क्या होती है पैसिव स्मोकिंग? जानिए कैसे और किन लोगों पर करती है ज्यादा असर: Passive Smoking
Passive Smoking

Passive Smoking: धूम्रपान केवल एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को बीमार बनाता है। सिगरेट का धुआं, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के साथ ही उसके परिवार और दोस्तों के स्वास्थ को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जब कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है तो धुंए का कुछ अंश उसके फेफड़ों तक पहुंचता है, बाकी उसके द्वारा बाहर छोड़ दिया जाता है। सिगरेट जलते समय जो धुआं निकलता है वह भी बाहर ही हवा में मिल जाता है।

ये धुआं जब किसी व्यक्ति की सांसो के द्वारा उसके फेफड़ों तक पहुंचता है, तब उसे भी स्मोकिंग जितने नुकसान का ही भागी बनना पड़ता है और इस प्रक्रिया को पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है। इसमें व्यक्ति ना चाहते हुए भी स्मोकिंग के कुचक्र में फंस जाता है और जाने अनजाने अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। पैसिव स्मोकिंग के कारण भी हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं, पैसिव स्मोकिंग कैसे और किन लोगों पर ज्यादा असर करती है।

पैसिव स्मोकिंग का खतरा

इन व्यक्तियों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है पैसिव स्मोकिंग

Passive Smoking
Passive Smoking is Dangerous for These People
  • सिगरेट का धुआं हवा में 5000 से ज्यादा केमिकल्स छोड़ता है। ये धुआं प्रदूषण फैलाने के साथ ही बीमारी फैलाने का भी काम बखूबी करता है। स्मोकिंग का धुंआ लंबे समय तक वातावरण में शेष रहता है और धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के साथ ही धूम्रपान ना करने वाले व्यक्ति को भी इसके दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं।
  • सिगरेट का सेकंड हैंड धुआं अस्थमा से लेकर हार्ट अटैक तक ढेरों जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। कम गंभीर स्थिति में भी ये धुआं खांसी, सिरदर्द और आंख-कान में खुजली की वजह बन सकता है।
  • महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को पैसिव स्मोकिंग से ज्यादा खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को स्मोकिंग और पैसिव स्मोकिंग दोनों से ही बचकर रहना चाहिए। मां के स्वास्थ्य से संबंधित हर समस्या, बच्चे की हेल्थ पर भी दुष्प्रभाव डालती है। अक्सर जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान सिगरेट के धुंए के संपर्क में आती हैं, उनके बच्चों में कई सारी हेल्थ प्रॉब्लम्स जन्म से ही जुड़ जाती हैं। पैसिव स्मोकिंग के कारण बच्चों का वजन कम होना और मृत्यु हो जाने तक की संभावना रहती है।
  • 18 से कम उम्र के बच्चों में पैसिव स्मोकिंग के कारण ढेरों बीमारियां जन्म ले सकती हैं। अस्थमा और दूसरी रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स के साथ ही ये बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस और इयर इनफेक्शन का कारण बन सकती है। कई बार पैसिव स्मोकिंग बच्चों में सडन इंफैंट डेथ सिंड्रोम (सिड्स) की भी स्थिति खड़ी कर सकती है। बच्चों के शरीर को बढ़ने वाली उम्र में पोषण और अच्छे वातावरण की आवश्यकता होती है। इस उम्र में सिगरेट के धुंए से संपर्क बढ़ना, गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है।

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शोधों के अनुसार

According to Research
According to Research
  • समय-समय पर हुई रिसर्च के अनुसार सेकंड हैंड स्मोक से मरने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। 1964 से लेकर आज तक करीब 2 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु पैसिव स्मोकिंग के कारण होने की संभावनाएं जताई जाती है। युवाओं में धूम्रपान की समस्या आम हो गई है, और उससे जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स भी। इसके बाद भी जो युवा धूम्रपान से दूर रहते हैं, उनमें भी लंग कैंसर और सीओपीडी जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।
  • स्मोकिंग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सिगरेट पीने वालों से उचित दूरी बनाई जाना जरूरी है। खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं स्मोकिंग करने वालों से दूर रहें। इसके अलावा ऐसी पार्टी और प्रोग्राम्स पर जाने से बचे जहां लोग स्मोकिंग करते हों। स्वयं को पैसिव स्मोकिंग से बचाने के लिए उठाए गए छोटे छोटे कदम लाइफ सेविंग सिद्ध हो सकते हैं।

मैं रेनुका गोस्वामी, विगत पांच वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। डिजिटल पत्रकारिता में एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और हेल्थ पर लेखन का अनुभव और रुचि है, वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं। पत्रकारिता में स्नातक...