Respiratory Syncytial Virus Guidelines: रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस यानी RSV से हर साल लाखों लोग संक्रमित होते हैं। खासकर बच्चे इसका शिकार अधिक संख्या में हो रहे हैं। भारत में इसके मामले शीतकालीन मौसम में अधिक बढ़ते हैं। मौजूदा अध्ययन के मुताबिक RSV दो साल और उससे छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया के रूप में होता है। पिछले कुछ सालों में इसके मामलों में 30 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। RSV आमतौर पर छोटे बच्चों और व्यस्कों में जुकाम के लक्षणों के तौर पर दिखाई देता है। WHO ने भी इस समस्या के प्रति चिंता जाहिर की है और गाइडलाइन जारी की है। तो चलिए जानते हैं क्या है ये संक्रमण और इसके उपायों के बारे में।
क्या है RSV वायरस

RSV सांस नली को संक्रमित करने वाला वायरस है जो तेजी से बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है। इस संक्रमण की शुरुआत सामान्य जुकाम, खांसी और छींक से होती है। बाद में व्यक्ति को बुखार, चिड़चिड़ापन और खानेपीने में परेशानी आ सकती है। गंभीर स्थिति में मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है जिसके कारण उसे हस्पताल में एडमिट भी करना पड़ सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक RSV दुनियाभर में 5 साल से कम आयु के बच्चों में लगभग एक लाख मौतें और 3.6 मिलियन से अधिक बच्चों की बीमारी के लिए जिम्मेदार है। भारत में हर साल RSV के लगभग 61,86,500 मामले सामने आ रहे हैं।
क्या है WHO की गाइडलाइन
WHO ने RSV से बचने के लिए दो अहम गाइडलाइन जारी की हैं। जिसमें पहली है प्रेग्नेंट महिलाओं को RSV preF वैक्सीन। WHO के अनुसार प्रेग्नेंट महिला को 28वें हफ्ते में एक वैक्सीन दी जानी चाहिए। ये वैक्सीन प्लेसेंटा के जरिए बच्चे में एंटीबॉडी पहुंचाई जाती है ताकि जन्म के दौरान और बाद में बच्चे को निमोनिया के खतरे से बचाया जा सके। वहीं दूसरी गाइडलाइन है नवजात को मोनोक्नोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन देना। ये नवजात को दो बार दिया जाता है ताकि बच्चा 5 महीने तक सुरक्षित रह सके। इंजेक्शन को जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। WHO के अनुसार इन वैक्सीन से गंभीर बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही RSV से मरने वाले बच्चों की संख्या में कटौती होगी।
RSV के लक्षण

– सांसें छोटी और तेज होना
– सांस लेने में दम लगाना
– लगातार खांसी आना
– इस दौरान खाना न खाना
– व्यक्ति को अधिक थकान और कमजोरी हो सकती है
– बच्चे को सकता है चिड़चिड़ापन और बेचैनी
RSV के कैसे बचें
– बच्चों और बुजुर्गों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रखें।
– खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को टिशू से ढकें।
– परिवार में यदि किसी को फ्लू या संक्रमण है तो उसे बच्चों से दूर रखें।
– बच्चों को पब्लिक प्लेस पर मास्क जरूर पहनाएं।
– छोटे बच्चों के खिलौने और कपड़े साफ-सुथरे होने चाहिए।
– बच्चे को यदि सांस लेने में दिक्कत आ रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
– अधिक खांसी या जकड़न की स्थिति में बच्चे को नेबुलाइज कराएं।
– बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चे को दवाईयां न दें।
