जून 2015 को जो हुआ उसे बहुत पहले ही हो जाना था यानी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करना। वरना वैलन्टाइंस डे, फ्रेंडशिप डे, हग डे, किस डे, आदि जैसे ‘डेज’ यानी दिनों की तादात इतनी बढ़ गई है कि भारत की संस्कृति, कला व योग आदि तो जैसे किताबों में इतिहास या पाठ्यक्रम का ही हिस्सा बन कर रह गई हैं। सांस्कृतिक पर्वों एवं धार्मिक उत्सवों ने तो वैसे ही मनोरंजन का हाईटेक रूप ले लिया है। ऐसे मे भला हो ‘टीचर्स डे’ का जो औपचारिकतावश स्कूल-कॉलेज में गाहे-बगाहे मना लिया जाता है वरना ‘गुरु पूर्णिमा’ का तो हाल और बुरा है लोगों को खासकर युवाओं को तो पता ही नहीं चलता कि ‘गुरु पूर्णिमा’ कब और क्यों मनाई जाती है? ऐसे में 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने फिर से एक नई उम्मीद जगाई है।

बहरहाल जिन लोगों ने योग के बारे में सिर्फ सुना भर था वह भी इसकी अधिक जानकारी जुटाने लगे हैं बल्कि जिन लोगों के लिए यह एक नई चीज थी वो भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं। विशेष बात तो यह है कि योग को वैश्विक स्तर पर समझे जाने और अपनाने की बात शुरू हुई है। और तो और योग से जुड़ी मान्यताएं एवं परिभाषाएं भी सही अर्थों में प्रकट होने लगी हैं। मसलन किसी की नजर में योग परमात्मा को पाने का एक धार्मिक माध्यम भर था तो कोई इसे हिंदू धर्म के दायरे में ही देखता था। कुछ इसके वैज्ञानिक पक्ष से बेखबर थे तो कुछों को यह अंदाजा ही नहीं था कि यह हमें रोगों से बचाने व उनसे दूर रखने का सरल व प्राकृतिक उपाय भी है। इसका नियमित अभ्यास हमें तन-मन एवं आत्मा, तीनों के स्तर पर स्वस्थ और मजबूत बनाता है।

राजपथ, जिसे इंडिया गेट तथा 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह स्थल के रूप में लोगों द्वारा अधिक पहचाना व जाना जाता है, 21 जून 2015 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से इस स्थान को अपनी नई तस्वीर ही नहीं बल्कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर भारत को विश्व के पैमाने पर नई पहचान भी हासिल हुई है। जिसका श्रेय जाता है भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ को।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

21, जून 2015 का सफल प्रयास

इस दिन राजपथ पर 35,985 लोगों ने प्रधानमंत्री सहित सामूहिक योग करके न केवल एक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया बल्कि दुनिया भर में, भारत की संस्कृति के प्रतीक ‘योग’ को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाने का सफल प्रयास भी किया। इस दिन दुनिया भर के 192 देशों के 251 शहरों में योग के सामूहिक कार्यक्रम आयोजित हुए। इनमें 46 मुस्लिम देश भी थे। 21 जून को दुनिया भर में कुल मिलाकर दो करोड़ लोगों ने योगासन किया। एक साथ योग की ऐसी धमक कभी नहीं सुनी गई जैसी 21 जून 2015 को सुनायी दी।

साल का सबसे लंबा दिन चुना

इस दिवस की नींव मोदी ने 27 सितंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र संघ में दिये अपने पहले संबोधन में प्रस्तावित की थी। इस प्रस्ताव के कुछ दिनों बाद भारत सरकार से पूछा गया था कि किस दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया जा सकता है। इस बात का निर्णय स्वामी रामदेव जी के साथ पतंजलि योग पीठ में लिया गया। स्वामी रामदेव ने इस दिन के लिए 21 जून का दिन यह कहकर सुझाया कि ‘यह दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है।’ रामदेव के सुझाए इस दिन को प्रधानमंत्री और भारत सरकार ने स्वीकृत करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजा, जिसे मंजूर कर लिया गया अैर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

27 सालों से योग से जुड़े हैं मोदी

मोदी के जीवन में योग का साथ पिछले 27 सालों से है, इस बात को उन्होंने राजपथ पर योग करने से पहले अपने भाषण में कहा। साथ ही यह भी बताया कि ‘योग मेरे जीवन का सहारा है, मैं वर्षों से इसे कर रहा हूं। मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन आया है।’ योग के संबंध में मोदी ने कहा, ‘ज्यादातर लोग योग को अंगमर्दन का माध्यम मानते हैं। मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ी गलती है। अगर योग अंगमर्दन का कार्यक्रम होता, तब सर्कस में काम करने वाले बच्चे योगी कहलाते। शरीर को केवल मोड़ देना या अधिक से अधिक लचीला बनाना ही योग नहीं है…योग जी भर कर जीवन जीने की जड़ी-बूटी है। …योग व्यवस्था नहीं, एक अवस्था है।… योग से शांति मिलती है…यदि मस्तिष्क शरीर का मंदिर है तो योग एक सुंदर मंदिर का निर्माण करता है।… इस बात के कई प्रमाण हैं कि योग तनाव और जटिल बिमारियों से लड़ने में हमारी मदद करता है।

 

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