यदि आपको भी प्रीमेच्योर डिलीवरी होने की आशंका है तो इस असामयिक प्रसव से निबटने के लिए कुछ तरीके अपना सकती हैं। कुछ मामले तो ऐसे हैं, जिनमें खतरा पहचानने के बाद भी उन पर काबू नहीं पाया जा सकता लेकिन कुछ मामलों में खतरे की दर घटाई जा सकती है। इनमें से जो भी लक्षण आपके साथ हों, उसे घटाने की कोशिश करें, उन पर काबू पाएं ताकि नन्हा शिशु सही समय पर इस धरती पर आ सके।
वजन कम या ज्यादा होना-
वजन जरूरत से ज्यादा कम या अधिक होने पर भी प्रसव जल्दी हो सकता है। आपको बिल्कुल सही तरीके से, डाॅक्टर की राय के हिसाब से अपना वजन बढ़ाना होगा। उसके लिए एक सेहतमंद माहौल तैयार करना होगा ताकि व आसानी से गर्भकाल पूरा होने पर ही दुनिया में कदम रखें।
पोषण में कमी-
केवल सही तरीके से वजन बढ़ाना ही काफी नहीं है। आपको शिशु के जीवन की सेहतमंद शुरूआत देनी होगी। ऐसा आहार लेना होगा, जिससे समय से पहले प्रसव का डर न रहे। उसके पोषण से ये खतरे काफी हद तक घट जाएं। वैसे कई प्रमाण भी मिले हैं कि दिन में पांच बार नियमित रूप से भोजन करने पर समय से पहले प्रसव का खतरा टाला जा सकता है।
काफी समय तक खड़े रहना व भारी शारीरिक परिश्रम करना-
गर्भ के आखिरी दिनों में, डाॅक्टर की राय से, कम से कम समय तक पैरों पर खड़ी हों। काफी लंबे समय तक खड़े रहने व शारीरिक श्रम करने से प्रीटर्म लेबर के मामले सामने आए हैं।
भावनात्मक तनाव-
कई अध्ययनों से पता चला है कि भावनात्मक तनाव का भी असामयिक प्रसव-पीड़ा से गहरा संबंध है। कई बार तो तनाव के कारण ऐसे होते हैं, जिन्हें आप किसी भी तरह कम नहीं कर सकतीं जैसे नौकरी खोना या परिवार में किसी की मृत्यु होना। अच्छे पोषण, रिलैक्सेशन तकनीकी व्यायाम व आराम के सही संतुलन व मित्रों तथा साथी से बातचीत द्वारा इस तनाव को घटाया जा सकता है। आप अपने डाॅक्टर की मदद भी लें सकती है।
मदिरा व मादक द्रव्यों का सेवन-
मदिरा व मादक द्रव्यों का सेवन करने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए असामकि प्रसव-पीड़ा का खतरा काफी बढ़ जाता है।
धूम्रपान करना–
धम्रपान की वजह से भी, समय से पहले प्रसव हो सकता है। गर्भधारण से पहले या गर्भकाल के दौरान इसे छोड़ दें। यदि अब भी नहीं छोड़ा तो इससे बेहतर समय और कौन सा होगा।
मसूड़ों का संक्रमण–
कई अध्ययनों से पता चला है कि मसूड़ों के रोगों का भी कालपूर्व प्रसव- पीड़ा से संबंध है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि मसूड़ों में जलन पैदा करने वाले बैक्टीरिया रक्त धारा में जाते हैं। कई शोधकर्ता आशंका जताते हैं कि मसूड़ों में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया प्रतिरोधक तंत्र को उत्तेजित कर देते हैं, जिससे सर्विक्स और गर्भाशय में जलन होने लगती है और प्रसव समय से पहले हो जाता है। ऐसे में आपको अपने मुख की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बैक्टीरिया से दांतों का बचाव करना होगा ताकि आप समय से पहले प्रसव-पीड़ा के खतरे को घटा सकें। गर्भावस्था से पहले ही ऐसे संक्रमण का इलाज करा लिया जाए तो कई प्रकार की जटिलताओं के साथ-साथ कालपूर्व प्रसव-पीड़ा का खतरा भी घट जाता है।
सर्विक्स में कमी-
कई बार सर्विक्स कमजोर होने के कारण पहले खुल जाती है। गर्भवती महिला को मिसकैरिज या असामयिक प्रसव-पीड़ा के बाद ही इसका पता चलता है। अल्ट्रासाउंड द्वारा समय-समय पर इसकी स्थिति की जांच से खतरे को काफी हद तक टाल सकते हैं। कई महिलाओं में सर्विक्स की समस्या की वजह से भी समय से पहले प्रसव-पीड़ा की समस्या हो जाती है। यदि समय-समय पर अल्ट्रासाउंड से जांच होती रहे तो खतरे के घेरे में आने वाली महिलाओं की मदद हो सकती है।
पूर्व असामयिक प्रसव-
यदि आपकी पहली गर्भावस्था में भी ऐसा हो चुका है तो आपके लिए यह खतरा और भी बढ़ सकता है। आपके डाॅक्टर इस खतरे को टालने के लिए दूसरी व तीसरी तिमाही में प्रोजेस्टराॅन की खुराक दे सकते हैं। निम्नलिखित खतरों पर काबू तो नहीं पाया जा सकता, लेकिन कुछ सुधार तो हो ही सकता है। डाॅक्टर इन खतरों से निपटने के लिए आपको व स्वयं को पहले से तैयार भी कर सकते हैं।
मल्टीप्लाई-
एक से अधिक शिशु होने पर गर्भवती महिला, औसत से तीन सप्ताह पहले शिशुओं को जन्म देती है। (हालांकि जुड़वा बच्चों का पूरा प्रसव काल 27 सप्ताह का होता है, जिसका अर्थ है कि तीन सप्ताह की जल्दी कोई जल्दी नहीं है) प्रसव पूर्व बढ़िया देखभाल, पर्याप्त पोषण व बाकी खतरों को घटाने, आखिरी तिमाही में पूरा आराम लेने से कुछ खतरों को घटाया जा सकता है।
गर्भावस्था की जटिलताएं-
गेस्टेशनल मधुमेह, प्रीएक्लेंपसिया व जरूरत से अधिक एमनीयोटिक फ्लड व प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याओं के कारण समय से पहले प्रसव-पीड़ा हो सकती है। इन जटिलताओं पर काबू पाकर गर्भकाल की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
दीर्घकालीन रोग–
उच्च रक्तचाप, हृदय, किडनी या लीवर के रोग व मधुमेह आदि दीर्घकालीन रोग भी समय से पहले प्रसव की वजह बनते हैं लेकिन अच्छे चिकित्सा प्रबंधन व देखभाल से इनसे बचाा जा सकता है।
सामान्य संक्रमण–
सेक्स जनित रोगों की वजह से समय से पहले प्रसव हो सकता है। यदि संक्रमण से शिशु का खतरा हो तो शरीर शिशु की रक्षा के लिए समय से पहले प्रसव का तरीका अपनाता है । संक्रमण से बचाव करके काफी हद तक इस समस्या से बचा जा सकता है।
17 वर्ष से कम आयु-
17 वर्ष से कम आयु की गर्भवती लड़कियों के लिए समय से पहले प्रसव का खतरा काफी ज्यादा होता है। अच्छे पोषण व प्रसव से पूर्व बढ़िया देखभाल से मां व शिशु का पूर्व विकास किया जा सकता है।
इन्हें भी देखें-
गर्भावस्था और वैकल्पिक चिकित्सा…
