बचपन से लेकर जवानी तक, जवानी से लेकर बुढ़ापे तक हमारे साथ कुछ ऐसी आदतें जुड़ जाती हैं जो हमारी जीवन शैली का हिस्सा बन जाती हैं जो छुड़ाए नहीं छुटतीं। इनमें कुछ अच्छी तथा कुछ बुरी आदतें होती हैं तथा कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। कुछ आदतें सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकती हैं। इन्हें बदल डालने में ही भलाई है। जरा गौर फरमाइए, ये कौन-सी आदते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है।
आज के मशीनी युग में इंसान अपनी दिनचर्या में कुछ ऐसी आदतों को शामिल कर लेता है, जिसका पता उसे खुद नहीं चलता, पर जब वह आदतें जिंदगी का एक हिस्सा बन जाती हैं तो स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने लगता है। क्या है ये आदतें आइए जरा जानें –
सोने से पहले मोबाइल पर गपशप
सोने से पहले फ्रैंड्स से लंबी बातचीत करना युवा पीढ़ी का खास शौक है। मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन अनिद्रा और सिरदर्द का सबब बन सकता है। लंबी बातचीत के बाद गहरी नींद आने में काफी समय लग सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेडिएशन दिमाग के ‘स्ट्रेस सिस्टम’ को सक्रिय कर देता है, इससे सोने में दिक्कत आती है।
डैमेज कंटोल- लंबी बातें करने का ज्यादा ही शौक है और यह बेहद जरूरी है तो लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें।
स्किन टाइट जींस पहनना
बिल्कुल चुस्त जींस या हिपस्टर ट्राउजर्स महिलाओं में नर्व पेन का सबब बन सकते हैं। कभी-कभी इनसे महिलाओं व पुरुषों में प्रजनन संंबधी दिक्कतें भी हो सकती हैं। ऐसे चुस्त कपड़े हिप बोन के नीचे की सेंसरी नर्व को दबा देते हैं, नतीजतन जांघों में बर्निंग सेन्सेशन या झिनझिनाहट महसूस हो सकती है। इस समस्या को ‘पेरेस्थेसिया’ कहते हैं।
डैमेज कंट्रोल- आरामदायक कपड़े पहनें। महिलाओं को हाइ वेस्टेड ट्राउजर्स या लूज स्कर्ट अथवा सलवार सूट पहनने चाहिए। विवाहिताएं तो साड़ी को प्राथमिकता देती ही हैं।
पेन किलर्स का बेतहाशा उपयोग
आप मानें या न मानें, जिन्हें पेन किलर टेबलेट्स खाने की आदत सी हो जाती है, उन्हें सिरदर्द ज्यादा सताता है। बात-बात में दर्द निवारक गोली खाने वालों में बार-बार सिर दर्द होने की शिकायत 5 गुना बढ़ जाती है। ये दवाएं शरीर के विभिन्न अंगों पर विपरीत असर डाल सकती हैं।
डैमेज कंट्रोल- हफ्ते में 2-3 बार से अधिक दर्द निवारक दवा नहीं खानी चाहिए, वह भी जरूरी होने पर। बार-बार होने वाले सिरदर्द से निपटने का यही आसान तरीका है। बीमारी के लिए चिकित्सक से सलाह लें।

दिन भर च्यूंगम चबाना
दिनभर शुगर फ्री च्यूंगम चबाने का शौक बहुतों को होता है। इससे गैस व डायरिया की समस्या हो सकती है। इन च्यूंगम्स में ‘सार्बिटोल’ नामक स्वीटनर होता है। यह गैस उत्पन्न करके पेट फूलने, पेट दर्द एवं ऐंठन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
डैमेज कंट्रोल- दिनभर में एक या दो च्यूंगम से अधिक ना चबाएं। मुंह चलाने की आदत है तो गाजर चबाएं या फिर इलायची, सौंफ आदि का सहारा लें।
ब्रेकफास्ट के बाद ब्रश करना
सोने के बाद हमारे दांतों पर बैक्टीरिया और प्लाक जमने लगते हैं। भोजन में मौजूद शुगर और एसिड इन्हें और भी बढ़ा देते हैं। इससे दांतों की सुरक्षा परत (इनेमल) कमजोर होने लगती है। ऐसे में नाश्ते के बाद ब्रश करने से ये आसानी से नष्ट हो सकते हैं। सुरक्षा परत को भोजन के बाद दोबारा कठोर होने में थोड़ा समय लगता है।
डैमेज कंट्रोल- नाश्ते के पहले या फिर कम से कम एक घंटे बाद ही ब्रश करें। ‘फ्लोराइड युक्त’ टूथपेस्ट का प्रयोग करें। जो दांतों पर सुरक्षा परत तैयार करता है तथा अम्लों व चीनी से होने वाले नुकसान से भी उन्हें बचाता है।

आइपॉड पर म्यूजिक सुनना
‘हार्वर्ड यूनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि ‘बड’ इयरफोन जो आइपॉड या एमपी-3 के साथ प्रयोग किए जाते हैं, का लोग अक्सर दुरुपयोग करते हैं। बाहरी शोरगुल से मुक्ति पाने एवं ज्यादा जोश जगाने के लिए लोग वॉल्यूम बहुत बढ़ा लेते हैं। ऊंची आवाज में रोज 72 मिनट तक लगातार म्यूजिक सुना जाए तो श्रवण शक्ति कमजोर पड़ सकती है।
डैमेज कंट्रोल- ‘दी रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेफ’ के मुताबिक हेडफोन लगाने के बाद अगर आप बाहरी आवाज नहीं सुन पाते हैं तो समझ जाएं कि वॉल्यूम बहुत ऊंचा है। धीमी आवाज में संगीत सुनें। बेहतर होगा ओल्ड फैशन के एक्सटरनल हेडफोन, जो पूरे कान को ढंक लेते हैं, का प्रयोग करें।
लगातार सनब्लॉक लगाए रखना
लगातार सनस्क्रीन क्रीम लगाए रखना हानिकारक हो सकता है। इससे शरीर को विटामिन-डी की सही मात्रा नहीं मिल पाती। यह सूर्य की रोशनी से ही मिलता है।
डैमेज कंट्रोल- रोजाना 10 मिनट बिना सनस्क्रीन के धूप में रहें। इससे विटामिन-डी की पूर्ति हो जाएगी। फिर हानिकारक सन रेंज से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाएं।
कसकर बेल्ट बांधना
फेफड़ों से सांस लेते समय ‘डायफ्राम’ ऊपर-नीचे मूवमेंट करते हैं। अक्सर हम लोवर लंग्स से सांस लेते हैं। बहुत टाइट बेल्ट बांधने से फेफड़ों के ऊपरी हिस्से से सांस लेनी पड़ती है। इससे श्वसन प्रक्रिया में बाधा आती है तथा सिरदर्द एवं सुस्ती जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
डैमेज कंट्रोल- बेल्ट हमेशा लूज स्टाइल में, आरामदायक स्थिति में बांधें ताकि पेट पर ज्यादा दबाव महसूस न हो और सांस आराम से ले सकें।
(साभार – शशिकांत सदैव, साधना पथ)
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