bathroom camping
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Causes of Constipation: कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसका सामना हम सभी ने कभी ना कभी किया ही है। आमतौर पर, जब किसी व्यक्ति को कब्ज की शिकायत होती है तो उसके लिए मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में तीन बार से भी कम मल त्याग करता है तो यह माना जाता है कि उसे कब्ज की शिकायत है। यदि किसी व्यक्ति को प्रति सप्ताह एक से कम मल त्याग होता है, तो उसे गंभीर कब्ज माना जाता है। ऐसे में व्यक्ति को तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

कब्ज की शिकायत होने पर ना केवल मल त्याग करने में कठिनाई होती है, बल्कि कभी-कभी मल छोटे स्टोन की तरह नजर आता है। इसके अलावा, व्यक्ति को सूजन, गैस या असुविधा का अहसास होता है। कब्ज की समस्या के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन, प्रेग्नेंसी से लेकर रूटीन में बदलाव आदि कब्ज का कारण बनते हैं। हालांकि, इसके अलावा आपका खानपान भी बाउल मूवमेंट को बहुत अधिक इफेक्ट करता है। इसलिए, आपको अपने खाने का भी खास ख्याल रखना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी ही फूड आइटम्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका बहुत अधिक सेवन करने पर आपको कब्ज की शिकायत हो सकती है या फिर वह बढ़ सकती है-

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अगर आप बहुत अधिक शराब का सेवन करते हैं तो इससे आपको कब्ज की शिकायत हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि आप बहुत अधिक शराब पीते हैं, तो यह आपके मूत्र के माध्यम से निकलने वाले तरल पदार्थों की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है। कब्ज का एक मुख्य कारण डिहाइड्रेशन भी है। पर्याप्त पानी ना पीने या फिर मूत्र के माध्यम से बहुत अधिक पानी निकलने के कारण सूखा मल हो सकता है जिसे त्यागना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कब्ज की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, शराब के सेवन और कब्ज के बीच सीधे संबंध पर कोई अध्ययन नहीं पाया जा सका है। इसके अलावा, कुछ लोग रात में शराब पीने के बाद कब्ज के बजाय दस्त का अनुभव करने की शिकायत करते हैं। यह संभव है कि शराब का प्रभाव व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होता है।  

प्रोसेस्ड ग्रेन्स और उनसे बने फूड प्रोडक्ट्स जैसे व्हाइट ब्रेड, सफेद चावल और सफेद पास्ता आदि में फाइबर काफी कम होता हैं और होल ग्रेन की तुलना में वे अधिक कब्ज पैदा करने वाले हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोसेसिंग के दौरान अनाज के चोकर को हटा दिया जाता है। विशेष रूप से, चोकर में फाइबर होता है। यह एक पोषक तत्व है जो मल में बल्क जोड़ता है, जिससे मल त्यागना अधिक आसान हो जाता है। कई अध्ययनों में हाई फाइबर को कब्ज के कम जोखिम से जोड़ा है। इसलिए, जिन लोगों को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है, उन्हें प्रोसेस्ड ग्रेन्स की जगह होल ग्रेन का सेवन करना चाहिए।

Dairy Products
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कुछ लोगों को दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स के कारण भी कब्ज की शिकायत हो सकती है। खासतौर से, शिशु या छोटे बच्चों को ऐसा होने की संभावना अधिक होती है। संभवतः गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति संवेदनशीलता के कारण ऐसा होता है। वहीं, जिन लोगों को लैक्टोज इनटॉलरेंट की समस्या है, उन्हें डेयरी का सेवन करने के बाद कब्ज के बजाय दस्त का अनुभव हो सकता है। इसलिए, डेयरी प्रोडक्ट्स का असर हर व्यक्ति पर अलग हो सकता है। अगर आपको लगातार कब्ज की शिकायत हो रही हैं तो आप कुछ वक्त के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं और फिर यह देखें कि आपकी स्थिति में किसी तरह का सुधार हो रहा है या नहीं।

अगर आपको पहले से ही कब्ज की शिकायत है तो रेड मीट का सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। सबसे पहले तो इसमें फाइबर की मात्रा काफी कम होती है, जिससे आपकी कब्ज की शिकायत बढ़ सकती है। वहीं, अगर आप अपने भोजन में रेड मीट अधिक लेते हैं तो ऐसे में आप अपने डेली इनटेक में फाइबर युक्त सब्जियां, फलियां और साबुत अनाज की मात्रा कम कर देते हैं, इससे भी आपको नुकसान होता है। इतना ही नहीं, रेड मीट में आम तौर पर अधिक मात्रा में वसा होती है, और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों को पचाने में शरीर को अधिक समय लगता है। कुछ मामलों में, इससे कब्ज की संभावना और भी बढ़ सकती है।

फ्राइड या फास्ट फूड खाने में काफी अच्छा लगता है, लेकिन वास्तव में यह सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता। अगर आप अधिक मात्रा में या फिर बार-बार तला हुआ और फास्ट फूड खाते हैं तो इससे आपको कब्ज होने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में फैट अधिक और फाइबर कम होता है। जिसके कारण आपका पाचन धीमा हो सकता है। साथ ही, यह प्रति दिन उपभोग की जाने वाली फाइबर की कुल मात्रा को कम करके कब्ज की संभावना को और बढ़ा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि चॉकलेट उनके कब्ज का एक मुख्य कारण है। इसके अलावा, तले हुए और फास्ट फूड में बड़ी मात्रा में नमक होता है, जो मल में पानी की मात्रा को कम कर सकता है और इसे सुखा सकता है। ऐसे में शरीर से इसे बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है और व्यक्ति को कब्ज की शिकायत होती है।   

मैं मिताली जैन, स्वतंत्र लेखिका हूं और मुझे 16 वर्षों से लेखन में सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया में 9 साल से अधिक का एक्सपीरियंस है। मैं हेल्थ,फिटनेस, ब्यूटी स्किन केयर, किचन, लाइफस्टाइल आदि विषयों पर लिखती हूं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित...