digital fasting meaning in hindi
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Summary: हर समय वीडियो देखने वाले लोगों के लिए चेतावनी — जानें क्या है असर

लगातार वीडियो देखने की आदत सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि इससे स्वास्थ्य, नींद और ध्यान पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इसलिए इस शौक को संतुलित रखना बेहद जरूरी है।

Video Addiction: आजकल हर किसी के हाथ में मोबाइल है और हर वक्त वीडियो देखने की आदत हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। चाहे वो यूट्यूब हो, इंस्टाग्राम रील्स या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म—मनोरंजन का यह जरिया हमें तुरंत खुशी तो देता है, लेकिन लंबे समय तक इसकी लत कई समस्याएँ पैदा कर सकती है। जानते हैं इससे हमारे जीवन पर क्या नकारात्मक असर हो सकते हैं-

लगातार स्क्रीन देखने से आँखों पर असर

जब हम घंटों मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो देखते हैं, तो आँखों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। इससे ड्राई आई, जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं। कई बार बच्चों और युवाओं की नज़र भी तेज़ी से कम होने लगती है।

नींद पर असर

Video Addiction: Video Addiction-Sleep Debt
It may cause disturbed sleep

रात को बिस्तर पर लेटकर बस एक वीडियो और सोचकर हम घंटों फोन पर लगे रहते हैं। इससे न सिर्फ़ नींद का समय कम हो जाता है, बल्कि दिमाग भी देर तक एक्टिव रहता है। इससे सुबह थकान, चिड़चिड़ापन और काम में मन न लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

दिमाग पर असर

हर समय वीडियो देखना दिमाग़ को ओवरस्टिम्युलेट कर देता है। लगातार तेज आवाज, विज़ुअल्स और जानकारी का बोझ हमारी सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर सकता है। यही वजह है कि बहुत लोग ध्यान की कमी, बेचैनी या तनाव महसूस करने लगते हैं। वीडियो का असर बच्चों के दिमाग़ पर भी देखने को मिल रहा है। इसकी वजह से बच्चे अधिक चिड़चिड़े और वायलेंट हो रहे हैं।

रिश्तों में दूरी

मोबाइल पर हर समय वीडियो देखने की वजह से परिवार और दोस्तों के साथ समय कम हो जाता है। बातचीत घट जाती है और हम एक डिजिटल बबल में फँस जाते हैं। कई बार देखते हैं घर में पति-पत्नी बिस्तर पर साथ लेते हैं लेकिन दोनों अपने-अपने मोबाइल में व्यस्त हैं। धीरे-धीरे यह रिश्तों में दूरी का कारण भी बन सकता है।

शरीर पर असर

जब हम लंबे समय तक स्क्रीन देखते हैं, तो ज़्यादातर समय बैठे रहते हैं। इस सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल की वजह से मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़ और दिल की बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है। यही वजह है कि आजकल कम उम्र के लोगों में भी ये सब बीमारियां देखने को मिल रही हैं।

क्या करें

टाइम लिमिट सेट करें: रोज़ाना वीडियो देखने का समय तय करें।
स्क्रीन-फ्री टाइम रखें: खासकर सोने से कम से कम 1 घंटा पहले।
आंखों को आराम दें: 20-20-20 रूल अपनाएँ जिसमें हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
ऑफलाइन गतिविधियाँ बढ़ाएँ: किताब पढ़ें, परिवार के साथ समय बिताएँ या बाहर टहलने जाएँ।
वीडियो देखना बुरा नहीं है, लेकिन हर चीज़ की एक सीमा होती है। अगर आप इसे कंट्रोल में रखते हैं तो यह मनोरंजन और सीखने का अच्छा साधन है, लेकिन लत बन जाने पर यह आपकी आंखों, दिमाग और रिश्तों—सब पर भारी पड़ सकता है।

वीडियो देखना बुरा नहीं है, लेकिन हर चीज़ की एक सीमा होती है। अगर आप इसे कंट्रोल में रखते हैं तो यह मनोरंजन और सीखने का अच्छा साधन है, लेकिन लत बन जाने पर यह आपकी आंखों, दिमाग़ और रिश्तों सब पर भारी पड़ सकता है।

अभिलाषा सक्सेना चक्रवर्ती पिछले 15 वर्षों से प्रिंट और डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में दक्षता रखने वाली अभिलाषा ने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान टाइम्स, भोपाल से की थी। डीएनए, नईदुनिया, फर्स्ट इंडिया,...