Seven Yoga Chakras: योग पहले सिर्फ हमारे शास्त्रों और ऋषि-मुनियों तक ही सीमित था। लेकिन, आज योग को विश्वभर में अलौकिक पहचान मिली है। योग अब दुनियाभर में लोगों के बीच मौजूद है और उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा भी है। योग की लोकप्रियता के बीच आपने मनुष्य शरीर में मौजूद सात चक्रों के बारे में जरूर सुना होगा। लेकिन, बिना योग को जाने इन चक्रों को समझ पाना मुमकिन नहीं। ये सात अद्भुत चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा का केंद्र होते हैं। पर आप जानते हैं ये सात चक्र हमारे शरीर में क्या दर्शाते हैं? या फिर ये कैसे काम करते हैं? यकीनन नहीं तो, आज आप हमारे इस लेख के जरिये इन चक्रों को और उनके काम को समझेंगे।
Seven Yoga Chakras: ये हैं योग के अद्भुत 7 चक्र
योग विज्ञान संस्थान पंजी के वरिष्ठ साधक राम खिलाड़ी नायक ने मनुष्य के शरीर में मौजूद सात चक्रों के बारे में बताया कि हमारे शरीर में मौजद ये सात चक्र ऊर्जा और प्राण के केंद्र होते हैं। इनकी विशेषता और प्रभाव शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर बेहद सकारात्मक होता है। वो सात चक्र हैं मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्त्रार चक्र।
मूलाधार चक्र (Muladhara Chakra)

मूलाधार चक्र हमारी रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित होता है, जो नींव के तौर पर काम करता है। ये आपके मन, शरीर और आत्मा को पृथ्वी से जोड़ता है। लाल रंग से जुड़ा मूलाधार चक्र आंत, हड्डियों, दांतों, गुर्दे आदि के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
स्वाधिष्ठान चक्र (Swadhishthana Chakra)

नाभि के नीचे स्थित नारंगी रंग से जुड़ा स्वाधिष्ठान चक्र भावनाओं के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है। रचनात्मकता, इच्छा और आत्म-मूल्य की भावनाओं से जुड़ा ये चक्र यौन ऊर्जा और ऑटोइम्यून सिस्टम को भी कंट्रोल करता है।
मणिपुर चक्र (Manipur Chakra)

पीले रंग से जुड़ा ये चक्र पेट के ऊपरी हिस्से में मौजूद होता है। आत्म-सम्मान, आत्म-मूल्य और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। ये ऊर्जा के सबसे बड़े केंद्र का स्वामी माना जाता है। इससे ही पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। मन या शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव सीधा मणिपुर चक्र पर पड़ता है।
अनाहत चक्र (Anahata Chakra)

प्रकृति को संबोधित करता हरा रंग इस चक्र से जुड़ा होता है। हृदय (Heart) के केंद्र में स्थित अनाहत चक्र से व्यक्ति की भावनाएं और साधना की आंतरिक अनुभूतियां जुड़ी होती हैं।
विशुद्ध चक्र (Vishuddha Chakra)

ये चक्र संवाद करने और खुद को मौखिक रूप से व्यक्त करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। ये मनुष्य के गले में विराजमान होता है, जो नीले रंग से संबंधित है। इसके अंसतुलित होने पर थायराइड या फिर गले से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं।
आज्ञा चक्र (Agya Chakra)

ध्यान की बात होती है तो आज्ञा चक्र पहले स्थान पर होता है। नीले रंग से जुड़ा आज्ञा चक्र आइब्रो के बीचो-बीच स्थित होता है। यह मनुष्य की अंतर्ज्ञान, कल्पना, बुद्धि, ज्ञान, आत्म-जागरूकता और स्पष्ट सोच पर काम करता है। इसी चक्र पर ध्यान केंद्रित करने से मन मुक्त अवस्था में आ जाता है।
सहस्त्रार चक्र (Sahasrara Chakra)

बैंगनी रंग का सहस्त्रार चक्र मनुष्य के सिर के शीर्ष पर विराजमान होता है, जो उच्च चेतना तक पहुंचने में मदद करता है। हालांकि, इस चक्र को जागृत करना आसान नहीं है।