Diet for Breastfeeding
Diet for Breastfeeding

Diet for Breastfeeding: शिशु के लिए मां का दूध एक वरदान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी यही सलाह है कि जन्म से 6 महीने तक शिशु के लिए केवल स्तनपान ही सर्वोत्तम आहार है।

यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि स्तनपान माताओं और शिशुओं, दोनों के लिए अच्छा है। मां का दूध चमत्‍कारिक है क्योंकि यह बच्चे के बड़े होने के साथ उसकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है।
स्तनपान करने वाले बच्चों को अस्थमा, मोटापा, टाइप-1 मधुमेह, सांस की बीमारी, कान में संक्रमण, अचानक मृत्यु सिंड्रोम और कोई अन्य संक्रमण होने का खतरा कम होता है।
स्तनपान कराने वाली मां को भी बहुत लाभ मिलता है। यदि मां अपने बच्‍चे को अधिक समय तक स्तनपान कराती है तो उन्‍हें कैंसर, मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा तथा कई अन्‍य बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।
अगर वह स्तनपान नहीं कराने का विकल्प चुनती हैं तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं-

  • शिशुओं को स्तनपान नहीं कराने से संक्रामक रोगों की समस्‍या बढ़ सकती है, जिनमें ओटिटिस मीडिया, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और निमोनिया शामिल हैं, साथ ही बचपन में मोटापा, टाइप-1 और टाइप-2 मधुमेह, और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) का भी उच्च जोखिम रहता है।
  • समय से पहले जन्‍मे नवजात को स्तनपान नहीं कराने से उनमें नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस (एनईसी) का खतरा बढ़ जाता है।
  • स्‍तनपान नहीं कराने वाली माताओं में प्री-मेनोपॉजल स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के (ओवेरियन) कैंसर, गर्भ के समय बढ़ा वजन बना रहना, टाइप-2 मधुमेह और मेटाबोलिक (चयापचय) सिंड्रोम के मामले बढ़ते हैं।
  • भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख स्वास्थ्य संगठन शिशुओं को पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) सभी शिशुओं को कम से कम 2 साल तक स्तनपान कराने की सलाह देता है।

बोतल से दूध पिलाने के जोखिम

 Diet for Breastfeeding
Bottle-fed babies are three times more likely to develop diarrheal infections

जीवाणुनाशक (स्‍टरलाइजेशन) के सर्वोत्तम तरीकों के बावजूद, बोतल से दूध पीने वाले बच्चे को डायरिया जैसे संक्रमण होने का खतरा तीन गुना होता है और श्वसन संक्रमण स्तनपान करने वाले बच्चे की तुलना में पांच गुना अधिक होता है।

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान-

  • स्तन के दूध में वे सभी पोषक तत्व होते हैं जो आपके बच्चे के बढ़ने और विकसित होने के लिए आवश्यक होते हैं। यह फॉर्मूला दूध की तुलना में भी हल्का होता है। बोतल से दूध पिलाने से बचपन में मोटापे का खतरा बढ़ सकता है।
  • आप अपने बच्चे को उनकी मांग पर स्तनपान करा सकती हैं। लेकिन अगर आपको अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाने की आदत है, तो आपको धोने और स्टरलाइज करने, बोतल में दूध डालने और गर्म करने की जरूरत होती है।
  • आपके बच्चे को बोतल से दूध पिलाना महंगा हो सकता है। यदि आप अपने शिशु को फार्मूला दूध पिलाती हैं, तो आपको दूध पिलाने वाली बोतल की सफाई करने वाला ब्रश और स्टरलाइजर भी खरीदना होगा।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि स्तन का दूध आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास और सुधार करता है। दूसरी ओर, फॉर्मूला दूध का सेवन करने वाले शिशुओं में कुछ बीमारियों जैसे कि छाती में संक्रमण, कान में संक्रमण, दस्त, दांतों की सड़न आदि के विकसित होने का जोखिम भी होता है।
  • स्‍तनपान कराना मां और उसके बच्चे के लिए एक जुड़ाव का क्षण होता है। जब बच्चा मां के स्तनों को पकड़ता है, तो त्वचा से त्वचा का संपर्क स्थापित होता है। बोतल से दूध पिलाने से इस तरह के जुड़ाव में बाधा आ सकती है।
  • सफर में आपको साफ बोतलें, फॉर्मूला दूध, बच्चे के लिए निप्पल और अन्य जरूरी चीजें साथ रखनी होती हैं। एक ही समय में चीजों के साथ-साथ बच्चे को भी संभालना मुश्किल हो सकता है। यदि आपके बच्चे को मध्यरात्रि में दूध पिलाने की आवश्यकता है तो बोतल से दूध पिलाना भी असुविधाजनक है क्योंकि आपको हर बार उठकर दूध तैयार करना होता है।
  • कुछ अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि जो मांएं बोतल से दूध पिलाने के बजाय स्तनपान कराना पसंद करती हैं, उनमें स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने का जोखिम कम होता है।
  • कुछ शिशुओं को बोतल से पिलाया गया फॉर्मूला दूध उपयुक्त नहीं हो सकता है। उन्हें दस्त और शरीर में तरल पदार्थ की कमी की शिकायत हो सकती है।
  • बोतल से दूध पिलाने के अपने फायदे और नुकसान हैं। अपने बच्चे को दूध पिलाने के तरीके तय करने से पहले आपको स्थिति के दोनों पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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