पैरालिसिस अटैक में क्या खाएं और क्या न खाएं? जानें विस्तार से
Diet for Paralysis Attack : लकवा मरीजों के डाइट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं लकवा मरीजों का किस तरह का होना चाहिए आहार?
Diet for Paralysis Patient : पैरालिसिस यानी लकवा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के शरीर का कोई एक या फिर आधा हिस्सा काम करना बंद कर देता है। लकवा से प्रभावित हिस्से में मरीज को कुछ भी महसूस नहीं होता है। अगर शरीर का कोई हिस्सा लकवा से प्रभावित है, तो आपको अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। इसके अलावा आपको अपनी हाइट पर भी अधिक ध्यान देने की जरूरत है। आज इस लेख में हम आपको पैरालिसिस अटैक में क्या खाना चाहिए, इस विषय के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में-
लकवा के मरीजों के लिए अच्छा आहार कौन सा है?
सैल्मन फिश

लकवा के मरीजों के लिए सैल्मन फिश अच्छा होता है। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होता है, जो आपके मस्तिष्क के बेहतर विकास को बढ़ावा देता है। यह न्यूरोट्रॉफिक कारक स्तर को बनाए रखने और न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देने में मदद करता है। सैल्मन फिश में ईपीए नामक ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। शरीर में ईपीए बढ़ाने से स्ट्रोक रिकवरी में मदद मिलती है।
अलसी के बीज (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड)

अलसी का बीज अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) का काफी अच्छा स्त्रोत है। यह एक तरह का ओमेगा -3 फैटी एसिड है, जिसे आहार में शामिल करने से आपका ब्रेन अच्छे से कार्य करता है। हाल ही में हुए रिसर्च से पता चलता है कि अलसी में मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक, न्यूरो प्रोटेक्शन और न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है। यह पैरालिसिस मरीजों के लिए काफी प्रभावी हो सकता है। इससे दोबारा अटैक के खतरों को भी कम करने में मदद मिलती है।
ड्राईफ्रूट और सीड्स में मौजूद विटामिन ई

ड्राईफ्रूट्स और सीड्स बीज विटामिन ई का अच्छा स्रोत हैं, जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में प्रभावी हो सकता है। इसके अलावा विटामिन ई लकवा और स्ट्रोक के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। विटामिन ई अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण जाना जाता है, जिससे लकवा रोगियों की रिकवरी को बेहतर करने में मदद मिलती है।
एवोकैडो में मौजूद ओलिक एसिड
लकवा रोगियों के लिए एवोकैडो भी फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद ओलिक एसिड स्ट्रोक के खतरों को कम करने में असरदार है। बता दें कि ओलिक एसिड से भरपूर एक खाद्य पदार्थ एवोकाडो का सेवन करने से आपके शरीर को भरपूर रूप से एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होता है। अध्ययनों से पता चला है कि एवोकैडो में काफी बेहतर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो न्यूरोप्रोटेक्टिव एजेंट भी हो सकते हैं। इसका सेवन आप सैंडविच, सलाद या स्मूदी इत्यादि में कर सकते हैं। इससे लकवा मरीजों की रिकवरी तेजी से हो सकती है।

अंडे हैं फायदेमंद
लकवा के मरीजों के लिए प्रोटीन से भरपूर अंडा फायदेमंद हो सकता है। अंडे काफी नरम होते हैं, जिसे लकवा मरीज आसानी से खा सकते हैं। इसे निगलने में काफी आसानी होती है। इसके अतिरिक्त, जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रिशन के एक अध्ययन के अनुसार, अंडे खाने से एक बार हुए पैरालिसिस अटैक के बाद दूसरे अटैक के खतरों को भी कम करने में मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं, रिसर्च में बताया गया है कि प्रतिदिन एक अंडा खाने से लकवा यानी स्ट्रोक के खतरे को लगभग 12% तक कम करने में मदद मिल सकती है।

ऑलिव ऑयल
जैतून का तेल हमारे शरीर में अपोलीपोप्रोटीन की मात्रा बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है, जो ब्लड में पाया जाने वाला प्रोटीन है। इस प्रोटीन की उच्च मात्रा हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकती है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। अगर आप लकवा के मरीज हैं, तो इसका सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल आप सलाद की ड्रेसिंग या खाना पकाने में कर सकते हैं।

क्विनोआ
रिसर्च से पता चलता है कि पौधे आधारित खाद्य पदार्थ, जैसे – साबुत अनाज पैरालिसिस के खतरों को कम करने में मददगार हो सकते हैं। इन साबुत अनाजों में क्विनोआ सबसे मशहूर खाद्य पदार्थों में से एक है। क्विनोआ फाइबर से भरपूर होता है और इसमें सभी तरह के अमीनो एसिड भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा यह हमारे शरीर में प्रोटीन बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इतना ही नहीं, यह कोशिकाओं की मरम्मत करने और नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायक हो सकता है। अगर आप लकवा मरीज हैं, तो नियमित रूप से क्विनोआ का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

ग्रीक योगर्ट
ग्रीक योगर्ट कैल्शियम और प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है। इसे आप ब्रेकफास्ट के रूप में खा सकते हैं। लकवा रोगियों के लिए यह काफी फायदेमंद हो सकता है। ग्रीक योगर्ट प्रोबायोटिक्स का एक बेहतरीन स्त्रोत है, जो गट हेल्थ को बढ़ावा दे सकते हैं। साथ ही यह भविष्य में होने वाले स्ट्रोक के जोखिम को भी कम कर सकता है।

ग्रीन टी है फायदेमंद
लकवा रोगियों के लिए ग्रीन टी भी फायदेमंद हो सकती है। इसमें मौजूद कैफीन हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए हेल्दी हो सकता है। इसके साथ ही ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड सामग्री काफी ज्यादा होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक अध्ययन में पाया गया कि ग्रीन टी पीने से ब्रेन स्ट्रोक यानी पैरालिसिस के खतरों से बचा जा सकता है। यह स्ट्रोक की वजह से होने वाले मृत्यु के जोखिम को 62% तक कम करने में मददगार है।

बीन्स
लकवा या स्ट्रोक के मरीजों के लिए बीन्स भी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। बीन्स सब्जियों का एक ग्रुप है, जिसमें फ्रेंच बीन्स, सेम जैसी सब्जियां शामिल होती हैं। अगर आप लकवा के मरीज हैं, तो बीन्स को नियमित रूप से अपने आहार में जोड़ें। इससे आपके शरीर को पोटेशियम, लौह और प्रोटीन के उत्कृष्ट स्रोत होते हैं।
स्ट्रोक के बाद अपने आहार में शामिल करने के लिए विभिन्न प्रकार की फलियों में सेम, दाल और मटर शामिल हैं। बीन्स विशेष रूप से मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं जो न्यूरो प्रोटेक्शन में मदद करते हैं। फलियां भी बहुमुखी हैं और इन्हें मांस रहित बर्गर में बनाया जा सकता है या सूप और स्ट्यू में शामिल किया जा सकता है।

पैरालायसिस मरीजों को क्या नहीं खाना चाहिए?
ट्रांस फैट से बनाएं दूरी
अगर आप लकवा मरीज हैं तो अपने आहार में ट्रांस फैट को शामिल न करें। इससे कोलेस्ट्रॉल की परेशानी बढ़ जाती है, जो एक फैटी सब्सटेंस होता है। शरीर में अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए कोशिश करें कि तली-भुनी चीजें, मसालेदार चीजों इत्यादि से दूरी बनाकर रखं।
इसके साथ ही ट्रांस फैट के प्रभाव को कम करने के लिए अपने आहार में अधिक से अधिक फल और सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा रिसर्च के मुताबिक, हेल्दी आहार जैसे- फल और सब्जियों से आप अपने शरीर में ट्रांस फैट कम कर सकते हैं। लकवा मरीज को पूरे दिन में कम से कम 1 कप सब्जी और 1 गिलास फलों का जूस पीना चाहिए।

नमक का इनटेक करें कम
पैरालिसिस के मरीजों को अपने आहार में सोडियम यानी नमक का इनटेक भी कम करना है। नमक या फिर सोडियम युक्त आहार का अधिक सेवन करने से शरीर में ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ सकती है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में कोशिश करें कि खाने में अधिक नमक न शामिल करें। इसके साथ-साथ प्रिजर्व फूड, डिब्बाबंद चीजें, जंक फूड्स इत्यादि से दूरी बनाकर रखें। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से हाई ब्लड प्रेशर या स्ट्रोक की समस्या है, उन्हें अपने आहार में 1500 मिलीग्राम सोडियम से अधिक नमक को शामिल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा शुगर की मात्रा को भी अपने आहार में सीमित करें।

इन चीजों से भी करें परहेज
- अगर आपको लकवा अटैक आ चुका है, तो नए अनाज, मैदा या फिर इससे बनी चीजों से दूरी बनाएं।
- अरहर, सोयाबीन और चना जैसे दालों का सेवन न करें। इस तरह के दाल का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- आलू, भिंडी, फूलगोभी, अरबी जैसी वादी सब्जियों का सेवन सीमित करें या बिल्कुल भी न खाएं।
- जामुन भी लकवा रोगियों के लिए फायदेमंद नहीं माने जाते हैं।
- पनीर, राजमा, कटहल, इत्यादि का सेवन भी कम से कम करें।
लकवा ठीक होने में कितना समय लगता है?
अधिकतर लोगों का मानना है कि लकवा अटैक आने के बाद शरीर के उस हिस्से पर दोबारा से सेंसेशन आना मुश्किल हो पाता है। हालांकि, मरीजों की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार लाया जा सकता है। मुख्य रूप से अगर मरीज खुद कोशिश करे, तो इससे उन्हें काफी लाभ मिलता है। हालांकि, डॉक्टरों की मानें तो अगर समय पर लकवा अटैक आने पर इलाज किया जाए, तो मरीजों की स्थिति में करीब 2 से 3 दिन बाद ही पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है। वहीं, करीब 6 माह में बेहतर ढंग से रिकवरी हो सकती है।

लकवा में कौन से तेल की मालिश करनी चाहिए?
लकवा से प्रभावित हिस्से की अगर नियमित रूप से मालिश की जाए, तो इससे मरीजों की स्थिति में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए आप घर में मौजूद नैचुरल ऑयल का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे-
- नारियल तेल से मालिश
- लहसुन का तेल
- जैतून के तेल से मालिश
- सरसों का तेल
- तिल के तेल से मालिश, इत्यादि।
कैसे करें मालिश

मालिश करने के लिए सबसे पहले नैचुरल ऑयल लें। अब इसे प्रभावित हिस्से पर लगाकर करीब 10 से 15 मिनट तर सर्कुलेशन मोशन में मसाज करें। मालिश करने के बाद लगभग 20 मिनट तक धूप में बैंठें। इसके बाद नहा लें। ऐसा करने से स्थिति में काफी हद तक सुधार मिल सकती है।
लकवा को ब्रेन स्ट्रोक भी कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है, इस स्थिति में मरीज के शरीर का एक हिस्सा या फिर लगभग आधा हिस्सा काम करना बंद कर सकता है। कुछ स्थितियों में पूरे शरीर में लकवा अटैक आ सकता है। ऐसे में लकवा से बचाव ही आपके लिए सुरक्षित है। अगर आप लकवा पीड़ित है, तो अपने खानपान और लाइफस्टाइल के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से उचित सलाह जरूर लें।
FAQ | क्या आप जानते हैं
लकवा रोगी के लिए कौन सा फल अच्छा है?
लकवा या पैरालिसिस मरीजों के लिए खट्टे फल जैसे- अंगूर, पपीता, सेब, संतरा, चेरी जैसे फल काफी फायदेमंद हो सकते हैं। वहीं, सब्जियों की बात करें तो उनके लिए ब्रोकली, पालक, सहजन इत्यादि फायदेमंद होते हैं।
लकवा के लिए कौन सा भोजन परहेज है?
पैरालिसिस मरीजों के लिए एसिडिक और तीखे खाद्य पदार्थ अच्छे नहीं माना जाते हैं। खासतौर पर मरीजों को मैदा, अधिक तेल, मसालेदार खानपान जैसी चीजों से दूरी बनाकर रखने की जरूरत होती है। इसके बजाय उन्हें प्रोटीन और फाइबर से भरपूर आहार देने की जरूरत होती है, जैसे- साबुत अनाज, दूध, दही इत्यादि देना चाहिए।
लकवा में क्या आहार लेना चाहिए?
लकवा या पैरालिसिस की स्थिति में आप अपने आहार में अलसी के बीज, एवोकैडो, ग्रीक योगर्ट, साबुत अनाज जैसे फाइबर और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा तेल-मसाले, धूम्रपान, शराब, मैदा युक्त चीजों इत्यादि से परहेज करने की जरूरत होती है।
लकवा ठीक करने का सबसे तेज तरीका क्या है?
लकवा को अगर आप तेजी से ठीक करना चाहते हैं, तो मड थेरेपी का सहारा ले सकते हैं। इसके लिए आपको अपने प्रभावित हिस्से पर गीली मिट्टी का लेप लगाना चाहिए। अगर आप इसे रोजाना नहीं कर सकते हैं, तो सप्ताह में कम से कम 3 दिन या एक दिन छोड़कर इस थेरेपी को जरूर अपनाएं। इससे आपको काफी अच्छा रिजल्ट मिल सकता है।
पैरालिसिस अटैक के बाद क्या होता है?
पैरालिसिस का अगर समय पर इलाज न कराया जाए, तो मरीजों को हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज और ब्रेन ट्यूमर का खतरा बना रहता है। यह सभी स्थितियां जानलेवा साबित हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत अपने डॉक्टर से उचित सलाह लें। वहीं, किसी भी तरह की बेचैनी, बेहोशी या फिर चलने-फिरने, बोलने में दिक्कत होने पर तुरंत इमरजेंसी में अपना चेकअप कराएं, ताकि स्थिति बिगड़ने से पहले आपका इलाज शुरू किया जा सके।
क्या स्ट्रोक के मरीज लकवा से ठीक हो सकते हैं?
स्ट्रोक के मरीज लकवा से ठीक हो सकते हैं या नहीं, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही मरीज की उम्र और इच्छाशक्ति पर भी यह बात निर्भर होती है। इसलिए इस स्थिति में कहना संभव नहीं है कि स्ट्रोक के मरीज लकवा से ठीक हो सकते हैं या नहीं। हालांकि, इस बात की संभावना अधिक रहती है कि अगर समय पर मरीज का इलाज शुरू किया जाए, तो उनकी स्थिति में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है।