‘‘हमने बड़ी मुश्किल से इस सच्चाई को स्वीकारा है कि मैंजुड़वाँ बच्चे पैदा करने जा रही हूँ।क्या इससे उनके लिए या मेरे लिए कोई खतरा बढ़ सकता है?”
अतिरिक्त शिशु, थोड़े से अतिरिक्त खतरे के साथ ही आते हैं लेकिन इतना भी नहीं जितना आप सोच रही हैं। वैसे ऐसी गर्भावस्था को ‘हाई-रिस्क प्रेगनेंसी का नाम दिया जाता है। अगर आपको इससे जुड़े खतरों व जटिलताओं की पहले से जानकारी होगी तो आप पहले से हर खतरे का सामना करने के लिए तैयार होंगी। इसलिए यह सब सुरक्षित ही है, बस आपको सारी जानकारी होनी चाहिए।
शिशु से जुड़े खतरे
समय से पहले डिलीवरी:-जुड़वाँ बच्चे समय से थोड़ा पहले ही पैदा होना पसंद करते हैं। सभी एक साथ जन्म लेने वाले तीन शिशु तो हमेशा ही प्रीमेच्चोर होते हैं। सामान्य डिलीवरी 39वें सप्ताह में होती है तो जुड़वाँ की डिलीवरी 35 से 36 सप्ताह में हो जाती है। तीन बच्चे तो 32 वें सप्ताह में ही पैदा हो जाते हैं। शिशु बड़े होते हैं तो गर्भाशय में उनके लिए जगह तंग होने लगती है। आपको प्रीमेच्चोर डिलीवरी के लक्षण पता होने चाहिए। इनका एहसास होते ही डॉक्टर को फोन करने में न हिचकिचाएँ।
जन्मजात वजन में कमी:-मल्टीपल प्रेगनेंसी से पैदा होने वाले शिशु 5 1/2 पौंड से कम ही होते हैं लेकिन मेडिकल देखभाल की वजह से उनकी सेहत ठीक रहती है। अगर शिशु 5 पौंड से भी कम वजन का है तो उसकी सेहत के साथ कई तरह की परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं।उसके लिए खतरा काफी बढ़ जाता है। आप गर्भावस्था में अपनी खुराक पर ध्यान दें ताकि अधिक वजन वाले शिशु पैदा हो सकें।
ट्विन टू ट्विन ट्रांसफ्यूज़न सिंड्रोम:–आइडेंटिकल ट्रिवन प्रेगनेंसी में शिशुओं को प्लेसेंटा एक ही होता है। इस वजह से एक शिशु के शरीर में रक्त का प्रवाह काफी अधिक तथा दूसरे शिशु में काफी कम हो सकता है। यह स्थिति शिशुओं के लिए घातक होती है, यदि आपके साथ भी ऐसा हुआ तो डॉक्टर ‘एमनियोसेंटेसिस’ की मदद से फालतू द्रव्य निकाल देंगे जिससे प्लेसेंटा के रक्त प्रवाह में सुधार होगा व प्रीटर्म लेबर की संभावना घट जाएगी।
डॉक्टर लेज़र सर्जरी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं मल्टीपल प्रेगनेंसी की वजह से माँ की सेहत पर निम्नलिखित असर हो सकते हैं।
प्रीक्लेंपसिया:– जितने शिशु होंगे, उतने ही प्लेसेंटा होंगे। जिससे कई बार हाई ब्लड प्रेशर या प्रीक्लेंपसिया की शिकायत हो सकती है वैसे इसका पहले पता चल जाए तो मेडिकल देखभाल से इस पर काबू पाया जा सकता है।
गैस्टेशनल मधुमेह:-आपको गैस्टेशनल मधुमेह का खतरा, दूसरी माँओं की तुलना में अधिक हो सकता है क्योंकि हारर्मोन के अधिक स्तर की वजह से इंसुलिन के उत्पादन में कमी आती है। आहार से आराम आ सकता है लेकिन कई बार अतिरिक्त इंसुलिन भी लेनी पड़ती है।
प्लेसेंटल दिक्कतें:– ऐसी महिलाओं कोप्लेसेंटा प्रीविया (प्लेसेंटा नीचे होना) या प्लेसेंटलएवरप्शन (प्लेसेंटा का समय से पहले अलग होना) की शिकायत हो सकती है। सावधानीपूर्वक की गई देखभाल से ‘प्लेसेंटल प्रीविया’से बचाव हो सकता है। एवरप्शन का तो पहले पता ही नहीं चल सकता लेकिन आने वाली जटिलताओं पर काबू पाया जा सकता है।
बैडरेस्ट
‘‘क्या जुड़वां बच्चों कीग र्भावस्था के कारण मुझे सारा समय बिस्तर पर बिताना होगा?”
बिस्तर पर आराम करना है या नहीं? कई जुड़वां शिशुओं की भावी माँएं यही सवाल पूछती हैं और डॉक्टर आसानी से जवाब नहीं दे पाते। डॉक्टर अब भी यह मानते हैं कि बैडरेस्ट से कई तरह की जटिलताएं घट जाती हैं इसलिए वे पूरे आराम की सलाह देते हैं। शिशु जितने ज्यादा होंगे, सलाह उतनी ही मजबूत होगी क्योंकि जितने शिशु, उतने खतरे। अपने डॉक्टर से इस बारे में पूरी राय लें क्योंकि मल्टीपल प्रेगनेंसी का हर मामला अपने-आप में अलग होता है। अगर आराम की सलाह दी जाए तो निर्देशों का सावधानी से पालन करें। अगर बैड रेस्ट की सलाह न भी दी जाए तो आपको काम के घंटे घटाकर, पांव ऊंचे रखकर आराम करने को कहा जाएगा, इसके लिए भी तैयार रहें।
मल्टीपल फायदे मल्टीपल
प्रेगनेंसी को सुरक्षित बनाने के लिए मेडिकल सांइस को धन्यवाद। आपको गर्भावस्था की शुरूआत में इसका पता चल जाता है इसलिए प्रसव पूर्व देखभाल भी कर सकती है। आने वाले शिशुओं के लिए तैयारी का पूरा समय मिल जाता है। आप डॉक्टर के पास कई बार जाकर अपनी जिज्ञासाएँ शांत कर सकती हैं। शिशुओं की जांच करवा के निश्चिंत हो सकती हैं। आपके कई सारे अल्ट्रासाउंड भी होंगे ताकि शिशुओं की सही स्थिति का अंदाजा होता रहे। आपको अपनी पूरी गर्भावस्था में तसल्ली मिलती रहेगी कि नन्हे मेहमान पूरी तरह सुरक्षित हैं। आप अपनी सेहत पर पूरा ध्यान दे पाएँगीं जिससे प्रेगनेंसी से जुड़ी कई जटिलताओं (एनीमिया, हाइपरटेंशन, प्लेसेंटा एवरप्शन आदि) समस्या को सिर उठाने से पहले ही कुचल दिया जाएगा।
वेनिशिंग ट्विन सिंड्रोम क्या होता है?
अल्ट्रासाउंड में मल्टीपल प्रेगनेंसी का पहले पता लग जाने से कई फायदे होते हैं क्योंकि उतनी जल्दी आप व आपका डॉक्टर मिलकर शिशुओं की देखभाल शुरू कर सकते हैं पर कई बार इसका नुकसान भी होता है। 20 से 30 प्रतिशत मल्टीपल प्रेगनेंसी में ऐसा होता है पहली तिमाही में एक शिशु खत्म हो सकता है (माँ के यह जानने से पहले ही उसके गर्भ में जुड़वा पल रहे हैं)।पिछले कुछ सालों में यह प्रवृत्ति काफी बढ़ी है।30 साल से अधिक आयु की महिलाओं के साथ ऐसा होता है।
इसके कोई खास लक्षण भी नहीं उभरते।माँ को मिसकैरेज की तरह हल्का रक्तस्राव होता है या पेल्विक क्षेत्र में तकलीफ होती है।हार्मोन का स्तर घटने से भी पता चल जाता है कि एक भ्रूण समाप्त हो गया है।
पहली तिमाही में ऐसा होने पर गर्भावस्था सामान्य हो जाती है और माँ एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे पाती है। यदि ऐसा दूसरी तीसरी तिमाही में हो तो वह जीवित शिशु के विकास के लिए खतरा हो सकता है या प्रीटर्म लेबर की नौबत आ सकती है। संक्रमण या रक्तस्राव भी हो सकता है। इसके बाद बचे हुए शिशु पर पूरी मेडिकल निगरानी रखी जाती है ताकि किसी भी तरह की जटिलता सामने न आए।
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