Anurag Kashyap And Piyush Mishra
Anurag Kashyap And Piyush Mishra

Summary : अनुराग कश्यप की बुराई सामने ही करते हैं पीयूष मिश्रा

निर्देशक अनुराग कश्यप और पीयूष मिश्रा का रिश्ता ईमानदारी भरा है। दोनों के मन में जो होता है, वो साफ कह देते हैं...

Piyush Mishra Criticizes Anurag: निर्देशक अनुराग कश्यप और अनुभवी एक्टर पीयूष मिश्रा सिर्फ बार-बार साथ काम करने वाले साथी ही नहीं, बल्कि अच्छे दोस्त भी हैं। उनके बीच का रिश्ता ईमानदारी और सीधेपन से तरबतर है। दोनों ने कभी भी अपनी राय साझा करने में कोई झिझक नहीं दिखाई, चाहे मुद्दा कुछ भी हो। यही ईमानदारी अनुराग और पीयूष के रिश्ते में भी साफ दिखाई देती है।

कुछ दिन पहले पीयूष ने कई उन फिल्मों के कुछ हिस्से पसंद न आने की बात कही, जिनमें वे अनुराग के साथ काम कर चुके थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्होंने यह टिप्पणी निर्देशक के सामने ही की, जो उनके रिश्ते की खासियत को दर्शाता है। हाल ही में एक इंटरव्यू में अनुराग ने भी उनके और पीयूष के रिश्ते के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे की आलोचना भी प्यार और चिंता के भाव से होती है। उन्होंने न्यूज18 से कहा, “वो मुझसे प्यार करते हैं। लेकिन जब मैं रियेक्ट करता हूं तो उन्हें गुस्सा आता है। वो मुझसे कहते हैं, ‘बस चुप हो जाओ!’ वे मुझे धमकी देते हैं कि उन्होंने खुद की जिंदगी चीजों पर रिएक्ट करते हुए बर्बाद कर दी और मैं उनके जैसा नहीं बनूं।”

Manoj Bajpayee And Anurag Kashyap
Manoj Bajpayee And Anurag Kashyap

सिर्फ पीयूष के साथ ही नहीं, अनुराग का ऐसा ही रिश्ता अभिनेता मनोज बाजपेयी के साथ भी है, जो उनके बार-बार साथ काम करने वाले अन्य सहयोगी हैं। अनुराग ने कहा, “जब मैं कुछ करता या कहता हूं, तो मनोज मुझसे पूछते हैं, ‘यार, तुम ऐसा क्यों करते हो?’ उन्होंने जिंदगी जी है और वे बहुत व्यावहारिक इंसान हैं। मुझे पता है कि वह मेरी रक्षा करेंगे। यही वह रिश्ता है जो मेरे सभी दोस्तों के साथ है। मनोज बड़े हैं, मेरे लिए एक बड़े भाई जैसे हैं, भले ही वे मुझसे दस गुना छोटे लगते हों। वे हमेशा मेरी परवाह करते हैं और सबसे ईमानदार सलाह देते हैं।”

ह्यूमंस ऑफ सिनेमा यूट्यूब चैनल पर पीयूष ने कहा कि वे समय-समय पर गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) देखते हैं, लेकिन गुलाल (2009) से पूरी तरह बचते हैं। उन्होंने कहा, “माफ करना अनुराग, मुझे पता है कि मैं फिल्म में हूं, लेकिन मुझे फिल्म का दूसरा हिस्सा समझ नहीं आया। मुझे समझ नहीं आया आपने क्या किया। यह उनका ही प्रॉब्लम है। वे आधी फिल्म को अच्छा बनाते हैं और फिर इसे बिगाड़ देते हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें विश्वास नहीं होता कि उन्होंने इतनी अच्छी फिल्म बनाई। वे सोचते हैं, ‘वाह, यह अच्छी फिल्म है, चलो इसे खराब कर देते हैं। चलो दूसरा हिस्सा घटिया बनाते हैं।’ यही उनकी समस्या है। गुलाल अच्छी फिल्म थी और उन्होंने इसे बिगाड़ दिया।”

पीयूष ने आगे कहा, “उन्होंने यह अपनी सभी फिल्मों के साथ किया है। देव डी को देखिए। पहला हिस्सा क्लासिक था, फिर उन्होंने इसे बिगाड़ दिया। मुझे नहीं पता उनकी समस्या क्या है। गैंग्स ऑफ वासेपुर में भी यही हुआ। उन्होंने पहला हिस्सा बनाया, फिर उन्होंने अपना दिमाग खो दिया। मुझे लगा था कि देव डी शराब पर आधारित फिल्म होगी, लेकिन फिर यह कुछ अजीब बन गई।”

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...