1. कपालभाति
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
क्योंकि ये कफ संबंधी बीमारियां दूर करने में सहायक है। इससे अस्थमा-ब्रोंकाइटिस भी दूर होता है।
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।
  • दोनों नासिकाओं से गहरी सांस भीतर लें। ऐसे में सीना पफूलेगा। 
  • अब सांस को बलपूर्वक पूरी तरह से बाहर निकालें।
  • इस तरह से 20 सांसें बिना रुके लेनी और निकालनी हैं। यह कपालभाति का एक राउंड हुआ। हर राउंड के बाद कुछ लंबी और गहरी सांस लें। पिफर छोड़ें सांस। दूसरा राउंड भी ऐसे ही करें। ऐसे 3 राउंड कर सकते हैं। 
 
कौन न करें
 
जिन लोगों को हृदय रोग है, चक्कर आते हैं, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) ज्यादा रहता है या हार्निया की शिकायत है, वे इसे न करें।
 
2. अनुलोम-विलोम
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
क्योंकि ये तनाव को कम करता है और प्राणशक्ति को बढ़ाता है। इसे सभी लोग कर सकते हैं। 
 

 

 
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • सुखासन में बैठ जाएं। बायें हाथ की हथेली को ज्ञान मुद्रा में घुटने पर रखें। 
  • दायें हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बायें नासिका पर रखें और अंगूठे को दाहिने नथुने पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। 
  • अब बायें नथुने से सांस भरें और उसे अनामिका तथा सबसे छोटी उंगली को मिला कर बंद कर लें। फौरन ही दाहिने नथुने से अंगूठे को हटाकर सांस को बाहर निकाल दें। अब दाहिनी नासिका में से सांस भरें और उसे अंगूठे से बंद कर दें। इस सांस को बायें नथुने से बाहर निकाल दें। यह एक राउंड हुआ। ऐसे 5 राउंड करें। 
 
3. उज्जयी प्राणायाम
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
इस प्रक्रिया में पैदा होने वाली ध्वनि मन को शांत करती है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) नियंत्रण करने में सहायता मिलती है। साथ ही ये दिल की धड़कनों को भी संतुलित करता है। अस्थमा एवं तपेदिक (टीबी) को ठीक करने में मददगार है। 
 
 
 
 
 
 
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। 
  • आंखें बंद कर लें, फिर अपनी नासिकाओं से हल्की-हल्की लंबी सांस भरें और निकालें। सांस भरते और निकालते वक्त गले की मांसपेशियां सिकुड़ी हुई अवस्था में होनी चाहिए, जिससे हवा निकलने का मार्ग छोटा हो जाए। ऐसी स्थिति में सांस लंबी और गहरी होनी चाहिए। गले द्वारा पैदा किए जा रहे अवरोध् की वजह से सांस लेने और बाहर निकालने की आवाज होगी। 
 
कौन न करें
 
जिन लोगों को दिल की बीमारी है, कृपया वे इसे न करें।
 
 
4. भ्रामरी प्राणायाम
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
क्योंकि इससे गुस्सा एवं बेचैनी कम होता है और तनाव से भी छुटकारा मिलता है। 
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। 
  • दोनों हाथों को चेहरे पर लाएं। दोनों अंगूठे दोनों कानों में जाएंगे। तर्जनी उंगली आंखों के ऊपर रखें, मध्यमा नाक के पास, अनामिका होंठ के ऊपर और सबसे छोटी उंगली होंठ के नीचे रहेगी। 
  • नाक से गहरी और लंबी सांस लें। 
  • अब सांस को भंवरे की आवाज करते हुए बाहर निकालें। यह 1 राउंड हुआ। ऐसे कुल 5 राउंड करने हैं। 
 
कौन न करें
जिन लोगों की नाक या कान में संक्रमण ;इन्पफेक्शनद्ध है, वे इसे न करें। 
 
5. भस्त्रिका प्राणायाम
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
क्योंकि ये शरीर से टाॅक्सिंस को बाहर निकालने में मददगार है। यह प्राणायाम शरीर में आॅक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर बनाता है और रक्त को शुद्ध भी करता है। 
 
 
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। दोनों नासिकाओं से पूरी तेजी के साथ सांस लें। पूरी ताकत के साथ सांस को बाहर निकाल दें। भस्त्रिाका प्राणायाम में सांस लेते हुए और निकालते समय पूरी ताकत का लगाना बहुत ही जरूरी है। 
  • एक बार सांस भरना और निकालना। इस तरह 20 राउंड लगातार करें। पिफर कुछ आराम करें। पिफर 20 राउंड करें। ऐसा 3 बार कर सकते हैं। 
कौन न करें
 
जिन लोगों को हृदय रोग है, हार्निया है, उच्च रक्तचाप है वे इस प्राणायाम को न करें। गर्मियों के मौसम में भी न करें।
 
6. शीतली प्राणायाम
 
क्यों करें ये प्राणायाम?
 
क्योंकि ये शरीर को ठंडा रखने में सहायता करता है। साथ ही ये एसिडिटी और हाइपर टेंशन को ठीक करता है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कैसे करें
 
  • किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। जीभ के टिप को नीचे वाले  होंठ पर रख लें। उसे रोल करें। मुंह से सांस लें और सांस को रोककर रखें। अब मुंह बंद कर लें। नाक से सांस को बाहर निकालें। 
  • यह एक राउंड हुआ। शुरू में 2-3 राउंड कर सकते हैं और बाद में 15 राउंड तक बढ़ाया जा सकता है। 
 
कौन न करें
 
यह प्राणायाम सर्दी से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए। इसे सर्दियों के मौसम में न करें। ​​