Male Fertility Test: आपने बहुत सारे ब्लड टेस्ट और अन्य बॉडी पार्ट्स के टेस्ट के बारे में सुना और पढ़ा होगा। लेकिन क्या कभी आपको ऐसे टेस्ट के बारे में पता है जिसका बेहतर रिजल्ट शारीरिक संबंध बनाने के बाद ही आता है। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं मर्दों के लिए होने वाले सीमन विश्लेषण टेस्ट की। चलिए जानते हैं आखिर क्यों वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis) के लिए शारीरिक संबंध बनाना जरूरी होता है और किस मकसद से ये टेस्ट किया जाता है।
क्या होता है वीर्य विश्लेषण

वीर्य विश्लेषण यानी सीमन एनालिसिस टेस्ट पुरुषों के वीर्य और शुक्राणुओं का होने वाला टेस्ट है। इसको स्पर्म काउंट टेस्ट और मेल फर्टिलिटी टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह जाना जाता है कि पुरुषों के शुक्राणुओं का उत्पादन कितनी मात्रा में हो रहा है। साथ ही यह भी देखा जाता है शुक्राणुओं का आकार कैसा है और वे कितनी क्षमता से संचरण कर रहे हैं। सीमन एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जो कि पुरुषों के लिंग से उस समय इजेकुलेट होता है जब वह किसी सेक्सुअल एक्टिविटी में संलिप्त होते हैं। यह शुक्राणु पुरुषों के शरीर से बाहर निकलते हैं ताकि अंडे को निषेचित कर भ्रूण का निर्माण कर सकें। आपको बता दें शुक्राणु महिला के शरीर में प्रवेश कर अंडा निषेचित कर भ्रूण का निर्माण करता है। यह गर्भावस्था की सबसे पहली स्टेज होती है।
क्यों किया जाता है टेस्ट

यदि आप फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं और आपके पार्टनर को प्रेग्नेंट होने में समस्याएं आ रही हैं तो डॉक्टर महिलाओं के लिए कई टेस्ट लिखते हैं। सभी टेस्ट सामान्य होने पर पुरुषों के लिए भी सबसे पहला टेस्ट सीमेन एनालिसिस यानी वीर्य विश्लेषण किया जाता है। यह टेस्ट तब करवाया जाता है जब आप और आपका साथी कम से कम 12 महीनों से बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है। इस टेस्ट से यह जाना जाता है कहीं पुरुषों में तो इनफर्टिलिटी की कोई समस्या नहीं है। जब पुरुषों के शुक्राणुओं का उत्पादन कम या सही तरीके से नहीं होता तो वह भी इनफर्टिलिटी का शिकार हो सकते हैं और इस वजह से महिला को गर्भवती होने में समस्याएं आ सकती हैं।
हालांकि इसके अलावा भी एक और वजह से वीर्य विश्लेषण किया जाता है और यह टेस्ट उस समय भी किया जाता है जब पुरुष नसबंदी यानी वैसेक्टमी करवाते हैं। पुरुष वैसेक्टमी प्रक्रिया एक पुरुष प्रजनन प्रणाली पर की जाने वाली एक सर्जरी है जो जन्म नियंत्रण के लिए की जाती है। गर्भावस्था को रोकने के लिए, पुरुष नसबंदी में अंडकोष से शुक्राणु ले जाने वाली नलियों को काट दिया जाता है ताकि शुक्राणु वीर्य में न जा सके। आमतौर पर पुरुष वैसेक्टमी के 8 से 16 सप्ताह बाद वीर्य विश्लेषण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वीर्य में कोई शुक्राणु नहीं है।
कैसे किया जाता है टेस्ट

- इस टेस्ट को करने के दौरान डॉ. पुरुष से उनके सीमन का सैंपल मांगते हैं।
- कई बार कुछ स्थितियों में डॉक्टर यह सैंपल घर पर भी कलेक्ट करने के लिए कह सकते हैं।
- कुछ मामलों में डॉक्टर सीमन कलेक्शन के लिए स्पेशल कंडोम भी डॉ. द्वारा दिए जाते हैं जिसे शारीरिक संबंध बनाने के दौरान इस्तेमाल करके 1 घंटे के अंदर-अंदर लैब में पहुंचाना होता है। इस दौरान पुरुष को किसी भी तरह के ल्यूब्रिकेंट के इस्तेमाल की मनाही होती है इससे स्पर्म काउंट टेस्ट प्रभावित हो सकता है।
- वीर्य विश्लेषण के लिए होम किट भी मौजूद है जिससे आप शुक्राणुओं की संख्या तो तुरंत जांच सकते हैं लेकिन शुक्राणुओं के बारे में अन्य चीजों जैसे शुक्राणुओं का आकार और गति की जांच नहीं कर सकते। इसीलिए यह होम किट टेस्ट को 100 फ़ीसदी सफल नहीं माना जाता और यह पुरुष फर्टिलिटी की गारंटी नहीं देता।
टेस्ट के लिए की जाने वाली तैयारियां

सीमन एनालिसिस टेस्ट से पहले कुछ तैयारियां करना जरूरी होती हैं।
- डॉक्टर इसको करने से 2 से 5 दिन पहले पुरुषों को मास्टबेशन करने की सलाह देते हैं या फिर अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने की सलाह देते हैं। इस दौरान पुरुषों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे मास्टरबेशन या संबंध बनाने के दौरान ये सुनिश्चित करें कि इजेकुलेशन के बाद सीमन लिंग से बाहर निकला है, तभी यह टेस्ट बेहतर रिजल्ट देता है।
- वीर्य विश्लेषण टेस्ट से कई दिन पहले तक अल्कोहल को नजरअंदाज करने की सलाह दी जाती है।
- टेस्ट से पहले यह भी सलाह दी जाती है कि टेस्ट के 15 दिन पहले तक यदि इजेकुलेशन हो रहा है तो उसे नजरअंदाज ना करें बल्कि इजेकुलेट जितना ज्यादा होगा उतना बेहतर है। यदि इजेकुलेशन नजरअंदाज किया जाता है तो मेल फर्टिलिटी टेस्ट में शुक्राणु के ऐसे नमूने आ सकते हैं जो की बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं।
- यदि आप कोई लंबे समय से दवा ले रहे हैं या फिर हर्बल सप्लीमेंट का सेवन कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। अन्यथा इससे आपका टेक्स्ट प्रभावित हो सकता है।
दवाएं टेस्ट को कर सकती हैं प्रभावित

- टेस्टोस्टेरोन: हार्मोंस को बढ़ावा देने वाले टेस्टोस्टेरोन सप्लीमेंट शरीर को गलत सिगनल भेज सकते हैं और नेचुरल टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु का उत्पादन बंद कर सकते हैं। इससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी हो सकती है या वे ना के बराबर होते हैं।
- एनाबॉलिक स्टेरॉयड: मांसपेशियों के निर्माण के लिए उपयोग की जाने एनाबॉलिक स्टेरॉयड दवाएं शरीर के शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।
- मारिजुआना: मारिजुआना में टीएचसी (टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल) आपकी कामेच्छाओं को धीमा कर सकता है और शरीर में टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु बनाने से रोक सकता है।
- ओपियेट्स: ये आपके शुक्राणुओं की संख्या को कम कर सकते हैं और टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को भी प्रभावित कर सकते हैं।