इन दिनों सलाद में कच्ची सब्जियां खाने का चलन शुरू हो गया है लेकिन हमारे लिए हर सब्जी का कच्चा सेवन घातक हो सकता है।
Healthy Foods: आजकल एक नया ट्रेंड सुनने को मिल रहा है, ‘पूरी तरह से सिर्फ कच्चा खाना खाने का। सच मानिए, कच्चे खाने के फायदे बहुत हैं। इससे ज्यादा पौष्टिकता मिलती है, शरीर का डिटॉक्स होता है, एलर्जी कम होती है, ऊर्जा बढ़ती है, इम्युनिटी और याददाश्त बढ़ती है, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस और डायबिटीज का
खतरा कम होता है। साथ ही, यह वजन घटाने में भी मदद करता है क्योंकि इसमें कैलोरी, वसा और सोडियम कम और फाइबर ज्यादा होता है। कच्चे खाने से शरीर का पीएच बैलेंस सुधरता है, एसिडिटी कम होती है और सूजन में राहत मिलती है। साथ ही, इससे आप प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड्स जैसे- ब्रेड, बॉटल्ड सॉस, सीरियल्स,
चीज और प्रोसेस्ड मीट आदि से भी दूरी बनाते हैं। और हां, इस डाइट पर आपका किचन गैस स्टोव भी आराम करता है क्योंकि ज्यादातर फल, सब्जियां और अनाज कच्चे ही खाए जाते हैं।
लेकिन सिर्फ कच्चे खाने पर पूरी तरह जाने से पहले मेरी बात सुन लें। जहां सिर्फ कच्चा खाने के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं। कच्चे खाने की सबसे बड़ी चुनौती है प्रोटीन, विटामिन बी 12 और आयरन जैसी जरूरी न्यूट्रिएंट्स का पर्याप्त मात्रा में ना मिलना। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ये पोषक तत्व आमतौर पर ऐसे खाने में मिलते हैं जो कच्चे नहीं खाए जा सकते, जैसे- बीन्स, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन। अगर इनकी कमी हो गई तो आपको सप्लिमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है।
दूसरी बात, यह धारणा कि खाना पकाने से उसके सारी पौष्टिकता और एंजाइम नष्ट हो जाते हैं, पूरी तरह सही नहीं है। सच्चाई यह है कि कुछ विटामिन पकाने से सक्रिय होते हैं और कुछ कच्चे खाने पर ज्यादा मिलते हैं।
जैसे- पकाने से बीटा कैरोटीन और लाइकोपीन जैसे न्यूट्रिएंट्स बढ़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, पालक में ल्यूटिन होता है और इसे पकाने से यह ज्यादा आसानी से शरीर में एब्जॉर्ब होता है। टमाटर का
लाइकोपीन भी पकाने पर ज्यादा फायदेमंद होता है। केल, ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों के साग जैसी कुछ सब्जियों में गोइट्रोजन कंपाउंड पाया जाता है, जो ज्यादा मात्रा में थायरॉयड फंक्शन को ब्लॉक
कर सकते हैं और हाइपोथायरायडिज्म में योगदान कर सकते हैं, लेकिन ये ज्यादातर गर्मी और खाना पकाने से निष्क्रिय हो जाते हैं। साथ ही, कुछ शोध में पाया गया है कि शिमला मिर्च और मशरूम पकाने से उनमें
पौष्टिकता बढ़ जाती है।

तीसरा, कुछ खाद्य पदार्थ पकाने के बाद ज्यादा पचना शुरू हो जाते हैं, क्योंकि उनका फाइबर टूट जाता है, जिससे पाचन आसान हो जाता है। जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं हैं, जैसे- अल्सरेटिव कोलाइटिस,
उनके लिए पका हुआ खाना बेहतर होता है। अगर हम खाने में मौजूद विटामिन और खनिजों को पचाने में असमर्थ हैं, तो पोषण की कमी और बीमारियां हो सकती हैं। चीनी चिकित्सा के अनुसार, ज्यादा कच्चा या ठंडा
खाना खाने से पाचन धीमा हो सकता है, जिससे सुस्ती, ढीले मल और पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
चौथा, यह प्लान लंबे समय तक फॉलो करना काफी मुश्किल है। ‘सिर्फ कच्चा खाना प्लान काफी सीमित है और कच्चा खाना बनाना भी उतना आसान नहीं है, जितना लगता है। कई फूड आइटम्स को
कच्चा खाने के लिए तैयार करने में काफी समय और मेहनत लगती है। आपको खासतौर पर कुछ चीजें खरीदने के लिए स्पेशलिटी स्टोर्स जाना पड़ सकता है। साथ ही साथ, आपके किचन स्किल्स भी अच्छे
होने चाहिए। बाहर खाना खाना भी एक चुनौती बन सकता है।
खाना पकाने के फायदे
खाना पकाने का एक बड़ा फायदा है- यह हमें फूड-बॉर्न पैथोजेन्स से बचाता है। सिर्फ कच्चा खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है, खासकर अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है।
समाधान
मेरा सुझाव है कि पूरी तरह कच्चे खाने पर शिफ्ट होने के बजाय, अपने खाने में ज्यादा नेचुरल और रियल फूड शामिल करें। कोशिश करें कि आपके डाइट का करीब एक-तिहाई हिस्सा कच्चा हो। रोज एक वेजिटेबल जूस, एक सलाद और दो कच्चे फल खाकर आप एक तिहाई कच्चे फूड के गोल्स को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
जो भी बदलाव करें, धीरे-धीरे करें। आप संतुलन बनाए रखें, ताकि सेहत का पूरा फायदा उठाया जा सके।
भोजन की तासीर समझें
गर्मी और बरसात के दिनों में कच्चा सलाद लेने से परहेज करें क्योंकि इन दिनों सब्जियों में ‘खराब बैक्टीरिया’ बढ़ जाते हैं।
