गर्मियों में प्रेगनेंट महिलाएं कैसे रखें अपना ध्यान: Pregnancy in Summer
Pregnancy in Summer

Pregnancy in Summer: प्रेगनेंट महिलाओं को गर्मी के मौसम में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गर्मियों में हार्मोन ज्यादा एक्टिव रहने को कारण शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ज्यादा तेजी से होता है। ज्यादा गर्मी में भूख न लगना,घबराहट होना, डायजेशन ठीक न होना, चक्कर आना, थकान महसूस करना, डिहाइड्रेशन होना, पैरों में सूजन जैसी कई समस्याएं होती हैं। साथ ही तापमान बढ़ने से खाना बहुत जल्दी खराब हो जाता है। लापरवाही बरतने पर कमजोर इम्यूनिटी वाली प्रेगनेंट महिलाओं को पेट संबंधी इंफेक्शन, पीलिया, टाइफाॅयड होने की संभावना भी बढ़ जाती है। जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है, जिसकी वजह से प्री-टर्म पहले डिलीवरी होना, बर्थ रेट कम होना, विकास ठीक न होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर गर्भवती महिलाएं कुछ बातों का ध्यान रखें तो वह गर्मियों में भी अपनी प्रेगनेंसी को एंजाय कर सकती हैं और शिशु भी हैल्दी रह सकता है।

Pregnancy in Summer: पहने कंफर्टेबल कपड़े

Pregnancy in Summer
Pregnancy in Summer Tips

सिंथेटिक और टाइट फिटिंग के बजाय काॅटन के और ढीली फिटिंग के मुलायम कपड़े पहनें। ताकि हवा आसानी से सर्कुलेट हो सके और शरीर कूल रहे। लाइट कलर के कपड़े पहनें क्योंकि डार्क शेड गर्मी को एब्जार्ब करते हैं जिससे गर्मी ज्यादा लगेगी। पैरों में कपड़े के जूते या कंफर्टेबल चप्पल पहनें।

सुबह निपटाएं काम

कोशिश करें कि अपने सारे काम सुबह निपटा लें। रिलेक्स करने के लिए दिन में 1 से 2 घंटे आराम जरूर करें। अच्छी नींद लेने पर रिलेक्स रहेंगी और शिशु की ग्रोथ अच्छी होगी। लेकिन एक्टिव रहें। गर्मी का मौसम के प्रभाव से गर्भवती महिलाओं का एनर्जी लेवल काफी कम हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि महिलाओं को रेगुलर हल्की एक्सरसाइज, प्रेगनेंसी योगा, सुबह-शाम की वाॅक और मेडिटेशन करना चाहिए।

बाहर जाते हुए रहें सावधान

यथासंभव दिन में बाहर न जाएं। जरूरी हो तो शरीर को पूरा कवर करके निकलें। फुल लैंथ के कपड़े पहनें। सिर को दुपट्टा, स्कार्फ, कैप या छतरी से जरूर कवर करें। आंखों को धूप की जलन से बचाने के लिए सन-गाॅगल्स पहनें। बाहर जाने से पहले पानी या घर का बना जूस पीकर निकलें ताकि शरीर का हाइड्रेशन लेवल मेंटेन रहे। रास्ते में घबराहट या डिहाइड्रेशन से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि अपने साथ हमेशा पानी और हल्के स्नैक्स जरूर लेकर जाएं। बाहर का खाना खासकर जूस, कटे फल, चाट बिल्कुल न खाएं क्योंकि टैम्परेचर वैरिएशन की वजह से खाना बहुत जल्दी खराब हो जाता है। जिससे टाॅयफायड, पीलिया, डायरिया और फूड पाॅयजनिंग होने का खतरा रहता है।

टैम्परेचर में बदलाव को करें अवाॅयड

गर्भवती महिला को जहां तक हो सके कि एसी से एकदम से बाहर धूप में न जाएं और न ही बाहर से आकर एकदम एसी में बैठें। अगर बाहर जाना हो, तो जाने से 5-10 मिनट पहले एसी बंद करके नाॅर्मल टैम्परेचर में रहना चाहिए। इसी तरह बाहर से अंदर आकर एसी या कुलर तुरंत चलाकर नहीं बैठना चाहिए। इससे शरीर को गर्म-सर्द होने का रिस्क रहता है और तबीयत बिगड़ सकती है।

पैर के नीचे सिरहाने रखें

गर्मियों में बढ़ती पैरों में सूजन की समस्या से बचने के लिए दिन के समय आराम करते हुए पैरों के नीचे एक या दो सिरहाने रखें। गर्मी की तपिश और दर्द को कम करने के लिए पैरों पर ठंडे पानी में डुबाया हुआ टाॅवल लपेट लें।

दो बार नहाएं

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Take Shower in two times

ठंडे पानी से दिन में दो बार नहाएं। अगर ठंडा पानी सुरक्षित न लगे तो हल्के गुनगुने पानी से नहा सकती हैं। संभव हो, तो टब बाथ लें। रात को सोने से पहले शाॅवर लें जिससे फ्रेश महसूस करेंगी और नींद अच्छी आएगी।

लाइट बाॅडी मसाज

गर्भवती महिलाएं रेगुलर शरीर की हल्की मसाज करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से होने पर शरीर में दर्द कम होगा। साथ ही स्किन भी हाइड्रेटिड और रिलेक्स रहेगी। इसके लिए आप अपने पति की मदद भी ले सकती हैं।

स्किन और बालों का रखें ध्यान

गर्भावस्था के दौरान स्किन थोड़ी सेंसेटिव हो जाती है। स्किन केयर के लिए घर में रहते हुए भी सन-ब्लाॅक्स यानी फ्रिज में ठंडा किया हुआ ऑयल फ्री माॅश्चराइजर, क्रीम या ऐलोवेरा जेल और बाहर जाते हुए सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल जरूर करें। कोशिश करें कि बाल बांधकर रखें। इससे गर्मी कम लगेगी, पसीना कम आएगा और शरीर में पानी की कमी नही होगी। साथ ही घबराहट जैसी समस्याएं कम होंगी।

लिक्विड डाइट ज्यादा लें

गर्मियों में तापमान बढ़ने की वजह से पसीना और यूरिन ज्यादा आता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। शरीर के इलेक्ट्रोलाइट बैलेस को मेंटेन करने और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरूर पियें। इसके अलावा छाछ, लस्सी, नींबू पानी, बेल शर्बत, जूस, नारियल पानी, आम पना भी ले सकती हैं।

हैल्दी डाइट

यथासंभव घर का बना ताजा खाना खाएं। दिन में तीन मैन मील (ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर) लेने के बजाय 5-6 मील लें। जो भी खाएं संतुलित और सीमित मात्रा में लें। रेगुलर दही का सेवन जरूर करें। रागी, जौ, चना, बाजरा, गेंहू मिलाकर बना मल्टीग्रेन आटा खाएं। प्रोबायोटिक दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया फंगल इंफेक्शन से तो बचाव करने में सहायक होते हैं, साथ ही शरीर को ठंडा भी रखते हैं। दिन में 2-3 मौसमी फल खाएं। संतरा, तरबूज जैसे रसीले फल खाएं क्योंकि इनमें मौजूद पोषक तत्व न केवल महिला के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के समुचित विकास के लिए फायदेमंद होते हैं। इनके सेवन से शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती। जबकि अंगूर, खरबूजा, आम जैसे फलों का सेवन सीमित मात्रा में करें। ठंडी तासीर वाले खीरा, टमाटर जैसी सब्जियां सलाद में जरूर लें। ध्यान रखें कि पहले से कटी फल-सब्जियों के सेवन न करें।

फास्ट फूड, चिप्स जैसे नमकीन चीज़ें ज्यादा न खाएं। ज्यादा नमक शरीर के पानी को एब्जार्ब कर लेता है जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। ज्यादा मसालेदार और ऑयली भोजन से परहेज करें। ऐसा भोजन एसिडिटी, हीट प्रोड्यूस करते हैं, एनर्जी लेवल कम करता है। पपीता, अनानास के सेवन से बचें क्योकि इनमें मौजूद लैटेक्स, पेप्सीन, ब्रोमलिन, अंगूर जैसे तत्व शिशु के विकास को अवरूद्ध कर सकते हैं। गर्म तासीर वाली सौंफ, तिल या मेथीदाना के सेवन से भी बचें क्योंकि इनसे पीरियड्स शुरू हो सकते हैं। बादाम, किशमिश, अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स कम मात्रा में ही खाएं।

रेगुलर चैकअप कराएं

जितनी भी गर्मी हो, अपनी डाॅक्टर विजिट को अवायड न करें। रेगुलर चैकअप कराएं, सप्लीमेंट्स जरूर लें।

(डाॅ सोनिया कटारिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ, कटारिया गाइनी एंड हार्ट क्लीनिक, दिल्ली)