शादी के बाद बहू एक नए परिवार का सदस्य बनती है और उससे ढ़ेर सारे रिश्ते जुड़ जाते हैं। अगर बहू नई नवेली हो, तो रिश्तेदारों की फुसफसाहट जारी रहती है। कहीं इस बात का जिक्र है कि अरे, ये तो खूब पढ़ी लिखी है, चूल्हा चैंका कहां संभालेगी, तो वहीं कोई उसके सजने संवरने के तरीके पर बांते बनाता है। घर में मौजूद सभी रिश्तेदारों की राय उसके बारे में अलग अलग होती है। मगर ये सभी बातें उस घर की मालकिन यानी सासू मां के कानों में एक एक कर पड़ रही होती है। अब वो जो भी सुनती हैं, अपने दिमाग में बहू की हू ब हू वैसी ही तस्वीर तैयार करने लगती हैं। कोई बहू को अकड़ू बताता है, तो कोई चालबाज़ कहता है। कोई मेकअप की दुकान कहकर पुकारता है, तो कोई नौंटकी कहता है। अब यहां तक तो सब ठीक रहता है।  सासू मां मन ही मन ये सोचती हैं, कि वक्त आने दो इसे मैं बताउंगी, कि कैसे उठते बैठते हैं और बात करते हैं। मगर दूसरी ओर बहू का व्यवहार सासू मां को खुद के साथ ठीक लगता हैं। उन्हें उसमें कोई कमी नहीं नज़र आ रही होती। मगर फिर भी फुसफुसाहट कुछ तो असर छोड़गी ही। अब शादी के अगले दिन मूंह दिखाई के बाद बढ़ों का आर्शीवाद लेते हुए जब खुशबू बहू मेरठ वाले ताउजी के पास पहुंची, तो उन्होंने इतने लोगों के बीच ज़ोर से कहा जीती रहो बेटा, सदा सुहागन रहो। आज तक जितनी भी बहुएं इस खानदान में आई, किसी ने इतनी शालीनता और सद्भाव से इतना सम्मान नहीं दिया। तुम्हारा व्यक्तित्व सबसे अलग है। तुम्हारे व्यवहार में नम्रता झलकती है और बातचीत में सादापन।  ये सुनकर सासू मां थोड़ी सी हैरान हो गई, क्यों की उन्हें कोई भी इतनी आसानी से पसंद नहीं आता। फिर बहू ने ऐसा क्या कर दिया। अभी वो सोच ही रही थीं कि उसके बाद जब बहू आगे बढ़ी, तो दूर की बुआजी ने उसे आर्शीवाद देकर गले से लगा लिया। अब ये वह बुआजी थी, जो किसी को अपने पास फटकने नहीं देती थी, तो आज ये कैसे संभव हुआ। बुआजी ने आर्शीवाद देते हुए कहा कि बहू तुम्हारे अंदर दैवीय गुण है, उन्हें यूं ही बनाए रखना, आने वाले वक्त में तुम्हारी चर्चा हर ओर होगी और इस परिवार में खूब सम्मान मिलेगा। अब ये सुनकर सासू मा का चेहरा लाल हो गया। वो एक तरफ खुश तो थीं कि मेरी बहू की तारीफ हो रही है। मगर वहीं उन्हें अब बहू से जलन होने लगी। इसके बाद जब बहू ने सासू मां के पावं को स्पर्श किया, तो अपनेपन का एहसास और चेहरे की मुस्कुराहट ने उन्हें भी भावुक कर दिया। उस क्षण उनके मन में बहू को लेकर जो उधेड़बुन और फुसफुसाहट चल रही थी, वो अब समाप्त हो गई और उन्होंने बहू को मन से स्वीकारा। 

 

आमतौर पर सास को बहू से इन कारणों से जलन होती है

 

बहू की तारीफ

चाहे बात खाना बनाने की हो यां फिर घर की साफ सफाई की। अगर देवरजी यां ननंद के मुख से ये बात निकल जाए कि आज भाभी खाना बहुत अच्छा बना है, तो सासूं मां छूटते ही बोलती हैं कि हां मैंने जैसे बताया था बहू ने वैसे ही तो बनाया है। इसमें नया क्या है। इस बात पर उनकी जलन साफ झलकती है।

 

बहू पर अधिक विश्वास

बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि बहू को ससुर जी से अपने पिता के समान खूब स्नेह मिलता है, जिस कारण वो ससुर जी को सम्मान देती है और ससुर जी भी बहू पर खूब विश्वास करते हैं और उनसे घर परिवार से जुड़ी हर बात शेयर भी करतें हैं। मगर ससुर जी का ये व्यवहार कई बार सासू मां के गले की फांस बन जाता है। उन्हें अपनी बहू से जलन होने लगती है और फिर धीरे धीरे उसे नापसंद करने लगती हैं। उसके बाद वो ससुर जी को भी बहू से बातचीत करने से रोकती हैं। 

 

बहू की राय लेना

जब बहू एक नए घर का सदस्य बनती है, तो वहां रहने वाले लोगों को उसे पूरे मन से स्वीकार करना चाहिए। ऐसा होता भी है, बहू से हर बात पर राय मांगी जाती है और उसे सम्मान भी दिया जाता है। मगर ये बातें बहुत बार सासूं मां को अच्छी नहीं लगती है। दरअसल बहू से नोंक झोंक के चलते वो नहीं चाहतीं कि कोई भी सदस्य बहू से सही ढंग से बातचीत करे और किसी भी मुद्दे पर उसकी राय ली जाए। दरअसल, सासू मां को बहू से जलन होने लगती है।

 

रिश्तेदारों से बातचीत

कई बार सासू मां व्यवहार से कड़क होती है। ऐसे में रिश्तेदार भी अब अपने मन की बात धीरे धीरे बहू से करने लगते हैं। सासू मां की बहनंे और भाभियां भी जब बहू को पसंद करने लगती है, तो उस बात से सासू मां जलन महसूस करती हैं। हांलाकि पहले पहले सास बहू के रिश्तों में कड़वाहट कहीं न कहीं इन्हीं में से किसी रिश्तेदार के कारण पैदा होती है। मगर बाद में बहू का व्यवहार जानकर यही लोग बहू के हितैषी बन बैठते हैं और सासू मां खुद को अकेला महसूस करने लगती है।

 

बहू बेटे में प्यार

शादी के बाद किसी न किसी कारण से दंपति मंे आपसी मतभेद रहते हैं और कई बार इसका कारण होता है, घर का कलह कलेश। अगर बावजूद इसके पति पत्नी में प्यार की डोर अब भी मज़बूत होती है, तो सासू मां की जलन का एक कारण ये भी साबित हो सकता है। दरअसल, मां अपने बेटे को पाल पोस कर बढ़ा करती है। मगर अचानक से बहू आने के बाद वो बेटे को बंटा हुआ महसूस करती है। ऐसे में बहू से जलन स्वाभाविक है।

 

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ये à¤­à¥€ à¤ªà¥à¥‡  : बहू एक मजबूत स्तंभ