पूरी दुनिया 11 अप्रैल को वर्ल्ड पार्किंसन डे मनाने के लिए तैयार है.इस साल का वर्ल्ड पार्किंसन डे विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हम पार्किंसन के मरीजों और देखभाल करने वालों के जीवन में सुधार लाने वाली रिसर्च और इलाज के विकल्पों की प्रगति को दर्शा रहे हैं. पार्किंसंस रोग दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है, न केवल उन लोगों को जिनमें ये डायग्नोज होता है, बल्कि उनके परिवारों और समाज को भी ये प्रभावित करता है.

पार्किंसन डिजीज एक पुरानी और बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिससे फिलहाल करीब 1 मिलियन अमेरिकी लोग प्रभावित हैं. इसमें ब्रेन का एक छोटा, गहरे रंग का हिस्सा शामिल होता है जिसे सब्सटेंशिया नाइग्रा कहा जाता है.

ये वो जगह होती है जहां आप अपने दिमाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले ज्यादातर डोपामाइन का उत्पादन करते हैं. डोपामाइन केमिकल मैसेंजर होते हैं जो नसों के बीच मैसेज भेजते हैं, जो मांसपेशियों के मूवमेंट के साथ-साथ ब्रेन के प्लेजर और रिवॉर्ड सेंटरों में शामिल लोगों को कंट्रोल करते हैं. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, सब्सटेंशिया नाइग्रा में कोशिकाओं का मरना सामान्य हो जाता है.

यह प्रक्रिया ज्यादातर लोगों में बहुत धीमी गति से होती है, लेकिन कुछ लोगों के लिए नुकसान तेजी से होता है, जो पार्किंसंस रोग की शुरुआत होती है. जब 50 से 60 प्रतिशत कोशिकाएं चली जाती हैं, तो मरीज के अंदर पार्किंसन बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉक्टर हिमांशु चंपनेरी ने कहा, ”पार्किंसन बीमारी से ग्रसित लोगों और उनके परिवारों को सपोर्ट करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. अवेयरनेस कैंपेन के जरिए, एजुकेशनल प्रोग्राम के जरिए और अन्य प्रयासों के जरिए हमारा मकसद इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में लोगों की समझ बढ़ाना है. वर्ल्ड पार्किंसन डे के अवसर पर ग्लोबल लीडर्स से ये अपील की जाती है कि वे पार्किंसन रोग वाले मरीजों की लाइफ क्वालिटी में सुधार के लिए आवश्यक उपाय लागू सुनिश्चित करें. राष्ट्रीय नेताओं और नीति निर्माताओं के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए रणनीतियों और नीतियों को तैयार करने के लिए परिवार पर बीमारी के गहरे प्रभाव को स्वीकार करें.

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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम में फैसिलिटी डायरेक्टर नीता रजवार ने कहा, ”हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे पार्किंसन रोग से प्रभावित लोगों के इस्तेमाल होने वाले लेटेस्ट रिसर्च और ट्रीटमेंट विकल्पों के बारे में सजग रहें. हमारे डॉक्टर हमेशा सीमाओं के परे जाकर मरीज का इलाज करने के प्रयास करते हैं. जेनेटिक्स को ध्यान में रखते हुए बीमारियों को प्राथमिकता देना भी मरीजों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.इस वर्ल्ड पार्किंसन डे पर हम पार्किंसन मरीजों के लिए फिजिकल एक्टिविटी और एक्सरसाइज के फायदों को बढ़ाना चाहते हैं.”

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भारत में पार्किंसन डिजीज (पीडी) का प्रसार बढ़ रहा है. तनाव और आर्टेरियल ब्लड डिसऑर्डर के कारण पार्किंसन डिजीज बढ़ने का खतरा रहता है. इसके अलावा टाइप 2 डायबिटीज मेलेटस, मेल जेंडर, सिर की चोट और ट्रामा जैसे रिस्क फैक्टर भी पीडी होने का कारण बनते हैं. जेनेटिक हिस्ट्री और अल्जाइमर रोग के कारण भी पीडी पनपता है. पार्किंसन डिजीज (पीडी) मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कई हार्ट रिस्क फैक्टर के कारण भी जटिल हो जाता है.