Glycation and Aging Effects
Glycation and Aging Effects

Glycation and Aging Effects: आप दूध में शक्कर डालकर उसे धीमी आंच पर पकाते हैं। धीरे-धीरे वो गाढ़ा होने लगता है, रंग बदलने लगता है और एक चिपचिपी परत बनने लगती है। ठीक यही प्रक्रिया आपके शरीर के अंदर भी होती है, जब आप ज़्यादा शुगर खाते हैं, बस इसे ग्लाइकेशन कहा जाता है!

ग्लाइकेशन एक अदृश्य रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें खून में मौजूद अतिरिक्त चीनी शरीर के प्रोटीन से चिपककर AGEs (एडवांस ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स) बनाती है। ये AGEs आपकी त्वचा और अंगों को ऐसे प्रभावित करते हैं जैसे धूप में रखी हुई मोम की मूर्ति धीरे-धीरे पिघलती है। यानी ग्लाइकेशन तब होता है जब खून में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोज़ हमारे शरीर के प्रोटीन जैसे कोलेजन और इलास्टिन से जुड़कर उन्हें सख्त और बेकार बना देता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे ब्रेड का टोस्टर में जल जाना या दूध का कैरेमलाइज़ हो जाना।

अगर यह प्रक्रिया आपकी त्वचा, हड्डियों, आंखों और दिमाग में हो रही हो, तो नतीजा क्या होगा। झुर्रियां, कमज़ोर जोड़, धुंधली नज़र और धीमा दिमाग।

ग्लाइकेशन एक धीमी लेकिन खतरनाक प्रक्रिया है, जो आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे एक नया सफेद कपड़ा धीरे-धीरे पीला और कमजोर होने लगे।

त्वचा पर असर

त्वचा में झुर्रियां और फाइन लाइन्स जल्दी आने लगती हैं।

कोलेजन और इलास्टिन की टूट-फूट से त्वचा ढीली और बेजान हो जाती है।

त्वचा की चमक कम हो जाती है और वह रूखी दिखने लगती है।

इसे रोकने के लिए हरी सब्जियां, नट्स और विटामिन C युक्त चीजें खाएं, ताकि आपकी त्वचा ग्लाइकेशन से बची रहे।

जोड़ों और हड्डियों पर असर

ग्लाइकेशन के कारण जोड़ों की लचक कम हो जाती है, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है।

गठिया और हड्डियों के कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है।

मांसपेशियों की रिकवरी धीमी हो जाती है।

इसे रोकने के लिए प्रोसेस्ड फूड कम करें और प्रोटीन और ओमेगा-3 से भरपूर डाइट लें।

आंखों पर असर

ग्लाइकेशन आंखों के लेंस में मौजूद प्रोटीन को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मोतियाबिंद की संभावना बढ़ जाती है।

आंखों में जलन और ड्रायनेस महसूस हो सकती है।

इसे रोकने के लिए गाजर, पालक और बीटा-कैरोटीन युक्त भोजन लें और स्क्रीन टाइम कम करें।

दिमाग पर असर

ग्लाइकेशन न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या हो सकती है।

मानसिक थकान जल्दी महसूस होती है और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।

इसे रोकने के लिए अखरोट, बादाम और ब्रेन-बूस्टर फूड्स जैसे ब्लूबेरी को डाइट में शामिल करें।

दिल और ब्लड वेसल्स पर असर

ग्लाइकेशन के कारण धमनियां सख्त हो जाती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित हो जाता है।

इसे रोकने के लिए रोज़ाना वॉक करें, ग्रीन टी पिएं और हेल्दी फैट जैसे एवोकाडो, नट्स को अपनाएं।

ग्लाइकेशन को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन इसकी गति को धीमा करना आपके हाथ में है! इसके लिए आपको अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने होंगे।

चीनी से दूरी बनाएं

सफेद चीनी, प्रोसेस्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स छोड़ें।

गुड़, शहद, स्टीविया जैसे प्राकृतिक विकल्प अपनाएं।

एंटी-ग्लाइकेशन फूड्स खाएं

हरी सब्जियां, टमाटर, गाजर और बेरीज आपकी त्वचा और शरीर को AGEs से बचाते हैं।

ग्रीन टी और हल्दी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं और ग्लाइकेशन को धीमा करती हैं।

लो टेम्प्रेचर कुकिंग अपनाएं

तेज आंच पर तला-भुना खाना जैसे समोसे, पराठे, बारबेक्यू, ग्रिल्ड फूड ग्लाइकेशन को बढ़ाता है।

स्टीम, बॉइल या रोस्टिंग जैसी कुकिंग तकनीक अपनाएं।

ज्यादा पानी पिएं और एक्टिव रहें

पानी शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालता है और ग्लाइकेशन को रोकने में मदद करता है।

एक्सरसाइज करने से ग्लूकोज जल्दी खर्च होता है, जिससे ग्लाइकेशन की प्रक्रिया धीमी होती है।

तनाव से बचें और अच्छी नींद लें

अच्छी नींद ग्लाइकेशन को रोकने में मदद करती है और शरीर की मरम्मत प्रक्रिया को तेज करती है।

मेडिटेशन और डी-स्ट्रेस एक्टिविटीज अपनाएं।

ग्लाइकेशन एक धीमी एजिंग और बीमारी की प्रक्रिया है, जिसे हम अपनी गलत आदतों से तेज कर सकते हैं या स्मार्ट लाइफस्टाइल से धीमा कर सकते हैं। अगर आप युवा दिखना, स्वस्थ रहना और अपनी उम्र को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...