Precaution After Miscarriage: मां बनना हर महिला के लिए दुनिया का सबसे अनूठा अहसास होता है। शादी के बाद प्रेग्नेंसी प्लान करने और कंसीव होने के साथ अपनी फैमिली और बच्चों केा लेकर हजारांे सपने बुनती है। लेकिन कई कारणो से उनका गर्भ ठहर नही पाता और गर्भपात होने से उनके सपने बिखर जाते हैं। महिला-पुरुष दोनों के लिए दुखदायी और मानसिक तनाव से भरपूर होता है।
क्यों होता है गर्भपात-
गर्भपात के 70-80 प्रतिशत मामलों के पीछे जेनेटिक कमी मूल वजह होती है। यानी पहली तिमाही में गर्भ में पल रहे भ्रूण में होने वाले सेल्स डिवीजन के दौरान कोई कमी होती है, तो प्राकृतिक रूप् से ऐसी प्रेगनेंसी अपने आप खत्म हो जाती है। 10-15 प्रतिशत गर्भपात हार्मोन्स असंतुलन के कारण होती है या फिर थायराॅयड होने, वायरल इंफेक्शन, तेज बुखार, यूटरस की शेप में कोई कमी होने पर भी गर्भपात हो जाता है। गर्भपात चाहे हो या अनचाहे, महिला को कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है।
कितना आराम करना जरूरी-
जब गर्भपात पहली तिमाही में होता है, तो प्रेगनेेंसी छोटी रहती है। गर्भपात होने से गर्भाशय का मुंह खुल जाता है और महिला को ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।पहली तिमाही में होने वाले गर्भपात के बाद ज्यादा आराम करने की जरूरत नहीं होती। जब गर्भपात अपने आप होता है तो ब्लीडिंग ज्यादा होती है, जिससे कमजोरी और थकान ज्यादा हो सकती है-तब महिलाओं को 8-10 दिन तक आराम करना चाहिए। लेकिन जब गर्भपात सर्जरी के माध्यम से कराया जाता है। एनेस्थीसिया दिया जाता है, डाॅक्टर गर्भ में पल रहे भ्रूण को बाहर निकाल देते हैं। ब्लीडिंग बहुत कम होती है जिससे कमजोरी और थकान भी ज्यादा महसूस नहीं होतीं। कुछ महिलाएं 4-5 घंटे बाद नाॅर्मल लगने लगता है और वो अपनी एक्टिीविटी करने लग जाती हैं।
यह गलत है। महिलाओं को कम से कम 24 घंटे आराम जरूर करना चाहिए। और अगले 7 दिनों तक उन्हें हल्के-फुल्के काम ही करने चाहिए।

एंटीबाॅयोटिक दवाओं का कोर्स करें पूरा-
गर्भपात होने के बाद महिलाओं को डाॅक्टर के परामर्श से एंटीबाॅयोटिक का कोर्स जरूर पूरा करना चाहिए। गर्भाशय का मुंह खुल जाता है, ब्लीडिंग होती है। जो बैक्टीरिया को पनपने में बहुत सहायक होता है और महिला संक्रमण की चपेट में आ सकती है। इससे बचने के लिए महिला को एंटी बाॅयोटिक दवाइयां लेनी जरूरी है।
समस्या हो, तो नजरअंदाज न करें-
अपने-आप या दवाइयों से गर्भपात होने की स्थिति में यह रिस्क रहता है कि गर्भपात आधा-अधूरा न हो। गर्भपात के एक सप्ताह के बाद महिला को अगर हैवी ब्लीडिंग होना, तेज बुखार होना, योनि के स्राव में दुर्गन्ध आना, पेट में क्रैम्प्स आना और तेज दर्द होना जैसे लक्षण इस बात का संकेत देते हैं। महिला को बिना देर किए डाॅक्टर को कंसल्ट करना जरूरी है,वरना इंफेक्शन का खतरा रहता है।

फिजीकल रिलेशन करें अवायड-
गर्भपात के बाद कम से कम 15 दिन तक इंटरकोर्स अवायड करना चाहिए। गर्भपात के बाद गर्भाशय का मुंह खुल जाता है। इंटरकोर्स करने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही अगर महिलाएं पीरियड के दौरान वजाइना मे ंडालने वाले टैम्पून, मेनस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन इन चीजांे को गर्भपात होने के बाद होने वाली ब्लीडिंग के लिए 15 दिन तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वजाइना के अंदर कोई भी चीज डालने से भी संक्रमण का खतरा रहता है।
संभव है कि गर्भपात के एक महीने के अंदर ही आप दुबारा प्रेगनेंट हो जाएं। लेकिन जल्दी प्रेगनेंसी हमारे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं होगी। इसलिए ध्यान रखें कि इंटरकोर्स के दौरान कंडोम जैसे गर्भनिरोधक तरीके जरूर अपनाने चाहिए। गर्भपात के तुरंत बाद सबसे पहला पीरियड एक से 2 महीने तक भी आ सकता है।
अगली प्रेगनेंसी कब प्लान करें-
गर्भपात के बाद अगली प्रेगनेंसी के लिए कम से कम 3 महीने के अंतराल जरूरी है ताकि महिलाओं को अपने शरीर में हीलिंग और रिकवर होती है। इस दौरान महिलाओं को आहार में अच्छी मात्रा में फोलिक एसिड, विटामिन बी 12, विटामिन डी 3 , एंटीआॅक्सीडेंट रिच डाइट या डाॅक्टर के परामर्श से सप्लीमेंट जरूर लेने चाहिए। इससे अगली प्रेगनेंसी में गर्भपात होने का रिस्क कम हो जाता है।
संभव है कि गर्भपात के एक महीने के अंदर ही महिला दुबारा प्रेगनेंट हो जाएं। लेकिन जल्दी प्रेगनेंसी उसके स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं होती। इसलिए ध्यान रखें कि इंटरकोर्स के दौरान कंडोम जैसे गर्भनिरोधक तरीके जरूर अपनाने चाहिए।
ब्लड ग्रुप का रखे ध्यान-
गर्भपात होने पर महिला का ब्लड ग्रुप जानना बहुत जरूरी होता है। जब महिला का ब्लड ग्रुप नेगेटिव और पार्टनर का पॉजिटीव होता है। तो गर्भपात के बाद महिला को एंटी-डी का इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। ताकि महिला के शरीर में उस पोजीटिव ब्लड ग्रुप के लिए एंटीबाॅडीज न बनें जिससे भविष्य में होने वाली प्रेगनेंसी में किसी तरह की समस्या न हो। महिला के लिए जरूरी है कि अगली प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले अपना बाॅडी चैकअप अच्छी तरह कराएं और शरीर में होने वाली कमियों को दूर करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
दुबारा गर्भपात से बचाव संभव-

अक्सर महिलाएं गर्भपात के बाद मानसिक तनाव में रहती हैं। यहां तक कि दूसरों को इसका दोषी ठहराती हैं। लेकिन यह ठीक नहीं है क्योकि मेडिकल साइंस ने साबित कर दिया है कि गर्भपात जेनेटिक कारणों से ज्यादा होता है। यह भी संभव नहीं है कि महिला एक बार गर्भपात के हादसे से गुजरी है, तो जरूरी नहीं कि दुबारा गर्भपात होे। सिर्फं 20 प्रतिशत मामले ही ऐसे होते हैं। अगली बार अक्सर महिलाओं को नाॅर्मल प्रेगनेंसी ही होती है।
महिलाओं को तनाव से बचने की भरसक कोशिश करनी चाहिए। इन चीजों के बारे में बिल्कुल नही सोचना चाहिए। पाॅजीटिव सोचें। अपने आपको व्यस्त रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए अपनी हाॅबीज को अंजाम दें। अपना सोशल सर्कल बढाएं, दोस्तो-रिश्तेदारों से अपने मन की बातें शेयर करें। अच्छी किताबें पढ़े।
दें अपनी डाइट पर ध्यान-
गर्भपात के बाद महिलाओं को अपनी डाइट पर ध्यान देना जरूरी है । गर्भपात होने से बहुत ज्यादा मात्रा में ब्लड लाॅस होता है, हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो सकती है। इसे देखते हुए पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लें। आहार में पालक, मेथी, चुकुंदर जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध और दूध से बने पदार्थ, दाल, अंकुरित अन्न, अनार जैसे फल, ड्राई फ्रूटस का सेवन अच्छी मात्रा में करें। नारियल पानी, नींबू पानी, जूस, सूप, लस्सी, छाछ जैसे तरल पदार्थो का सेवन ज्यादा करें। ताकि डिहाइड्रेशन न हो और ब्लड प्रेशर मेंटेन रहे। गर्भावस्था के बाद शरीर जल्दी से जल्दी रिकवर कर जाए और अगली प्रेगनेंसी 3 महीने में प्लान कर सकें। ब्लड टेस्ट और हीमोग्लोबिन लेवल की जांच के बाद डाॅक्टर आपको आयरन, विटामिन बी 12, डी 3, एंटी आॅक्सीडेंट की दवाई भी देते हैं। इनके बिना नागा सेवन करने से भविष्य में नेचुरली गर्भपात होने की संभावना कम हो जाएगी।
रहें एक्टिव-
महिलाओं को गर्भपात के बाद हल्की एक्सरसाइज , वाॅक या योगासन जरूर करनी चाहिए। इससे वो फिट रहेंगी। इससे उनके अंदर पोजीटिव हार्मोन का निर्माण होगा, हार्मोन्स का स्राव नियमित होगा, नेगेटिविटी कम हो जाएगी। प्रेगनेंसी में किसी तरह की समस्या आने की संभावना कम रहेगी।
