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कई बार पेरेंट्स कुछ बातों को लेकर कंफ्यूज भी होते हैं। इन्हीं में से एक है डिस्पोजेबल डायपर्स का उपयोग। अक्सर घर की बुजुर्ग महिलाएं डिस्पोजेबल डायपर्स के उपयोग करने पर एतराज जताती हैं। वे मानती हैं कि डायपर के ज्यादा उपयोग से बच्चे बीमार हो जाते हैं।
Diaper Side Effects: पेरेंटिंग एक खूबसूरत सफर है। यह ढेर सारी खुशियों, प्यार और अनगिनत खास पलों से भरी है। हालांकि यह बात सच है कि इसमें चुनौतियां भी बहुत सारी हैं। जब बात बच्चे की सेहत और बेसिक हाइजीन की आती है तो यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पेरेंट्स सही फैसला लें। कई बार पेरेंट्स कुछ बातों को लेकर कंफ्यूज भी होते हैं। इन्हीं में से एक है डिस्पोजेबल डायपर्स का उपयोग। अक्सर घर की बुजुर्ग महिलाएं डिस्पोजेबल डायपर्स के उपयोग करने पर एतराज जताती हैं। वे मानती हैं कि डायपर के ज्यादा उपयोग से बच्चे बीमार हो जाते हैं। कुछ लोगों का यह भी तर्क होता है कि इससे बच्चों की चाल खराब हो सकती है। आज जानते हैं कि आखिर कितनी सही हैं ये आशंकाएं।
हो सकती है जलन और एलर्जी

विशेषज्ञों के अनुसार डिस्पोजेबल डायपर में अक्सर रसायन और सिंथेटिक सामग्री का उपयोग किया जाता है। ये बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इन रसायनों के कारण स्किन पर जलन, एलर्जी, चकत्ते, रैशेज जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में हमेशा हाइपोएलर्जेनिक डायपर्स का ही उपयोग करना चाहिए।
बढ़ सकता है फंगल इंफेक्शन का खतरा
बच्चों को ज्यादा देर तक डायपर पहनाने से बैक्टीरिया पनपने और फंगल इंफेक्शन जैसे खतरे काफी बढ़ जाते हैं। खासतौर पर बच्चियों को डायपर पहनाने से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की आशंका काफी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार जब बच्चे डायपर में सूसू या पॉटी कर देते हैं और समय पर इसे बदला न जाए तो इससे एसिडिक और एल्कलाइन बैक्टीरिया मिल जाते हैं, जिससे तेजी से इंफेक्शन फैल सकता है। इसलिए अगर आप बच्चे को डायपर पहना रहे हैं तो एक से दो घंटे में इन्हें चेंज करें। बार-बार इन्हें चैक भी करते रहें।
बच्चे महसूस करते हैं असहज
साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार डायपर भले ही बच्चों को यूरिन के गीलेपन से आराम दिलाते हैं। लेकिन इन्हें पहनने से बच्चे असहज महसूस करते हैं। अध्ययन के अनुसार डायपर की कमर और क्रॉच बेल्ट की मोटाई को कम करके डायपर को बच्चों के लिए आरामदायक बनाया जा सकता है। अध्ययन के अनुसार सामान्य आकार के डायपर पहनने से शिशुओं के निचले अंगों की हरकतें सीमित होने का डर रहता है। इससे उनके घुटनों का मूवमेंट भी कम हो सकता है। यानी डायपर का क्रॉच एरिया या क्रॉच बेल्ट जितना चौड़ा होता है, बच्चों का मूवमेंट उतना ही प्रभावित होने की आशंका होती है।
चौड़े डायपर हैं खतरनाक
अध्ययन में यह भी सामने आया कि डायपर का आकार छोटे शिशुओं के निचले अंगों यानी एंटी ग्रेविटी लिम्ब मूवमेंट की सहज हरकतों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चौड़े डिस्पोजेबल डायपर पहनने से चलने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं डायपर पहनने वाले शिशुओं में कम परिपक्व चाल पैटर्न दिखाई देते हैं। वे गलत कदम ज्यादा उठाते हैं और चलने के दौरान गिरते भी ज्यादा हैं। सिर्फ डायपर ही नहीं बल्कि कपड़े भी छोटे शिशुओं की हरकत को प्रभावित कर सकते हैं।
डायपर पहनाएं, लेकिन सावधानी से
यह बात सही है कि आज के समय में डायपर हर पेरेंट्स के लिए एक सहूलियत है। वहीं बच्चे को भी इससे गीलापन महसूस नहीं होता। लेकिन इसका इस्तेमाल हमेशा सोच समझकर करें। बच्चे को हर वक्त डायपर पहनाने की भूल न करें। जब आप कहीं बाहर जाएं या जरूरत हो, तब ही डायपर पहनाएं। डायपर को एक से दो घंटे बाद चेंज कर दें। बच्चे ने अगर डायपर में एक बार यूरिन कर लिया है तो उसे तुरंत चेंज करें। एक बार यूज किए गए डायपर को वापस रियूज करने की भूल न करें। डायपर ऐसा लें, जिसकी अवशोषण की क्षमता ज्यादा हो और क्रॉच एरिया पतला हो। ध्यान रखें कुछ सावधानियां आपके बच्चे को कई परेशानियों से बचा सकती हैं।
