Side Effects of Chemotherapy: कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो शरीर की कोशिकाओं के डीएनए में होने वाले बदलाव के कारण उत्पन्न होती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। अगर इसका पता समय पर ना चल पाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। कैंसर को अलग-अलग स्टेज में बांटा गया है। जहां शुरुआती स्टेज में इसका इलाज आसान होता है, लेकिन तीसरी और चौथी स्टेज में इसका उपचार चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस बीमारी के इलाज में डॉक्टर कीमोथेरेपी का उपयोग करते हैं।
कीमोथेरेपी
कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। हालांकि, कीमोथेरेपी से कैंसर का उपचार संभव है लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं। आज हम आपको इस लेख के द्वारा कीमोथेरेपी के दौरान शरीर पर पड़ने वाले कुछ प्रभावों के बारे में बताएंगे जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है ताकि इलाज के दौरान मरीज की सेहत को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सके।
कीमो ब्रेन
कीमोथेरेपी के बाद कुछ लोगों को ‘कीमो ब्रेन’ की समस्या का सामना करना पड़ सकता है जिसमें दिमाग पर असर पड़ने के कारण सोचने और याददाश्त से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होती है। इन समस्याओं में व्यक्ति को तारीखें, लोगों के नाम या सामान्य चीजे। याद रखने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कभी-कभी देखने में धुंधलापन भी महसूस हो सकता है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की कीमोथेरेपी के प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग होते हैं।
बालों का झड़ना
कीमोथेरेपी के बाद बालों की ग्रोथ में कमी आना और झड़ने की समस्या बेहद ही आम है। यह समस्या हार्मोंस के प्रभाव से होती है। कीमोथेरेपी के तुरंत बाद ही सबसे पहला असर बालों पर ही दिखाई पड़ता है। जिससे बालों के आकार, रंग और बनावट में बदलाव देखा जा सकता है। हालांकि, यह एक स्थायी समस्या है। डॉक्टर के मुताबिक समय के साथ बालों की ग्रोथ सामान्य हो जाती है और उनकी सेहत भी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
हृदय संबंधी समस्या
कीमोथेरेपी के बाद कुछ लोगों को हृदय संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस उपचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हृदय की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। इन दवाओं का सेवन करने से हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती है जिससे हृदय की धड़कनों का अनियमित होना, हृदय में दर्द और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं ।
थ्रांबोसाइटोपेनिया
कीमोथेरेपी के दौरान प्लेटलेट्स पर असर पड़ सकता है, जो रक्त के थक्के बनने और ब्लीडिंग रोकने में मदद करते हैं। प्लेटलेट्स की कमी को थ्रांबोसाइटोपेनिया कहा जाता है। जिसमें व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। इस स्थिति में चोट लगने या किसी भी कारण से ब्लीडिंग होने पर रक्त को रुकने में परेशानी होती है जिससे अत्यधिक ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है।
कमजोर इम्यून सिस्टम
कीमोथेरेपी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती है जिससे शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इससे व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या में कमी आ सकती है जिससे न्यूपेनिया कहा जाता है। इस स्थिति में शरीर बाहरी बैक्टीरिया और वायरस से बचाव करने में सक्षम नहीं होता है। जिससे बुखार, सर्दी, जुकाम और कफ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण मरीज को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है इसलिए कीमोथेरेपी के दौरान विशेष सावधानी और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए उचित देखभाल की आवश्यकता होती है।
