Summary: 3 वर्षीय शख्स ने गंवाए ₹32 लाख, हाई‑सोसाइटी डेटिंग स्कैम से कैसे बचें
बेंगलुरु में 63 वर्षीय रवि हाई‑सोसाइटी डेटिंग फ्रॉड का शिकार बनकर 32 लाख रुपए गंवा बैठे। जानिए इस धोखाधड़ी के तरीके और सतर्क रहने के जरूरी उपाय।
63 वर्षीय रवि (नाम परिवर्तित) बेंगलुरु के होरमावु में रहते हैं। अकेलेपन और कंपेनियनशिप की तलाश में वह WhatsApp पर एक प्राइवेट डेटिंग एजेंसी से जुड़े। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा..एक कॉल, थोड़ी बातचीत और 1,950 रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क। उसे तीन महिलाओं की तस्वीरें भेजी गईं और उसने Ritika नाम की महिला को चुना। रितिका ने लगातार चैट करके रवि का भरोसा जीत लिया।
धीरे-धीरे धोखेबाजों ने छोटे-छोटे बहाने बनाकर लगातार पैसे मांगे। प्रोसेसिंग फीस, सर्विस चार्ज और कोऑर्डिनेशन खर्च के नाम पर रवि ने कुल ₹32 लाख अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। जब उसने और पैसे देने से इंकार किया, तो धोखेबाजों ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। तब जाकर रवि को समझ आया कि वह “हाई-सोसाइटी डेटिंग” स्कैम का शिकार हो गया है।
हाई‑सोसाइटी डेटिंग स्कैम क्या है?
हाई‑सोसाइटी डेटिंग स्कैम एक ऐसा फ्रेम है जहाँ धोखेबाज़ खुद को प्राइवेट या एलिट डेटिंग सर्विस, सोशलाइट्स नेटवर्क या “हाई‑प्रोफाइल” महिलाओं/पुरुषों से मिलवाने वाला कहते हैं। यह स्कैम भावनात्मक भरोसे और सामाजिक प्रतिष्ठा के वादे का फायदा उठाकर शिकार से पैसे ऐंठता है।
स्कैम का तरीका

पहला संपर्क..फेक एजेंसी या कॉल
धोखेबाज़ आमतौर पर फोन/WhatsApp से शुरू करते हैं और खुद को किसी प्राइवेट डेटिंग एजेंसी या मैचमेकिंग सर्विस का प्रतिनिधि बताकर भरोसा बनाते हैं। शुरुआती टोन प्रोफेशनल और स्वागतकारी होता है ताकि शिकार सहज महसूस करे।
रजिस्ट्रेशन के नाम पर छोटी फीस का बहाना
शुरुआत में एक मामूली रजिस्ट्रेशन फ़ीस या वेरिफिकेशन चार्ज 500-2,000 रुपये माँगा जाता है ताकि शिकार कम विरोध करे और आगे की डिमांडों के लिए तैयार हो जाए।
प्रोफ़ाइल और भावनात्मक जोड़
शिकार को WhatsApp पर खूबसूरत तस्वीरें, थोड़े‑बहुत निजी मैसेज और समय लगाकर बातचीत दी जाती है। ये बातें भरोसा और आत्मिक जुड़ाव बनाती हैं। धोखेबाज़ इसी भावनात्मक नजदीकी का फायदा उठाकर अतिरिक्त अनुरोध स्वीकार करवा लेते हैं।
लगातार छोटे‑छोटे भुगतान
एक बार भरोसा बनते ही प्रोसेसिंग फीस, ट्रैवल चार्ज, डॉक्युमेंट टैक्स या सुरक्षा फीस के नाम पर बार‑बार छोटे ट्रांज़ैक्शन कराए जाते हैं। ये जितने छोटे लगते हैं, शिकार उतना ही सहजता से भेज देता है।

नए मध्यस्थ और बहाने
कभी‑कभी एक और “कॉर्डिनेटर” जैसे नए संपर्क पेश कर दिए जाते हैं जो मिलने की व्यवस्था दिखाते हैं इससे चीजें विश्वसनीय लगती हैं और शिकार अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार हो जाता है।
दबाव और धमकी का इस्तेमाल
जब शिकार रुकने लगे तो धोखेबाज़ कानूनी कार्रवाई, निजी जानकारी सार्वजनिक करने या किसी अन्य तरह की धमकी दिखाकर दबाव बनाते हैं ताकि और पैसे दिलवा सकें।
पैसे के कई चैनल और ट्रान्सफर
धोखेबाज़ अक्सर कई बैंक खाते, वॉलेट्स और UPI IDs इस्तेमाल करते हैं ताकि ट्रांज़ैक्शन ट्रेस करना मुश्किल हो और जल्दी पैसे निकाल लिए जाते हैं।

कैसे बचें और सतर्क क्यों रहें
ऑनलाइन डेटिंग में सतर्क रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि धोखेबाज़ सिर्फ पैसों के लिए भरोसे का फायदा उठाते हैं। एक बार शिकार बन गए तो पैसे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है और भावनात्मक नुकसान भी हो सकता है।
टिप्स:
किसी अनजान एजेंसी या व्यक्ति को पैसे न दें। चाहे रजिस्ट्रेशन या सर्विस चार्ज का बहाना क्यों न हो, पहले भरोसा न बनाएं।
मिलने या व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले कम से कम एक लाइव वीडियो कॉल करके सुनिश्चित करें कि सामने वाला असली है।
डिटेल्स, पैन, आधार जैसी जानकारी कभी किसी अनजान व्यक्ति के साथ न शेयर करें।
बार-बार फीस, प्रोसेसिंग चार्ज या अन्य छोटे ट्रांज़ैक्शन का बहाना हो तो तुरंत शक करें।
किसी एजेंसी या नंबर के बारे में गूगल पर खोज करें, रिव्यू देखें, सोशल मीडिया पर सत्यापन करें।
अगर शिकार हो गए तो क्या करें
तुरंत FIR दर्ज कराएँ। स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल में।
बैंक को तुरंत सूचित करें ट्रांज़ैक्शन ब्लॉक/फ्रॉड रिपोर्ट करने के लिए।
सभी सबूत चैट, कॉल लॉग, बैंक रसीदें, UPI/पेमेंट स्क्रीनशॉट्स सुरक्षित रखें।
साइबर सेल से निर्देश और केस अपडेट लें; जरूरत पर कानूनी सलाह लीजिए।
परिवार/नेटवर्क को बताएं ताकि और लोग सतर्क रहें।
