आजकल पान मसाले का शौक बेहद प्रचलित है। इसकी शुरुआत बरसों पूर्व हुई थी। उस समय शायद ही लोगों में पान मसाले के प्रति इतनी चाहत रही हो। शुरू-शुरू में यह विशेष और सीमित वर्गों में ही पसंद किया जाता था, परन्तु आज यह इतनी तेजी से लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है कि प्रत्येक वर्ष लगभग एक अरब रुपए का पान मसाला बिक रहा है।

पान मसाला खाने का कारण

यद्यपि यह सभी जानते हैं कि पान मसाला स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, फिर भी लोग इसका सेवन करते हैं। आखिर इसका कारण क्या है? कई पान मसालों में नटमेग मिलाई जाती है, जिसमें माइस्टोन नामक पदार्थ होता है। इसी के कारण आनंद, आत्मसंतुष्टि और कई भावनात्मक अनुभूति के लक्षण पैदा होते हैं और यही मजा पान मसाला खाने को प्रेरित करता है। बस, एक बार खाने पर पान मसाले की आदत-सी पड़ जाती है और लोग हमेशा इसे मुख में डालकर चबाते रहते हैं।  

मुख व जबड़े पर बुरा प्रभाव 

पान मसाले का लगातार  सेवन  करने से मुख  की  श्लेष्मिक कलाएं नष्ट होने लगती हैं और धीरे-धीरे कठोर बन जाती हैं। फिर लगातार मुख में डाले रहने से उनमें सिकुड़न प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। इससे जबड़े का धीरे-धीरे खुलना भी कम हो जाता है।

पान मसाले में सुपारी के अतिरिक्त स्टार्च, केलामोन, कत्था, सेमल, मुसली पॉउडर, नकली सुपारी की बारीक कतरनें मिलाई जाती हैं। अक्सर फंगस लगी और सड़ी-गली सुपारी भी पीस दी जाती है, जो नुकसान-देह है। साथ ही कई दुष्ट प्रकृति के लोग लकड़ी का बुरादा भी मिला देते हैं। जर्दे वाला पान मसाला खाने से स्वास्थ्य पर और भी बुरा असर पड़ता है, लेकिन आजकल इसका चलन फैशन-सा हो गया है।

मेहमाननवाजी की शान पान मसाला 

पहले पहल पान मसाला बड़े डिब्बों में आता था और महंगा होने के कारण केवल संपन्न वर्ग तक ही प्रचलित था, परन्तु आज यह प्लास्टिक के छोटे-छोटे पैकेटों में साधारण आदमी तक पहुंचा दिया गया है। अब यह आसानी से छोटी-बड़ी दुकानों पर मिल जाता है। इस पान मसाले को गुटका भी कहा जाता है। मेहमाननवाजी में इसका इस्तेमाल करना अपनी शान समझा जाने लगा है।

पान मसाले की मांग को बढ़ाने में आकर्षक और लुभावने विज्ञापनों का विशेष योगदान है। बड़ों के साथ-साथ अब बच्चे और औरतें भी इसके आदी हो गए हैं।

मिलावट के कारण शारीरिक विकार

इसकी बढ़ती लागत और आम आदमी में इसके विशेष प्रचलन का फायदा उठाते हुए कई निर्माता इसमें कई तरह की मिलावट करते हैं। इनमें जरूरी वस्तुएं भी घटिया किस्म की प्रयोग की जाती हैं। शरीर के लिए हानिकारक सैकरीन भी कई ब्रांड के मसालों में मिलाई जाती है। आजकल इसके कई ब्रांड बाजार में आ गए हैं और मांग ज्यादा होने के कारण कई घटिया ब्रांड भी इसको पूरा कर रहे हैं।

पान मसाला तेज क्षारीय होने के कारण इससे न केवल मुख में, बल्कि गले में खराश, जिनजिवाइटीस, पायरिया और ऌफ्राइब्रोसिस हो जाता है। ज्यादा सेवन से मुख में कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

अनेक रोगों का जन्मदाता पान मसाला

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि पान मसाले का लम्बे समय तक प्रयोग करते रहने से ‘सबम्यूकस ऌफाइब्रोसिस’ रोग हो जाता है। इसमें मुख कम खुलता है और मसाले वाली वस्तुओं का सेवन करने से काफी जलन होती है। ऐसे रोगियों को मुख और भोजन नली का ‘कैंसर’ होने की संभावना रहती है। 

पान मसाले के अधिक प्रयोग से भोजन नली और आमाशय  पर सूजन आ जाती है। हृदय की धमनियां सिकुड़ सकती हैं और इससे ‘अल्सर’ भी हो सकता है। 

पान मसाले से कैंसर 

पान मसाले के सेवन से यद्यपि प्रारंभिक अवस्था में कोई विशेष लक्षण नहीं पाए जाते, लेकिन बाद में धीरे-धीरे मुख में असामान्य धब्बे बन जाते हैं, जिन्हें ‘ल्यूकोप्लेकिया’ कहते हैं। यह कैंसर होने के शुरुआत की महत्त्वपूर्ण अवस्था है। कई बार इसे खाने से घबराहट, छाती में जलन और दर्द, उल्टी व चक्कर आने की शिकायत हो जाती है। हृदयगति बढ़ जाती है और चेहरे तमतमाने लगता है।

पान मसाले की बढ़ती खपत और डॉक्टरों द्वारा इससे होने वाले नुकसान की चेतावनी के बाद सरकार ने इसे खाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए, इस पर उत्पादन कर 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा भी सरकार कुछ और ठोस कदम उठाने जा रही है। 

पान मसाले से कैंसर हो सकता है या नहीं, इस संबंध में प्रयोगशालाओं में जांच-पड़ताल अभी चल रही है। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए सरकार को चाहिए कि पान मसालों के प्रत्येक पैकेटों पर भी तम्बाकू की तरह सांकेतिक चेतावनी लिखी जाए और इसके लुभावने विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए। विज्ञापनों के तिलिस्म को तोड़ने के  लिए  विज्ञापनों का ही सहारा लेना होगा। सरकारी संचार माध्यम यह काम बखूबी कर सकते हैं। 

सरकार और स्वैच्छिक संगठन मिलकर विज्ञापनों द्वारा ऐसी मुहिम चला सकते हैं, जो पान मसाले के प्रचार का मुंहतोड़ जवाब दे सके और लोगों द्वारा पान के विकल्प के रूप में ढूंढ़े गए इस पान मसाले रूपी धीमे और मीठे जहर से छुटकारा दिला सके। पान मसाला खाने वालों को भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए इसे सेवन से  छुटकारा  पाने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन से वे असाध्य रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। 

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