Side Effects of Abortion: छोटे एकल परिवार की अभिलाषा हो या अनचाही प्रेग्नेंसी, इन दोनों ही परिस्थिति में गर्भपात कराया जाता है। भले ही विश्व में जगह-जगह गर्भपात के अधिकार पर बहस तो छिड़ी हुई है पर इसके मानसिक दुष्प्रभाव महिलाओं को अवसाद की ओर धकेलते हैं।
अकसर देखा गया है कि समाज का औरत के शरीर पर अधिक दबदबा होता है। समाज कहता है कि परिवार के लिए एक बेटा जरूरी है तो औरत समाज की इस बात को खुद की एक कामना मानकर बेटे को मांगने लग जाती है। वह पूजा-पाठ करती है, व्रत का संकल्प लेती है सिर्फ इसलिए कि उसे एक बेटा चाहिए।
हम भले ही मॉडर्न जमाने में जी रहे हैं लेकिन सामाजिक रूप से अभी भी कहीं न कहीं पिछड़े हुए हैं। एक गृहलक्ष्मी जरूर खुद को इस बात से जोड़कर देख पा रही होगी क्योंकि यह समस्या हर घर में आम हो चुकी है। समाज की बेटे की इच्छा ही एक समय आने पर गर्भपात कराने का कारण भी बन जाती है। इतना ही नहीं मॉडर्न जमाना भी गर्भपात कराने की एक प्रमुख वजह बन गया है क्योंकि एकल और छोटा परिवार अब महिलाओं को अधिक रास आने लग गया है, जिसके कारण कई बार गर्भपात की स्थिति बन जाती है। फिर यहीं से शुरू होती है गर्भपात से जुड़ी चुनौतियां क्योंकि ज्यादातर औरतें इस बात से वाकिफ ही नहीं है कि गर्भपात की प्रक्रिया से गुजरने के बाद उन्हें क्या-क्या झेलना पड़ सकता है।
गर्भपात के प्रभाव
मानसिक प्रभाव

- गर्भपात शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से प्रभावित करता है पर इसके शारीरिक कम और मानसिक प्रभाव अधिक है। यदि आपको एक अनचाहा गर्भ हो और आप उस गर्भ को हटाना चाहती हैं तो आपको गर्भपात का मौका या सुविधा न मिले तो ये ही अपने आप में ही एक मानसिक समस्या को जन्म देता है।
- वहीं इच्छानुसार गर्भपात करवाने वाली महिलाओं पर मानसिक तनाव तब पड़ता है जब उन्हें गर्भपात का भय हो, गर्भपात से जुड़े दर्द या खून बहने का डर हो।
- अगर गर्भपात वे किसी के दबाव में आकर करवा रही हैं तो उन पर मानसिक प्रभाव ये पड़ता है कि वो उस बच्चे से लगाव रखती हैं, जिससे वे दु:खी हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप अवसाद उन्हें घेर लेता है। जिस प्रकार डिलीवरी के बाद डिप्रेशन होना एक आम बात है तो गर्भपात के बाद भी अवसाद होना उसी के समान है।
गर्भवस्था में तनाव मुक्त Video
शारीरिक प्रभाव

- रक्त अधिक बाहर निकलने से सांस फूलना, थकान होना।
- गर्भपात में क्योंकि गर्भ की सफाई हो रही है तो इन्फेक्शन की संभावना अधिक रहती हैं, ज्यादातर उन महिलाओं को जिनका पहले सिजेरियन हुआ हो।
- औजारों से गर्भपात कराने से बच्चेदानी में छेद होने का डर रहता है।
- जरूरत से ज्यादा बार औजरों से गर्भपात कराने से झिल्ली पर पर्दा बन जाता है, जिसे एशरमैन सिंड्रोम कहा जाता है। इसमें बच्चेदानी की नीचे और ऊपर की सतह आपस में चिपक जाती है। इससे गर्भधारण में परेशानियां आती हैं।
गर्भपात के बाद आने वाली परेशानियां
गर्भपात के बाद दिक्कतें आती है या नहीं तो आपको बता दें कि यदि गर्भपात का तरीका ठीक हो तो उसके बाद आपको किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। गर्भपात में यदि औजारों का इस्तेमाल हुआ है तो इससे कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। यदि डॉक्टर उन औजारों का ठीक ढंग से इस्तेमाल न करें तो इससे गर्भधारण में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भपात के बाद ध्यान रखने योग्य बातें

- कुछ दिनों तक शरीर से खून जाएगा और इस दौरान किसी तरह का इन्फेक्शन न हो इस बात का खास ख्याल रखा जाए। लगातार गाढ़े लाल खून का रिसाव होना, उसमें बदबू आना, बुखार रहना, पेट में दर्द ये सभी इन्फेक्शन के लक्षण हैं।
- इस दौरान शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
- जब डॉक्टर बोले कि सब ठीक है तो उसके बाद अनचाहे गर्भधारण से बचाव करने के लिए विकल्पों का प्रयोग करें।
- अगर खून का स्राव हुआ है तो शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाएगी, इसके लिए आयरन युक्त चीजों का सेवन करें ताकि कमजोरी न आये।
- यदि आपका 12 हफ्ते से पहले का गर्भ है तो 3 हफ्ते का गैप दें और अगर उसके बाद का गर्भ है तो 3 महीने का गैप दें।
- गर्भपात के 2-3 हफ्ते बाद डॉक्टर के पास अवश्य जाएं, ये जानने के लिए कि गर्भपात पूर्ण रूप से हुआ है या नहीं।
| MTP क्या है? भारत में कुछ शर्तों के आधार पर और एक निश्चित अवधि के भीतर महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया गया है। कानून की माने तो भारत में महिलाओं को 24 हफ्ते से पहले गर्भपात की अनुमति दी गई है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में संशोधन कर साल 2021 में गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दिया गया। गर्भधारण चिकित्सीय समाप्ति अधिनियम के माध्यम से गर्भपात आपकी इच्छानुसार तो होता है पर उसमें सरकार की सहमति की आवश्यकता होती है। अनचाहे गर्भ को हटाने की प्रक्रिया को ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी कहा जाता है। MTP क्या आपका अधिकार है? अगर आप बालिग है चाहे आप विवाहित हो या नहीं आपके पास गर्भपात का अधिकार है। आपको अपने पति/पार्टनर, सास-ससुर या किसी से भी सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। भारत सरकार किन परिस्थितियों में गर्भपात करने की अनुमति देती है? गर्भ नहीं चाहना, गर्भनिरोधक का फेल हो जाना, गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई कमी निकलना, गंभीर रोग होना, जीवन पर खतरा होना जैसी परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति मिलती है। MTP के तरीके : 1. एक गर्भनिरोधक गोली के माध्यम से 2. दूसरा सर्जिकल एबॉर्शन यानी औजारों के माध्यम से 3. तीसरा एक डिलीवरी प्रक्रिया द्वारा। |
(स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ स्पेशलिस्ट, डॉ. पूजा दीवान से बातचीत पर आधारित)

