Anurag Kashyap And Manoj Bajpai
Anurag Kashyap And Manoj Bajpai

Summary : मनोज बाजपेयी और अनुराग कश्यप को एक चीज जोड़ी है और वो है गुस्सा

मनोज बाजपेयी और अनुराग का दोस्ताना पुराना है। एक वक्त जरूर आया जब दोनों के रास्ते अलग हो गए, लेकिन संबंध टूटे नहीं...

Manoj Bajpayee on Anurag Kashyap: फिल्मकार अनुराग कश्यप और अभिनेता मनोज बाजपेयी का रिश्ता काफी पुराना है और लंबे समय से भी जुड़ा रहा। दोनों की पहली मुलाकात राम गोपाल वर्मा की 1998 की क्राइम ड्रामा ‘सत्या’ से हुई थी, जिसमें अनुराग ने बतौर लेखक काम किया था। इसके बाद दोनों ने 1999 में राम गोपाल वर्मा की फिल्मों ‘शूल’ और ‘कौन’ में साथ काम किया। कई साल बाद, 2012 में अनुराग ने अपने हिट गैंगस्टर ड्रामा ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर: पार्ट 1’ में बाजपेयी को कास्ट किया।

मनोज बाजपेयी का मानना है कि उन्हें और अनुराग कश्यप को जोड़ने वाली चीज है…गुस्सा। उन्होंने कहा, “अनुराग अपनी मान्यताओं की वजह से खड़े हैं। उन्होंने इस दौरान बहुत दुश्मन बनाए हैं। गुस्से में उन्होंने कांच तोड़े, यहां तक कि एक बार अपना हाथ भी तोड़ लिया, बीमार भी पड़े लेकिन फिर भी अपनी राह पर डटे रहे। वो सभी फिल्मकारों के लिए मिसाल हैं। लोग सिर्फ उनकी फिल्मों को देखते हैं, जबकि असल में उन्हें उनकी यात्रा देखकर सीखना चाहिए।”

बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू में मनोज ने कहा कि भले ही वे खुद भी उतने ही गुस्सैल हैं, लेकिन उनसे ज्यादा व्यावहारिक हैं। वे बताते हैं, “मैं कहूंगा कि मैं उनसे कहीं ज्यादा व्यावहारिक हूं। वो भी व्यावहारिक हैं, लेकिन कभी-कभी आपा खो बैठते हैं। जिस दिन वे ट्रोल्स को जवाब देने लगते हैं, मैं समझ जाता हूं कि अब उनका संतुलन बिगड़ रहा है (हंसते हुए)। लेकिन फिर वे संभल भी जाते हैं।”

मनोज ने अपना शांत रहने का मंत्र भी बताया… ट्रोल्स को नजजरअंदाज करना। उन्होंने कहा, “उन्हें इग्नोर करो। उनका कोई मूल्य नहीं है। आपको समझना होगा। काम से बढ़कर कुछ नहीं होता। अगर हर कोई सिर्फ अपने काम पर ध्यान दे, तो दूसरों के काम के लिए भी इज्जत अपने-आप आएगी। लेकिन ट्रोल्स को किसी की इज्जत नहीं होती। हो सकता है वे अपने भाइयों, बहनों या माता-पिता की भी इज्जत न करते हों, क्योंकि उनके पास करने को कुछ और होता ही नहीं। उनका काम बस उन लोगों में कमी ढूंढना है, जो इतना कुछ सहकर आगे बढ़े हैं।” मनोज ने यह भी कहा कि अनुराग कश्यप ने भी अपनी यात्रा में बहुत कुछ सहा और झेला है।

पिछले साल, ह्यूमैन्स ऑफ बॉम्बे पॉडकास्ट में मनोज बाजपेयी ने अनुराग कश्यप के साथ हुए मतभेद पर खुलकर बात की थी। मनोज ने कहा था, “एक बात को लेकर गलतफहमी हो गई थी, और हमने इस पर बात नहीं की। अब सोशल मीडिया पर यह इतना बड़ा मुद्दा बन गया है कि कभी-कभी तब शर्मिंदगी होती है, जब बातें और बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं। हमने बात इसलिए नहीं की क्योंकि मुझे लगा कि वो मेरी तरह की फिल्में नहीं बना रहे हैं और उन्हें भी लगा कि उस वक्त मनोज बाजपेयी की जरूरत नहीं है, क्योंकि मेरा करियर नीचे जा रहा था। इसलिए दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में मस्त थे। उन्हें मेरी जरूरत नहीं थी और मुझे उनकी।” उन्होंने यह भी बताया कि कई सालों तक बात न करने के बाद, दोनों के बीच की खाई तब खत्म हुई जब अनुराग कश्यप ने उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर: पार्ट 1’ में मुख्य भूमिका ऑफर की।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...