क्यों न आयुर्वेदिक उपचार से करें डेंगू पर वार: Dengue Ayurvedic Treatment
Dengue Ayurvedic Treatment

Dengue Ayurvedic Treatment: बुखार का होना हर मौसम में खतरनाक होता है। फिर वो चाहे बरसात के मौसम में आए बदलाव के कारण या किसी बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होने वाला वायरल हो या फिर छोटे से मच्छर के काटने से होने वाला मलेरिया, डेंगू या चिकिनगुनिया। कई बार तो समुचित देखरेख और उपचार के अभाव में ये जानलेवा तक बन जाता है। 

आयुर्वेद के अनुसार बुखार वातावरण और दूषित भोजन में मौजूद बैक्टीरिया के संक्रमण और मच्छर के काटने से होता है जो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। बुखार शरीर के तापमान का सामान्य से अधिक बढ़ने और शरीर की कार्यक्षमता गड़बड़ाने से होता है। इसे त्रिदोष विकार से जोड़ा गया है, जिनसे शरीर का तापमान बढ़ जाता है और दिलोदिमाग प्रभावित होता है। वात, पित्त और कफ दोष में असंतुलन से बुखार के साथ सर्दी-जुकाम, नाक बहना, बलगम, गला बैठना, सिर दर्द, बदन दर्द जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं। त्रिदोष होने पर जठराग्नि या डायजेस्टिव फायर हमारे अमाशय या जठरांत्र में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना शुरू कर देती है जिससे ये रक्त प्रवाह से शरीर में फैल जाते हैं और तापमान को बढ़ा देते हैं।

आयुर्वेद में डेंगू को दंडक, बांका बुखार या ब्रेकबोन फीवर और अभिषंगजा ज्वर भी कहते हैं। यह आर्बोवायरस है यानी कि संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ्लेविवाइरस वायरस के फैलने से होता है और यह वायरस फैलाता है- एडीज एजिप्टी मच्छर। यह बरसात के मौसम में रुके हुए पानी में तेजी से पनपने वाला धारीदार मच्छर होता है जो दिन के समय काटता है। जब एडीज मच्छर डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को काटता है, तो सबसे पहले वो खुद संक्रमित हो जाता है। फिर जब वही एडीज मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो वह डेंगू के वायरस उसके शरीर में पहुंचा देता है।

ये वायरस शरीर में पहुंच कर तुरंत अपना प्रभाव नहीं दिखाते, बल्कि शरीर की गर्मी से पनपते हैं और 3-4 दिन बाद अपना काम करना शुरू करते हैं। शरीर में रक्त संचार प्रणाली को प्रभावित होने लगती है, ब्लड प्लेटलेट काउंट कम होने लगते हैं जिससे रोगी की इम्यूनिटी कम हो जाती है, वह बहुत कमजोरी महसूस करता है और उसे बदन दर्द होता है। तभी तो इस बुखार को ब्रेकबोन भी कहा जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 100 मिलियन से ज्यादा व्यक्ति इसका शिकार होते है।

क्या हैं लक्षण

डेंगू बुखार किसी भी उम्र में हो सकता है। आमतौर पर मच्छर से संक्रमित रोगी में डेंगू के ये लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन हर व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग भी हो सकते हैं।

  • डेंगू की शुरुआत में बहुत कमजोरी महसूस होना, सिर में तेज दर्द होना।
  • हर समय थकावट रहना और नींद आना।
  • ठंड लगना और एकदम से 103-105 डिग्री फेरेनहाइट तेज बुखार हो जाना।
  • बुखार होने के 3-4 दिन बाद हाथ-पैरों और चेस्ट पर लाल रेशेज़ या दाने होना।
  • मांसपेशियों, पूरे शरीर में तेज दर्द होना।
  • जोड़ों मे सूजन के साथ-साथ तेज दर्द होना।
  • आंखों के पिछले हिस्से में रैटरो-ऑर्बिटल दर्द होना।
  • जी घबराना, बैचेनी होना और उल्टी आना।
  • भूख न लगना, पेट दर्द होना।
  • शरीर में पानी की कमी होने से इलेक्ट्रोलाइट संतुलन गड़बड़ा जाना।
  • समय पर उपचार न होने से शरीर में से ब्लड प्लेटलेट काउंट लगातार कम होते जाते है। इससे रोगी बहुत क्षीण हो जाता है,उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी कम होती जाती है और समुचित उपचार न होने पर उसकी जान को खतरा हो सकता है।   

क्या है उपचार

Dengue Ayurvedic Treatment
Dengue Ayurvedic Treatment

डेंगू के इन लक्षणों का पता चलने पर डाॅक्टर के पास जाना चाहिए। ब्लड टेस्ट से डेंगू की पुष्टि होती है। यह भी जरूरी नहीं कि इलाज के दौरान ब्लड प्लेटलेट एकदम ठीक हो जाएं, इनमें कमती-बढ़ती चलती रहती है। इसलिए पूरी सावधानी बरतनी जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा आराम करें। पानी भरपूर मात्रा में पीना पिएं, पानी उबला हुआ पिएं तो बेहतर है। तेज बुखार और असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए ब्रूफिन की बजाय पेरासिटामोल ले सकते हैं। ठीक होने में करीब एक महीना लग सकता है।

आप आयुर्वेदिक डाॅक्टर से पूछकर ये दवाएं भी ले सकते हैं- सुदर्शन चूर्ण, त्रिभुवन कीर्ति रस, अमरुथारिस्ता, गिलोयघन वटी। इन्हें डेंगू के लक्षण कट्रोल होने तक लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के हिसाब से कुछ घरेलू उपायों को अपनाने से टेम्परेचर कंट्रोल करने, शरीर दर्द में आराम पहुंचाने, ब्लड प्लेटलेट, रेड ब्लड सेल्स और रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है- 

  • तुलसी की पत्ते, काली मिर्च, सौंठ, इलायची और थोड़ा-सा गुड़ पानी मे उबालकर तैयार काढ़ा पी सकते हैं।
  • तुलसी के पत्तों में अदरक का रस और शहद मिलाकर पिएं।
  • तुलसी, अदरक, काली मिर्च डालकर हर्बल चाय पिएं।
  • तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर शहद मिलाकर पिएं।
  • लौंग और इलायची का काढ़ा पी सकते हैं।
  • मेथी के पत्ते या बीज को पानी में कम से कम 1 घंटा भिगोकर काढ़ा बना पिएं।
  • अमृत या गिलोय का काढा गुड़ मिलाकर पीना भी फायदेमंद है।
  • ऐलोवेरा का रस, पपीते के पत्तों का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।
  • पपीते के पत्तों को मिक्सी में पीस कर बना रस दिन में दो बार 2-3 चम्मच लें। या फिर पत्तों को उबाल कर काढ़ा बना कर पिएं।
  • गिलोय का जूस, केसर गुगल और योगराज गुगल मिलाकर सेवन करें। 
  • अनार का जूस पिएं।
  • मेथीदाने और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिएं। 
  • दिन में दो बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बकरी का दूध चुटकी भर हल्दी मिलाकर पिएं।
  • जवारे या गेहूं की घास का रस पिएं।
  • अमरूद के पत्तों का काढ़ा भी फायदेमंद है।
  • किशमिश को भिगो कर पीसने पर तैयार जूस दिन मे 1-2 बार लें।
  • अनार, अंगूर और संतरे का जूस मिलाकर पिएं।
  • नारियल पानी में नींबू का रस मिलाकर पिएं।

आहार का रखें ध्यान

डेंगू बुखार हाने डाॅक्टर लिक्विड डाइट लेने के लिए कहते है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि रोगी को आहार न दिया जाए। वरना उनमें पौष्टिक तत्व और कम हो जाएंगे। जूस, नारियल पानी, के साथ-साथ पतली-पतली खिचड़ी, दलिया, उबली सब्जियां, दाल का पानी, वेजिटेबल सूप, फल और उनके जूस, जौ का पानी दिया जा सकता है। इसके अलावा दिन में एकाध बार 1/2 से 1 कप  दूध, अदरक-इलायची वाली चाय दी जा सकती है। ध्यान रहे वो आराम से जितना खा सके, उतना ही दें।

बरतें सावधानी-

  • बुखार से बचने के लिए जरूरी है अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दिया जाए और आवश्यक साफ-सफाई रखी जाए।
  • जानलेवा बुखार के जनक ये मच्छर गंदगी और आसपास जमा पानी में ही पनपते हैं। सबसे पहले अपने घर में कूलर, गमलों आदि में पानी इकट्ठा न होने दें। गड्ढे वगैरह हो तो मिट्टी, पत्थर से भर दें। नालियों, गटर में नियमित तौर पर डीडीटी, बीएचसी पाउडर जैसे कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें।
  • घर के अंदर तुलसी, पुदीना अजवायन, मेंहदी, लेमनग्रास, गेंदा, चमेली जैसे औषधीय पौधे लगाएं। इनकी महक से मच्छर दूर भागते हैं।
  • घर में मच्छर काॅयल का प्रयोग करें जिससे मच्छर घर से बाहर भाग जाएं। मच्छरों के प्रवेश को रोकने के लिए घर के दरवाजों-खिड़कियों पर जाली लगवाएं। 
  • सोते समय मच्छरदानी जरूर लगा कर सोएं। 
  • सबसे जरूरी है कि मच्छर काटने से बचा जाए। इसके लिए आप अपने शरीर को कवर करके रखें, पूरी बाजू और पूरी पैंट पहने। मुंह, हाथों या शरीर के दूसरे खुले अंगों पर ओडोमॉस क्रीम या सरसों, नीम, नींबू, लैवेंडर जैसे तेल लगाएं। 

(डाॅ कोमल मलिक, आयुर्वेदिक चिकित्सक, आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी, दिल्ली)