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मौसम के अनुसार हमारी भूख, पाचन तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली, नींद, गतिविधियों सभी पर असर होता है। ये सभी बदलाव सीधे तौर पर सेहत पर असर डालते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपनी आंतों को सेहतमंद रखें।
Sick Season Protection: हर बदलता मौसम अपने साथ कई परेशानियां और बीमारियां भी लेकर आता है। ऐसे में ‘सिक सीजन’ में अपने परिवार को सेहतमंद रखना हर किसी के लिए चुनौतियों भरा होता है। दरअसल, मौसम के अनुसार हमारी भूख, पाचन तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली, नींद, गतिविधियों सभी पर असर होता है। ये सभी बदलाव सीधे तौर पर सेहत पर असर डालते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपनी आंतों को सेहतमंद रखें। क्योंकि आंतों को आपका ‘दूसरा मस्तिष्क’ कहा जाता है। इससे आपकी शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत जुड़ी होती हैं। सिक सीजन में आंतों को सेहतमंद रखने के लिए आपको बहुत लंबी चौड़ी योजना बनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे से बदलाव ही आपके पूरे परिवार को सेहत का सुरक्षा कवच दे सकता है।
पेट से जुड़ी हैं सारी समस्याएं

हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा से ही कहते आ रहे हैं कि सारी बीमारियां पेट से जुड़ी हैं। अब दुनियाभर के अध्ययन भी इस बात को मानते हैं। एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के मेडिकल प्रोफेशनल के एक अध्ययन के अनुसार पेट का काम सिर्फ भोजन को पचाना ही नहीं है। बल्कि स्वस्थ पेट प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है। साथ ही यह आपके समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है। स्वस्थ पेट, आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बनाता है, जिससे शरीर पोषक तत्वों को ठीक से पचा और अवशोषित कर पाता है। ऐसे में अपने नियमित आहार में फाइबर से भरपूर, प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक युक्त भोजन शामिल करना बेहद जरूरी है। इनसे पेट में गुड बैक्टीरिया पनपते हैं।
जानिए आखिर क्या है प्रोबायोटिक्स
आंतों और पेट को सेहतमंद रखने के लिए आपको अपनी डाइट में प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स जरूर शामिल करने चाहिए। इंटरनेशनल साइंटिफिक एसोसिएशन फॉर प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स के अनुसार ये जीवित सूक्ष्म जीव होते हैं, जिनका सेवन पर्याप्त मात्रा में किया जाना चाहिए। ये आंतों में गंदे बैक्टीरिया को खत्म करने और भोजन को पचाने वाले अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मददगार होते हैं। दही, अचार के साथ ही खमीर उठे खाद्य पदार्थों में ये भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इतना ही नहीं प्रोबायोटिक बैक्टीरिया प्रतिरक्षा प्रणाली, मेटाबॉलिज्म और पाचन को भी बढ़ाते हैं। शोध बताते हैं कि प्रोबायोटिक का सेवन करने से आप टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से भी बचाव कर सकते हैं। क्योंकि आंत के माइक्रोबायोटा के असंतुलन के कारण ये दोनों ही बीमारियां ट्रिगर होती हैं। लेकिन प्रोबायोटिक माइक्रोबायोटा को संतुलित करने का काम करते हैं।
आहार में ऐसे शामिल करें प्रोबायोटिक्स

अपने आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करना कोई मुश्किल काम नहीं है। आप बहुत ही आसानी से इसे कर सकते हैं। छोटे-छोटे बदलाव से आप अपने पूरे परिवार को कई बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं। लेकिन आमतौर पर लोग सिर्फ दही, छाछ, अचार के बारे में ही जानते हैं। लेकिन और भी ढेर सारे विकल्प हैं, जो प्रोबायोटिक्स से भरपूर हैं।
1. दही : दही प्रोबायोटिक्स के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। यह स्वादिष्ट प्रोबायोटिक मुख्य रूप से लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया और बिफिडा बैक्टीरिया से बनता है। यह आंतों के साथ ही हड्डियों और हृदय के लिए भी फायदेमंद है।
2. किमची : वैसे तो किमची एक कोरियन साइड डिश है। लेकिन आजकल यह आसानी से उपलब्ध है। आप इसे घर में भी बना सकते हैं। ढेर सारी सब्जियों से भरी इस मसालेदार डिश की मुख्य सामग्री गोभी होती है। इसमें लैक्टोबैसिलस और लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, ये सभी पाचन को बेहतर बनाते हैं। इसी के साथ किमची में विटामिन के, विटामिन बी 2 और आयरन भी भरपूर मात्रा में होते हैं।
3. अचार : भारत में खाने और अचार का साथ बरसों पुराना है। यह एक बेहतरीन शाकाहारी प्रोबायोटिक है। ढेर सारे मसालों के साथ बने अचार को धूप में रखा जाता है जिससे इसमें प्रोबायोटिक्स शामिल होते हैं। ये प्रोबायोटिक्स पाचन बढ़ाने के साथ ही पोषक तत्वों के अवशोषण और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मददगार होते हैं।
4. छाछ : दही से बनी छाछ भी एक बेहतरीन प्रोबायोटिक है। खास बात यह है कि ये लो फैट और लो कैलोरी प्रोबायोटिक है। इसमें विटामिन बी 12, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, फास्फोरस आदि भी शामिल होते हैं।
5. चीज : हर चीज या पनीर प्रोबायोटिक की श्रेणी में नहीं आता है। लेकिन चेडर, गौडा, कॉटेज चीज और मोजेरेला चीज में प्रोबायोटिक्स मौजूद होते हैं। भारतीय पनीर भी प्रोबायोटिक्स से भरपूर है। इसी के साथ इनमें प्रोटीन और विटामिन ए, बी6, बी12, डी, कैल्शियम, आयोडीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस, सेलेनियम, जिंक भी होते हैं।
6. एपल साइडर विनेगर : एपल साइडर विनेगर में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं। यह आंतों को स्वस्थ रखने के साथ ही वजन कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करता है। आप गुनगुने पानी के साथ या खाने में डालकर इसका सेवन कर सकते हैं।
7. इडली-डोसा : इडली और डोसा मशहूर भारतीय भोजन है, जो दाल और चावल को पीसकर उसमें खमीर उठाकर बनाया जाता है। यही कारण है कि यह कार्बोक्जिलिक एसिड बैक्टीरिया से भरपूर प्रोबायोटिक्स है। इससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होता है साथ ही मेटाबॉलिज्म भी सुधरता है।
8. कांजी : कांजी भारत का एक मशहूर ड्रिंक है। राई और नमक के पानी में खमीर उठा कर बनाया जाने वाला यह ड्रिंक प्रोबायोटिक्स से लबालब होता है। नियमित रूप से कांजी का पानी पीने से आपका पाचन तंत्र और मेटाबॉलिज्म दोनों ही सुधरते हैं। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही पोटेशियम और मैंगनीज भी होता है। सर्दियों के मौसम में इसे गाजर और चुकंदर से बनाया जाता है। वहीं गर्मी के मौसम कांजी में दाल के बड़े डाले जाते हैं।
9. पोकल भात : पोकल भात ओडिशा का एक मशहूर व्यंजन है। इसे पके हुए चावल, पानी, नमक, हरी मिर्च, दही, खीरा, नींबू, पुदीना, प्याज और जीरा डालकर बनाया जाता है। यह खमीर उठा चावल प्रोबायोटिक का एक स्वादिष्ट विकल्प है। यह आंतों को स्वस्थ रखता है और उन्हें संक्रमण से बचाता है।
10. चुकंदर : बहुत कम लोग जानते हैं कि चुकंदर भी प्रोबायोटिक का एक अच्छा सोर्स है। जो लोग लैक्टोज असहिष्णु होते हैं उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है। इस हाई फाइबर सब्जी को आप सलाद, सब्जी, सैंडविच आदि में आसानी से शामिल कर सकते हैं।
11. हरे जैतून : हरे जैतून के कई गुण लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसे प्रोबायोटिक के रूप में देखते हैं। जबकि यह आंत के अनुकूल बैक्टीरिया, लैक्टोबैसिलस से भरपूर होता है।
ये जरूरी कदम उठाना न भूलें

अपने आहार में प्रोबायोटिक्स शामिल करने के साथ ही अगर सिक सीजन में आपको बीमारियों से दूर रहना है तो कुछ सावधानियां रखना और आदतें अपनाना बहुत जरूरी है।
फाइबर है जरूरी : अपने और परिवार के आहार में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, मेवे, अलसी के बीज, तरबूज के बीज आदि शामिल करें। क्योंकि फाइबर आंतों को अच्छे से साफ करने में मददगार होता है। इससे गंदे बैक्टीरिया आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
कम करें तनाव : तनाव का सीधा असर आपकी सेहत पर पड़ता है। इसलिए जीवन में माइंडफुलनेस को अपनाएं। साथ ही योग, ध्यान आदि तनाव प्रबंधन तकनीकों का सहारा लें।
पर्याप्त और अच्छी नींद : अधिकांश लोग इसे जरूरी नहीं समझते। लेकिन शोध बताते हैं कि अच्छी और पर्याप्त नींद शारीरिक और मानसिक दोनों ही सेहत के लिए जरूरी है। नींद की कमी से आंतों में गंदे बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है।
एंटीबायोटिक दवाओं से बचें : एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करें। इन्हें खुद से लेने की गलती न करें। क्योंकि एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन अच्छे बैक्टीरिया को मार सकता है।
नियमित करें व्यायाम : अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें। इससे आप फिट रहेंगे। साथ ही आपका मेटाबॉलिज्म सुधरता है।
बार-बार हाथ धोएं : गंदे हाथ संक्रमण का सबसे बड़ा कारण बन सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से अपने हाथों को धोना न भूलें। इससे आप कई संक्रमणों से बच सकते हैं।
न खाएं कच्चा खाना : कच्चे खाने में बैक्टीरिया पनपने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए हमेशा अच्छे से पके हुए भोजन का ही सेवन करें। स्ट्रीट और जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा मीठे भोजन से दूर रहें।
