या शौक आपको तरोताजा रखते हैं। इससे शरीर में स्फूर्ति बढ़ती है। मिशिगन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि जो महिलाएं अपने बचे समय में अपने शौक पर ध्यान देती हैं वह अधिक खुश और तरोजताजा रहती हैं। उनके जीवन में तनाव नाम की चीज नहीं होती है। मनोचिकित्सक इसे तनाव दूर करने का उपाय बताते हैं। आर्थिक तनाव में रहने वाला महिलाओं को उनके पूराने भूल चुके शौक को याद दिलाकर उसे फिर से शुरू करने के लिए कहा गया।, इससे उन महिलाओं का तनाव दूर हो गया। कई परिवारों में तो इससे अच्छी आय भी हो जाती है। उससे जीविका उपार्जन भी हो जाता है। सिलाई, कढ़ाई, बनाई ने तो आज एक उद्योग का ही रूप ले लिया है। पढ़ना-लिखना, पेंटिंग, गाना-बजाना, डांस ऐसे कई शौक हैं जिसके बल पर स्त्री न केवल खुद का व्यक्तित्व संवार सकती है। बल्कि देश और समाज का भला भी कर सकती है।
अनेक बार शौक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के भी वाहक बन जाते हैं। थेवा कला, हल्यू पॉटरी, भांड गायन, कठपुतलियों का शो, मिट्टी के आकर्षक सामान, लकड़ी के खिलौने, सुपाड़ी से बनी कलाकृति, पेटिगं आदि हॉबीज ने कई लोगों को पुरस्कार दिलवाए हैं और विदेश जाने के अवसर भी दिए हैं।  

आप भी ऐसा कर सकती हैं।
आजकल पत्र-पत्रिकाओं, टी.वी. शोज में भी टैलेंट को मंच देने के लिए अनेक शो किए जा रहे हैं। इनमें भाग लेकर अपनी प्रतिभा को पूरी दुनिया के सामने पेश कर सकते हैं
अपने मनपसंद काम को करने से न केवल मानसिक सुकून और शान्ति मिलती है बल्कि हम बेहद खुश भी रहते हैं। हॉबी अवसाद के क्षणों में हमें संबल देती है। आज के इस तनाव और आपाधापी के युग में उम्र के एक पड़ाव पर घर और बच्चों की जिम्मेदारियों से थोड़ी देर के लिए मुक्त हो जाती है और एक खालीपन -सा घेरने लगता है तब हॉबी हमें एक तृप्ति का एहसास दिलाती है कि हमने अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग किया।

खुद को सलाह
हर समस्या को हल करने का कोई न कोई तरीका अवश्य होता है। इस कथन को मन ही मन दोहराते रहें, क्योंकि यदि आपके मन में जीवन की किसी भी बाधा को पार करने की प्रबल इच्छा उत्पन्न हो गई तो आपके अवचेतन मस्तिष्क में श्रेष्ठ निदानात्मक उपाय जन्म लेने लगेंगे। मनोवैज्ञानिकों ने इस अपने अवचेतन मस्तिष्क को आवाज देते हैं तो इसमें निहित असीमित ज्ञान आपकी पुकार पर प्रतिक्रिया करता है।

भरोसा अपने आप पर
किसी विद्वान का कहना है- प्राप्त परिस्थितियों को स्वीकार करो, खुद पर विश्वास रखो, अपनी शक्तियों का पूरा उपयोग करो और विजय तुम्हारी ही होगी। अपनी काबलियत, अंतस में समाए असीमित ज्ञान शक्ति और अचरज भरी क्षमताओं पर भरोसा रखें। यही विश्वास आपको हरदम चार्ज करता रहेगा और टूटने से बचा लेगा।

आईना बनें अपना
शारीरिक-मानसिक पेरशानियां और असफलताओं की बहुत बड़ी वजह होती है गलतियों का लगातार दोहराव इसलिए अपनी परेशानियों, विषमताओं और असफलताओं को परिभाषित कर, ठंडे दिमाग से, ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ क्रमबद्ध और तर्कपूर्ण चिंतन करें कि आपकी कार्यप्रणाली और प्रयासों में कहां, कितनी और कमी रह गई थी। इस विश्लेषण के बाद जो गलतियां सामने आएं उनमें अपेक्षित सुधार करके एक बार फिर नए सिरे से जाएं।

हर रोज हो जोश भरा
यदि हर रोज सुबह-सुबह अपनी कामयाबी, क्षमताओं मकसद और सेहत के प्रति उमंग, उत्साह और उम्मीद का जज्बा रखेंगी तो आपके दिलो-दिमाग में पूरे दिन के लिए एक अद्भूत उर्जा और रोमांच का संचार होने लगेगा। फिर दिनचर्या से जुड़ा मनमोहक और नायाब क्रम बन जाएगा। बेशक तमाम दिन के ये प्रयास आपकी अगली सुबह को फिर लाजवाब बना देगें।

डोंट वरी बी हैप्पी
छोटी-छोटी बातों को दिल से लगा लेना, हर एक परिस्थिति के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशीन होना और हर समय किसी दिमागी उधेड़बुन में उलझे रहना, ये तमाम बातें धुन की तरह दिमाग में घर बनाकर कार्यक्षमता और उर्जा को नष्ट करती हैं। इसलिए जीवन में कुछ बेफिक्री भरे जुमलों जैसे दिल पर मत ले यार, यह भी गुजर जाएगा, डोंट वरी बी हैप्पी जैसे जादुई कथनों की खासी अहमियत है। बहुत-सी बातों को नजरअंदाज करना सीख लेंगी तो आपके खुशियों के खजाने में आसानी से सेंध नहीं लग पाएगी।

श्रेष्ठ साहित्य करता है सुखद चार्ज
अच्छी किताबें, सफलतम साधकों के सूत्रों और विद्वानों के अनुभवों से उपजी सूक्तियां गहन निराशा से उबारकर मन में एक नए जोश, स्फूर्ति और आशावादी नजरिए का संचार करती है। बहुतेरे व्यक्ति यह स्वीकार करते हैं कि कोई एक छोटी-सी पंक्ति, सूत्र या सूक्ति कितनी आसानी से उनके जीवन में आए आश्चर्यजनक, सुखद बदलाव की वजह बन गई।

समस्याएं हार मान जाएंगी
मैक्सवेल कहते हैं, ‘परिस्थितियों को नियंत्रित करना भले ही हर एक के वश में न हो पर प्रतिक्रियाओं को तो नियंत्रित किया ही जा सकता है। आप अपने दर्द को अपशब्दों में बदलते हैं। या भाव-प्रवण कविता में विकल्प का चुनाव आपके ही हाथ में हैं।‘ऐसे बहुत से कामयाब व्यक्ति हैं जिन्होंने बेहद विपरीत परिस्थितियों को चुनौती देकर खुद को मजबूती से स्थापित किया है, ऐसे उदाहरणों से प्रेरणा लेकर अपने हौंसले बुलंद रखिए, बेशक समस्याएं आपसे हार मान जाएंगी।

फिजूलखर्ची से बचें
निजी स्वतंत्रता और आत्मविश्वास के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता बेहद आवश्यक है। आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त होने पर अपनी आय को मनमाने ढंग से खर्च किया जा सकता है। इससे अपने भीतर एक अनूठे आत्मविश्वास और उत्साह का अनुभव होता है, परन्तु लगन और परिश्रम से कमाए धन को यूं ही खर्च करना अच्छी बात नहीं। यह भविष्य के लिए भी अशुभ है। अपने कमाए धन को बर्बाद करने के स्थान पर उसे समझदारी के साथ खर्च करने में ही भलाई है। प्रायः धन आने पर खर्च करने में अति उत्साह नुकसानदेह साबित होता है। धन उड़ जाने के बाद केवल पश्चाताप शेष रह जाता है। इसलिए जहां आवश्यक हो वहीं खर्च करें और फिजूलचखर्ची से बचना चाहिए। जब तक आप फिजूलखर्ची से बची रहती हैं तब तक आप फुल चार्ज रह सकती है।

दिखावे से परहेज करें
धन का सदुपयोग करने की बजाए उसे अपनी अमीरी, शान या स्टेट्स दिखाने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर आपका संचित धन ही आपके काम आता है। संचय का मतलब यह नहीं कि आप कंजूसी करें और धन संचित करें। कंजूस बनने के स्थान पर मितव्ययी बनना चाहिए। मितव्ययी होने का मतलब कंजूस होना नहीं होता। अपने अनुचित और अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाने में ही भलाई है।
खर्च करते समय स्वविवेक का उपयोग करने की आदत बनाना लाभ का सौदा है। हर दिन की छोटी बड़ी बचत जल्दी ही बड़ी राशि बन जाती है जो कठिन समय में या आवश्यकता पड़ने पर संजीवनी का काम करती है। फिजूलखर्ची जहां तनाव बढ़ाती है वहीं आपके द्वारा की गई बचत सही मायने में आपकी असली कमाई है इसलिए समझदारी का उपयोग करते हुए अधिकतम बचत का प्रयास करें। यह बात सही है कि धन सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता, पर यह भी सही है कि धन से अनेक समस्याओं का निराकरण हो जाता है। आपके व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में धन के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती। आने वाले समय और होनी-अनहोनी के बारे में कोई बता कर नहीं आता। कठिन समय से जूझने में अपना बचाया धन काम आता है।

जिंदगी से शिकवा न करें
किसी भी क्षेत्र में सफलता अर्जित करने के लिए सबसे जरूरी है कि अपनी क्षमताओं और विश्वास को जानें और समझें। स्वयं की खूबियों का आकलन करने के लिए आत्मनिरीक्षण का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जिंदगी से कोई शिकवा न करें।अनेक लड़कियां अपने व्यक्तित्व व कैरियर को लेकर हमेशा हीनभावना का शिकार रहती हैं। अक्सर उन्हें शिकायत होती है कि सबसे ज्यादा परेशानियां, समस्याएं, चिंताएं जिंदगी ने उन्हें ही दी है। ज्यादातर अपनी कमजोरियों को ही याद रखती ह। ‘मेरी आंखे आकर्षक नहीं……मेरे होंठ मोटे हैं, मेरी त्वचा में चमक नहीं, मेरा कोई काम ठीक से नहीं हो पाता, मैं अपनी बात सही तरीके से रख नहीं पाती, वगैरह-वगैरह बहुत सारी चिमगुइयाँ हमारे आसपास घूम-घूम कर अंदर तक चस्पा हो जाती हैं। यह स्वाभाविक प्रकृति है कि अपने व्यक्तित्व का नकारात्मक पक्ष हमें बहुत जल्दी नजर आता है।

मनावैज्ञानिकों के अनुसार अपनी आलोचना से अपना मनोबल तो गिरता ही है। अंदर ही अंदर आत्महीनता की ग्रन्थियां हमारी निराशावादी सोच को कब बढ़ावा देती चली जाती हैं पता ही नहीं चलता। सोचने का तरीका ही अक्सर हमारे माहौल से प्रभावित होता है। विकास की प्रक्रिया हमारी सोच को प्रभावित करती है। इस नकारात्मक प्रभाव से व्यक्तित्व को मुक्त कर पाना मुश्किल है पर असंभव नहीं। किसी भी क्षेत्र में सफलता अर्जित करने के लिए सबसे जरूरी है कि अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें। ईमानदारी के साथ आत्मनिरीक्षण करें। आत्मनिरीक्षण के बाद अगर आपको खुद में कोई कमी नजर आती है तो हीनभावना लाने के बजाए यह देखें कि आप कौन-सा कार्य सबसे अच्छे ढंग से कर सकती हैं। अपनी रूचि सम्पन्नता को धीरे-धीरे संवारें।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए महत्वकांक्षी होना जरूरी है, पर इसका मतलब यह नहीं कि आपकी शत-प्रतिशत इच्छाएं पूरी हो जाएं। अति महत्वाकांक्षी होना आत्मघाती होता है। फैटेंसी में रहने की आदत यदि आपमें है, तो धीरे-धीरे इसे छोड़ इसे छोड़ दीजिए। अपनी उपलब्धियाँ, छोटी-छोटी सफलताओं, उन्नत पायदानों पर चलने की ललक को महसूस करना एक ऐसी कला है जो मन को असीम संतुष्टि से भर देती है और आप खुद को चार्ज महसूस करने लगते हैं।

अपने गुणों को पहचानें
यदि कोई आपके व्यक्तित्व पर नकारात्मक टिप्पणी करता है, तो इसे बुरी बात समझकर न लें। यह समझने की कोशिश करें कि क्या आपके अंदर कोई बुराई है। यदि है तो उसे दूर करने की कोशिश करें। यदि नहीं है तो टिप्पणी को भूल जाएं। ऐसे लोगों के सम्पर्क में रहें जो आपकी खामियों के जिक्र के साथ खूबियों की भी सराहना करें। आशावादी का साथ हर नजरिए से अच्छा होता है। निराशा और निगेटिव सोच के लोग निगेटिव एनर्जी ही देते हैं

दूसरों के अच्छे गुणों की प्रशंसा कीजिए।
ये नन्हीं-नन्हीं हीर कहानियों-सी बातें ही जीवन को चमकीला बनाती है। जैसे व्यवहार की आप दूसरों से आशा करती हैं, दूसरों के साथ भी वैसे ही पेश आइए। कभी कोई बात मन को छू जाए, कोई प्रशंसा मधुर एहसास दे जाए, जब बड़ों के आशीर्वाद आपको सहज मिल जाएं तो कहीं नोट कर लें। अपनी उपलब्धियां, अच्छी स्मृतियां, रिश्तों की गहरी जड़ों, पारिवारिक सुख-दुःख की तहरीरों, माता-पिता के कारूण्य भाव या उनके डाँटने के उन पलों को और महत्वपूर्ण गुणों को डायरी में लिखें।

अगली बार जब भी नकारात्मक या निराशावादी विचार आप पर हावी होने लगे तो अपनी डायरी पढ़िए। आप पाएंगी कि आपका तनाव कम हो रहा है। आपको पॉजीटिव एनर्जी मिल रही है जो आपको रिचार्ज करती है और आपका ख्याल रखने वाले लोग भी हैं तो जीवन और भी आसान और सुंदर हो जाता है। इसे व्यावहारिक जीवन में उतारकर देखिए, आपको सब कुछ आसान लगेगा। जीवन में सफलता पाने के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी खूबियों और खामियों को पहचानते हुए अपना लक्ष्य निर्धारित करें।

स्वयं को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें
सफलता का अर्थ यह बिल्कुल नहीं होता कि आप ढेर सारा धन कमाएं और बड़े बंगले में रहें। इसका अर्थ है कि प्रतिदिन आपने उस लक्ष्य को पाने की चेष्टा की है जिसे आपने लिए चुना है, जिसे आप अपने व्यक्तित्व के योग्य समझती हैं। लक्ष्य कैसा भी हो, वह हमारे अस्तित्व को अर्थ देता है। करियर में सफल होने के लिए अच्छी पढ़ाई, अच्छी परवरिश का काफी महत्व है, परंतु ऐसा भी हो सकता है कि किसी कारणवश बचपन में अच्छी परवरिश नहीं मिल पाई हो, कई अन्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा हो। इसका अर्थ यह तो नहीं कि अब कुछ नहीं किया जा सकता। अगर, आप महान लोगों की आत्मकथा पढ़ेंगे तो पाएंगे कि सारी विषम परिस्थितियों के बावजूद जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। जरूरत है स्वयं को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की।