Overview: टूथपेस्ट से सिर्फ शुगर नहीं बढ़ सकती है ये डेंटल प्रॉब्लम भी, करें सही प्रोडक्ट का चुनाव
Toothpaste can not only increase sugar but also cause dental problems; choose the right product
Toothpaste and Diabetes: ओरल हेल्थ और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है। इस विषय में एक सवाल जो अक्सर उठता है, वह यह है कि क्या मीठे टूथपेस्ट का उपयोग डायबिटीज को बढ़ा सकता है? जी हां, टूथपेस्ट में मौजूद कुछ अवयव, जैसे आर्टिफीशियल स्वीटनर और शुगर अल्कोहल, ब्लड शुगर पर असर डाल सकते हैं। लेकिन क्या यह असर इतना गंभीर है कि शुगर लेवल बढ़ने का कारण बन सकता है। चलिए जानते हैं टूथपेस्ट कैसे डेंटल समस्याओं और ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है और साथ ही जानते हैं सही टूथपेस्ट का चयन कैसे करें।
टूथपेस्ट और ब्लड शुगर का संबंध

क्या टूथपेस्ट के अवयव ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकते हैं? यह सवाल बिल्कुल जायज है, क्योंकि ओरल हेल्थ और ओवरऑल हेल्थ एक-दूसरे से जुड़ी होती है। टूथपेस्ट में मौजूद कुछ सामग्रियां, हालांकि कम मात्रा में, मुंह के म्यूकस मेम्ब्रेन के माध्यम से एब्जॉर्ब हो सकती हैं या गलती से निगली जा सकती हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल पर असर पड़ सकता है।
टूथपेस्ट के कंपाउंड ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करते हैं
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स: टूथपेस्ट में स्वाद के लिए अक्सर एस्पार्टेम, सैकरीन या सुक्रालोज जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का उपयोग होता है। कुछ शोध बताते हैं कि ये मिठास शरीर की ब्लड शुगर नियंत्रण की प्राकृतिक क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे ग्लूकोज इंटॉलरेंस हो सकती है।
शुगर अल्कोहल: सॉर्बिटॉल और जाइलिटॉल जैसे शुगर अल्कोहल टूथपेस्ट में चीनी के विकल्प के रूप में उपयोग होते हैं। जाइलिटॉल का ब्लड शुगर पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है और यह डायबिटीज रोगियों के लिए सुरक्षित माना जाता है। लेकिन सॉर्बिटॉल की अधिक मात्रा पेट की समस्याएं पैदा कर सकती है।
अन्य अवयव: कुछ स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट और प्रिजर्वेटिव्स भी ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकते हैं।
खराब टूथपेस्ट से हो सकती हैं ये डेंटल प्रॉब्लम
दांतों की सतह का घिसना: कई टूथपेस्ट में अपघर्षक तत्व, जैसे सिलिका या कैल्शियम कार्बोनेट होते हैं, जो दांतों को साफ करने में मदद करते हैं। लेकिन अगर टूथपेस्ट में ये तत्व अधिक मात्रा में हों तो दांतों की बाहरी परत को नुकसान पहुंच सकता है।
मसूड़ों में जलन और सूजन: अधिक मीठा टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से मसूड़ों में सूजन की समस्या हो सकती है। कुछ टूथपेस्ट में सोडियम लॉरिल सल्फेट (SLS) जैसे रसायन होते हैं, जो झाग बनाने में मदद करते हैं। लेकिन ये सूजन की समस्या को बढ़ावा दे सकते हैं।
टूथ डिके: कई सस्ते या खराब टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा अपर्याप्त होती है या बिल्कुल नहीं होती। फ्लोराइड दांतों के इनेमल को मजबूत करता है और कैविटी (दांतों में सड़न) को रोकने में मदद करता है। अगर टूथपेस्ट में फ्लोराइड नहीं है या इसकी गुणवत्ता खराब है, तो यह दांतों को बैक्टीरिया और प्लाक से बचाने में असमर्थ होता है।
सांस की दुर्गंध: अत्यधिक मीठे टूथपेस्ट में एंटीबैक्टीरियल गुणों की कमी हो सकती है, जो मुंह में बैक्टीरिया को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। बैक्टीरिया की अधिकता सांस की दुर्गंध (हैलिटोसिस) का कारण बनती है। कुछ टूथपेस्ट में कृत्रिम मिठास या स्वाद बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो बैक्टीरिया को और बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे सांस की दुर्गंध की समस्या बनी रहती है।
दांतों का पीलापन: कई खराब टूथपेस्ट दांतों के दाग को हटाने में प्रभावी नहीं होते। कुछ में व्हाइटनिंग गुणों का दावा किया जाता है, लेकिन वास्तव में वे दांतों की सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डायबिटीज में हो सकती है ये डेंटल प्रॉब्लम

– मसूड़ों से खून आना
– मसूड़े सिकुड़ना या लाल होना
– सांस की दुर्गंध
– दांतों का ढीला होना
– दांतों के बीच में गैप
– गर्म या ठंडे पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता
– दांत दर्द या चबाने में दर्द
कैसे करें सही टूथपेस्ट का चुनाव
फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट: फ्लोराइड दांतों को क्षय से बचाता है। सुनिश्चित करें कि टूथपेस्ट में पर्याप्त मात्रा में फ्लोराइड हो।
कम RDA टूथपेस्ट: टूथपेस्ट का RDA स्तर जांचें। कम RDA वाला टूथपेस्ट इनेमल के लिए सुरक्षित होता है।
संवेदनशील मसूड़ों के लिए टूथपेस्ट: अगर आपके मसूड़े संवेदनशील हैं, तो SLS-मुक्त टूथपेस्ट चुनें।
ADA स्वीकृति: अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन (ADA) की स्वीकृति वाला टूथपेस्ट सुरक्षित और प्रभावी होता है।
प्राकृतिक अवयव: कृत्रिम रंग, स्वाद या प्रिजर्वेटिव्स से बचें और प्राकृतिक अवयवों वाले टूथपेस्ट चुनें।
