मां को स्तनपान कब नहीं कराना हैं, जान लें

हर मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती है, क्योंकि कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें मां को अपने बच्चे को दूध पिलाने से मना कर दिया जाता है।

Breastfeeding: स्तनपान कराने से ना सिर्फ शिशु बल्कि मां को भी कई तरह के फायदे मिलते हैं। जन्म के बाद शुरुआती 6 महीने तक बच्चे को स्तनपान करवाना बेहद जरूरी हैं। शायद इसलिए डॉक्टर्स शुरुआती 6 महीने में स्तनपान को जरूरी मानते हैं। हालांकि, हर मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती है, क्योंकि कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें मां को अपने बच्चे को दूध पिलाने से मना कर दिया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे परिस्थितियों के बारे में बताने वाले हैं, जिसमें मां को अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करानी चाहिए।

एचआईवी इंफेक्‍शन

HIV Positive


जो महिला एचआईवी पॉजिटिव हैं, उसे अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करनी चाहिए। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है। हालांकि, जिस एचआईवी पीडित मां को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दी जा रही है, तो वो अपने नवजात शिशु को 12 से 24 महीने तक दूध पिला सकती हैं।

हर्पीस सिंप्‍लेक्‍स वायरस


अगर मां को स्तन पर हर्पीस हो, तो वह अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकती है, क्योंकि हर्पीस सिंप्‍लेक्‍स वायरस स्तनपान कराने की वजह से बच्चे तक पहुंच सकता है और इससे बच्‍चे की मृत्‍यु तक का खतरा हो सकता है। हालांकि, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने कुछ समय पहले दावा किया था कि अगर मां को स्तन पर कोई हर्पीस नहीं है या किसी अन्य स्थान पर है, तो वह अपने बच्चे को दूध पिला सकती हैं।

ब्रुसेलोसिस


अगर मां ब्रूसीलोसिस से पीड़ित है और उसका इलाज चल रहा है, तो उसे अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। इलाज के बाद ही मां अपने बच्चे को वापस से ब्रेस्टफीडिंग करवा सकती है। ब्रूसीलोसिस, बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है, जो दूषित खाना खाने की वजह से फैलती है।

इबोला वायरस


इबोला वायरस स्तनपान कराने की वजह से नवजात शिशुओं में भी संक्रमण फैला सकता है, इसलिए इबोला से पीड़ित मां को कभी भी अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए।

सेप्सिस


अगर मां सेप्सिस से पीड़ित है, तो उसे अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करानी चाहिए। यह एक जानलेवा ब्लड इंफेक्शन है, जो तेजी से फैलता है। इसमें तेज बुखार, ठंड लगना, पेट में दर्द होना, सांस फूलना और शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए जब तक मां इस बीमारी से स्वस्थ नहीं हो जाती है, उसे अपने बच्चे से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

कुछ दवाओं का असर


अगर प्रसव के बाद आप कोई ऐसी दवा ले रही हैं, जिससे ब्रेस्ट मिल्क में टॉक्सिसिटी हो सकती है और नवजात शिशु को कोई नुकसान पहुंच सकता है, तो उस दवा के सेवन के दौरान बच्चे को स्तनपान करवाने से बचें। मांओं को साइकोथेरेपी दवाओं, दौरे कम करने वाली दवाओं और थायराइड कैंसर के लिए इस्‍तेमाल होने वाली दवाएं लेने पर ब्रेस्‍टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए।

गर्भनिरोधक दवाइयां लेने के दौरान ना करवाएं स्तनपान


कई महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग कराने के दौरान गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करने लगती हैं, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल गलत है। अगर आप डिलीवरी के तुरंत बाद गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन कर रही है, तो अपने बच्चे को कभी भी स्तनपान ना करवाएं। इसी के साथ आप चाहे तो प्रसव के 3 महीने बाद अस्थायी गर्भनिरोधक उपायों का प्रयोग अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए कर सकती है।

हाई पावर दवाएं लेने से पहले दूध करें स्टोर

कई बार प्रसव के बाद डॉक्टर द्वारा मां को कुछ ऐसी दवाइयां दी जाती है, जो बच्चे के लिए नुकसानदायक होती है। ऐसी परिस्थिति में मां द्वारा दवा लेने से पहले बच्चे के लिए दूध स्टोर करके रखना चाहिए। मां को ब्रेस्ट मिल्क पंप या हाथों से स्तनों से दूध निकाल कर रेफ्रिजरेटर में स्टोर कर लेना चाहिए। जिससे आप दवाओं के साथ-साथ बच्चे को भी मां का दूध दे सकेंगी। हालांकि, कभी भी दूध स्टोर करने से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर लेना चाहिए।

नई मां को इन सभी परिस्थितियों में नवजात शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर लेना चाहिए।

स्वाति कुमारी एक अनुभवी डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं, जो वर्तमान में गृहलक्ष्मी में फ्रीलांसर के रूप में काम कर रही हैं। चार वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली स्वाति को खासतौर पर लाइफस्टाइल विषयों पर लेखन में दक्षता हासिल है। खाली समय...

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