मल्टीपल शिशुओं का जन्म
आप भी बड़ी बेसब्री से उस दिन के इंतजार में हैं, जब आम जुड़वां या तीन शिशुओं को जन्म देंगीं। वैसे तो हर शिशु का जन्म अपने-आपमें एक घटना होता है लेकिन आपकी कहानी इससे थोड़ी अलग होगी क्योंकि आपके सामने कई तरह की जटिलताएँ या परेशानियाँ आ सकती हैं। आपके शिशु जिस भी तरीके से आप तक पहुँचे, वही उनके लिए सबसे सुरक्षित व स्वस्थ तरीका माना जा सकता है।
जुड़वाँ या उससे अधिक शिशुओं का लेबर
यह आम शिशुओं के लेबर से अलग कैसे हो सकता है?
यह अपेक्षाकृत छोटा होगा। क्या आपको जुड़वाँ शिशुओं के लिए दुगना दर्द सहना होगा? नहीं! मल्टीपल प्रेगनेंसी में प्रसव का पहला चरण छोटा होता है। आपको धकेलने वाले बिंदु तक पहुंचने में काफी कम समय लगता है। योनि मार्ग से प्रसव कराते समय अंतिम पड़ाव जल्दी आ जाता है।
यह लंबा भी हो सकता है क्योंकि मल्टीपल प्रेगनेंसी में गर्भाशय जरूरत से ज्यादा खिंचाव वाला होने से संकुचन कम होता है और गर्भाशय का मुख खुलने में ज्यादा समय लगता है।
आपकी ज्यादा मेडिकल देखरेख की जाती है क्योंकि खतरों की संभावना अधिक होती है।प्रसव के दौरान दो मॉनीटर जुड़े रहते हैं। ताकि शिशुओं की संकुचन पर प्रतिक्रिया का पता लगाया जा सके। उनके दिल की धड़कन भी बीच-बीच में मापी जाती है।
प्रसव का समय पास आने पर पहले बाहर आने वाले शिशु की भीतरी और दूसरे शिशु की बाहरी जांच होती है। आपको पहले से इन प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार रहना होगा। आपकी डिलीवरी ऑपरेशन-कक्ष में होगी। यदि सी-सैक्शन की जरूरत पड़ जाए तो परेशान न हो। हो सकता है कि पहले कुछ घंटे आलीशान कमरे में बीतें, बाद में आपको वहीं ले जाया जाएगा।
पोजीशन/पोजीशन्स
मल्टीपल प्रेगनेंसी में शिशुओं की पोजीशन काफी अहमियत रखती है। यदि उनके सिर नीचे की ओर हैं तो वे बड़ी आसानी से जन्म ले सकते हैं हालांकि इसमें भी सी-सैक्शन करना पड़ सकता है। शिशु वर्टेक्स ब्रीच पोजीशन में भी हो सकते हैं। इस पोजीशन में पहला शिशु तो वर्टेक्स पोजीशन में होता है लेकिन दूसरे शिशु को ब्रीच से वर्टेक्स पोजीशन में लाना पड़ता है। यदि वह हाथों से सही स्थिति में न आ सके तो उसके लिए ब्रीच एक्सट्रेक्शन करना पड़ सकता है।
ब्रीच/वटैक्स या ब्रीच/ब्रीच:– यदि दोनों शिशु ब्रीच हो तो डॉक्टर सी-सैक्शन की सलाह देंगे क्योंकि ऐसी स्थिति में हाथों से शिशु की पोजीशन बदलना खतरनाक हो सकता है।
पहला शिशु, ओब्लीक:– यदि पहले शिशु का सिर नीचे तो हो लेकिन गर्भाशय की ओर न होकर नितंब की ओर हो तो वह ओब्लीक कहलाता है। यदि एक शिशु हो तो उसे हाथ से सीधा करने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन जुड़वां में ऐसा करना खतरनाक होगा।कई बार प्रसव पीड़ा में ही शिशु सही पोजीश्न में आ जाता है। या फिर डाक्टर सी-सैक्शन की सलाह देते हैं ताकि किसी तरह का कोई खतरा न रहे।
ट्रांसवर्स/ ट्रासवर्स:– ऐसी स्थिति में दोनों शिशु गर्भाशय में ट्रांसवर्स पोजीशन में होते हैं।जिनके लिए सी-सैक्शन के सिवा कोई उपाय नहीं होता।
जुड़वां शिशुओं की डिलीवरी: आप निम्नलिखित की उम्मीद रख सकती हैं।
योनि मार्ग से डिलीवरी:– आधे से अधिक जुड़वाँ शिशु पारंपरिक तरीके से ही जन्म लेते हैं लेकिन उनका अनुभव अकेले शिशु के जन्म जैसा नहीं होता। पहले शिशु के जन्म में तीन मिनट से लेकर तीन घंटे तक का समय लग सकता है। यह काफी हद तक दूसरे शिशु की पोजीशन पर भी निर्भर करता है। डॉक्टर कई बार वैक्यूम की मदद से भी डिलीवरी की गति बढ़ाने की कोशिश करते हैं। तभी डॉक्टर ऐसी माँओं के लिए एपीड्यूरल की सलाह देते हैं। गर्भाशय के भीतर से शिशु को बाहर लाना है तो दर्द निवारक दवा के बिना कैसे चलेगा?
जुड़वां के जन्म का समय
आपके मल्टीपल के जन्म में कितना अंतर होगा? योनि मार्ग से जन्म के समय उनके जन्मकाल में 10 से 30 मिनट का फर्क हो सकता है जबकि सी-सैक्शन में यह फर्क कुछ सैकंड या मिनटों का होता है।
मिली–जुली डिलीवरी:– ऐसा कभी-कभी होता है कि एक शिशु का योनि मार्ग से जन्म होने के बाद दूसरे के लिए ऑप्रेशन करना पड़े ऐसा आपातकाल में ही होता है, जब दूसरा शिशु खतरे में हो, जैसे ‘प्लेसेंटल एरप्शन या कॉर्ड प्रोलैप्स'(फैटल मॉनीटर पर डॉक्टर या कॉर्ड प्रोलैप्स’ (फैटल मॉनीटर पर डॉक्टर को यह सब दिख जाएगा। यह सब माँ के लिए मजाक नहीं होता। योनिमार्ग से डिलीवरी के बाद अप्रेशन का झंझट लेकिन जब शिशु की सुरक्षा का प्रश्न हो तो और कुछ दिखाई नहीं देता।
सी–सैक्शन:-सी-सैक्शन की तारीख डॉक्टर से मिलकर पहले ही तय हो जाती है। कई तरह की परेशानियां ऐसी हैं जिनकी वजह से मल्टीपल प्रेगनेंसी में सी-सैक्शन करना ही सुरक्षित रहता है। ऐसी स्थिति में आपका साथी या कोच मदद के लिए ऑप्रेशन कक्ष में आ सकता है। ऐसी स्थिति में शिशुओं के जन्म के समय में सैकेंड से कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।
अनियोजित सी–सैक्शन:– शिशु इस तरीके से भी दुनिया में कदम रख सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप जांच कराने जाती हैं और पता चलता है कि शिशु तो उसी दिन प्रसव के लिए तैयार हैं। ऐसा अनुमानित तिथि से काफी पहले भी हो सकता है इसलिए अपना सारा सामान तैयार रखें। यदि शिशुओं के विकास में रुकावट आए, आप उच्च रक्तचाप की शिकार हो जाएँ या फिर प्रसव पीड़ा लंबी खिंचने के बावजूद कोई प्रगति न हो तो ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं। 10 पौंड से ज्यादा भार वाले शिशुओं के लिए सिजेरियन डिलीवरी का ही रास्ता बचता है।
दो शिशुओं का स्तनपान
आप तो जानती ही हैं कि आपके शिशुओं के लिए स्तनपान कितना जरूरी है लेकिन क्या आप जानती हैं कि स्तनपान कराने वाली माएँ बहुत जल्दी अपना खोया फिगर वापिस पा लेती हैं। उनके रक्तस्राव में भी कमी आती है। दो शिशुओं को स्तनपान कराएँगी तो आपके शरीर से फटाफट चर्बी घटेगी। यदि वे नवजात शिशु आई सी यू में हो तो आप घबराएं नहीं, उनके लिए अपना अमृत समान दूध निकाल कर रखें व पिलाएँ ताकि स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया में बाधा न आए।
तीन शिशुओं की डिलीवरी:–इस हाई-रिस्क डिलीवरी में सिर्फ सी-सैक्शन की ही मदद ली जाती है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि ऐसे शिशु यदि सही स्थिति में हो तो योनि मार्ग से भी डिलीवरी संभव है। यहाँ भी ऐसा बहुत कम होता है कि दो शिशु योनिमार्ग से जन्म लें और तीसरे के लिए आप्रेशन करना पड़े। वैसे तरीका चाहे जो भी हो, अगर आप चारों डिलीवरी कक्ष से सुरक्षित बाहर आते हैं तो वही सबसे सफल माना जाएगा।
मल्टीपल डिलीवरी के बाद आराम
आपकी मल्टीपल डिलवरी में भी सिंगल डिलीवरी की तरह ही आराम आएगा।
इस प्रसव के बाद निम्नलिखित अंतर हो सकते हैं :-
- फिगर वापिस पाने में ज्यादा समय लगेगा क्योंकि गर्भ के आखिरी महीनों में आपके शरीर की सक्रियता धीमी हो गई थी।
- पेट को अपने आकार में लौटने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगेगा।
- आपके योनिमार्ग से अधिक समय तक रक्तस्राव हो सकता है।
- आपके शरीर में दर्द होते रहेंगे। आपका वजन भी काफी बढ़ा होगा और उसे घटने में वक्त लगेगा।
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