Sulakshna Pandit
Sulakshna Pandit

Summary : प्यार में खुद को तबाह किया सुलक्षणा ने

 सुलक्षणा पंडित की यह कहानी फिल्मी दुनिया की उन बहुत कम कहानियों में गिनी जाती है जहां प्यार की चोट ने किसी को पूरी उम्र का अकेलापन दे दिया।

06 नवम्बर 2025 को एक्ट्रेस सुलक्षणा पंडित की मौत की खबर आई। वो सिर्फ एक अभिनेत्री या सिर्फ एक गायिका नहीं थी… वह एक कला से जुड़े परिवार की वह नाजुक लड़की थी, जिसने अपने दिल की आग में खुद को जलते हुए खुद को कई दशक तक संभाले रखा। सुलक्षणा पंडित की यह कहानी फिल्मी दुनिया की उन बहुत कम कहानियों में गिनी जाती है जहां प्यार की चोट ने किसी को पूरी उम्र का अकेलापन दे दिया।

सुलक्षणा पंडित संगीत के घराने में पैदा हुई थीं। पिता प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक प्रताप नारायण पंडित। घर में संगीत बहता था, भाई जतिन-ललित आगे चलकर हिन्दी फिल्म संगीत के बड़े नाम बनकर उभरे। इस माहौल में सुलक्षणा की आवाज खुद एक साधना थी। वह पहली बार पर्दे पर आने से पहले ही गाने की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुकी थीं। उनकी आवाज में एक अजीब-सी मासूम उदासी थी, जो दिल में उतरी हुई लगती थी। रफी, किशोर और लता जैसे दिग्गजों के साथ उन्होंने वो गीत गाए, जिन्हें उस समय के संगीत प्रेमियों ने रत्न की तरह संभाल कर रखा।

फिर उन्होंने पर्दे पर अभिनय किया। सत्तर का दशक। हिन्दी सिनेमा का रूमानी दौर। वह प्रमुख अभिनेत्री रही, बड़े नायक उनके साथ रहे। फिल्म उलझन की शूटिंग में उनकी मुलाकात हुई संजीव कुमार से। सिनेमा के कलाकारों में संजीव कुमार बेहद गम्भीर दिखाई देते थे। अभिनय में उनका स्तर अलग था। उनकी आंखें गहरी थीं और उनका व्यवहार शांत। सुलक्षणा को यही सरलता, अपनापन और सच्चापन पसन्द आ गया। यह एहसास उनके भीतर तेजी से बढ़ा। सुलक्षणा ने संजीव कुमार को अपने मन की बात कह दी। यह भी कह दिया कि वह उनसे शादी चाहती हैं।

लेकिन जिस दिल में एक पुरानी चोट पहले से हो, वह किसी नए प्यार को जगह कहां देता है। संजीव कुमार खुद पहले से ही हेमा मालिनी को विवाह प्रस्ताव दे चुके थे। हेमा का इनकार उन्हें जीवन भर के लिए घायल कर गया था इसलिए जब सुलक्षणा ने अपना मन खोला तो उन्होंने न तो कोई झूठा सपना दिया और न किसी तरह की आस। उन्होंने यह मान दिया कि सुलक्षणा कदर वाली हैं, लेकिन वह बदले में प्रेम देने की हालत में नहीं हैं।

Sulakshna Pandit and Sanjeev Kumar
Sulakshna Pandit and Sanjeev Kumar

सुलक्षणा ने फिर भी साथ छोड़ा नहीं। वह खाना बना कर सेट पर भेजती रहीं। अपनी ओर से हर सम्भव कोशिश करती रहीं लेकिन सब बेकार। संजीव कुमार का देहांत जब हुआ तब वे मात्र सैंतालीस वर्ष के थे और उसी दिन सुलक्षणा जैसे भीतर से ढह गयीं। पूरी जिन्दगी उन्होंने विवाह नहीं किया। वे चुप होती गईं, दुनिया से कटती गयीं और धीरे-धीरे अपने ही घर की दीवारों में खो गईं। अब उनकी ज़िन्दगी का अन्त हुआ तो हम जानते हैं, यह सिर्फ एक देह का अन्त नहीं था, यह एक टूटे हुए दिल और उसकी लम्बी सजा का अन्त था।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...