Oscar Award 2023: भारतीय सिनेमा के लिए यह साल काफी अच्छा रहा है क्योंकि भारत की ओर से इस बार ऑस्कर की बेस्ट फॉरन फिल्म की श्रेणी के लिए 4 फिल्में भेजी गई थीं जिनमें से केवल ‘छेल्लो शो को ही आधिकारिक रूप से भेजा गया था। वहीं राजामौली की आरआरआर, शॉनक सेन की डॉक्युमेंट्री फीचर फिल्म ऑल दैट ब्रीथ्स और गुनीत मोंगी की द एलिफेंट विस्पर्स भी ऑस्कर में भेजी गई थीं। जिनमें आरआरआर के नाटू नाटू और गुनीत मोंगा की द एलिफेंट व्हिस्पर को ऑस्कर मिला।
ऑस्कर अवार्ड जिसे अकैडमी अवार्ड भी कहते है, एक अमेरिकी अवार्ड्स समारोह है, जो ‘अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एवं साइंस (्ररूक्क्रस्) द्वारा हर साल आयोजित किया जाता है। अकैडमी अवार्ड की शुरुआत 16 मई 1929 को हुई थी। इसका आयोजन ‘द हॉलीवुड रोसवेल्ट होटल में संपन्न हुआ था, जो एक प्राइवेट डिनर पार्टी थी। इस आयोजन में लगभग 270 लोग शामिल हुए थे। पहला ऑस्कर अवार्ड, बेस्ट एक्टर के लिए ‘एमिल जन्निंगÓ को फिल्म ‘दी लास्ट कमांडÓ और ‘दी वे ऑफ ऑल फ्लैशÓ के लिए मिला था। इस फिल्म अवार्ड समारोह का विश्वभर के लोगों को इंतजार रहता है।
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मनोरंजन जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार ऑस्कर की घोषणा कर दी गई है। इस बार भारत की झोली में 2 आस्कर आए हैं। लंबे समय बाद भारतीय फिल्म उद्योग अवार्ड मिलने का जश्न मना रहा है। तेलुगू फिल्म ‘आरआरआर का गाना ‘नाटू-नाटू को ओरिजनल सॉन्ग के लिए ये अवार्ड दिया गया है, इस गाने को सिपिलगंज और काल भैरव ने गाया है। ये गाना इस कदर लोगों की जुबान पर चढ़ गया है कि उतरने का नाम नहीं ले रहा है। सोशल मीडिया ने इस गाने को पूरे विश्व में आग की तरह फैला दिया था। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस गाने पर सोशल मीडिया पर रील्स ना बनाया हो। ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट होने वाला यह भारत का पहला गाना है।
ऑस्कर अवॉर्ड नाइट में जैसे ही इस गाने को ऑस्कर दिए जाने की घोषणा हुई, लोग झूम उठे। आपने इसके बारे में तो बहुत कुछ सुन लिया लेकिन आईये जानते हैं ‘नाटू-नाटू का हिंदी में अर्थ किया है।
नाटू मतलब है नाचना। इस गाने में कई अलग-अलग लोगों के नाचने के उदाहरण देते हुए बताया गया है कि उसकी तरह नाचिए। जैसे लोकदेवता के किसी फेस्टिवल लीड डांसर नाचते हैं, जैसे बच्चे बरगद के पेड़ के नीचे नाचते हैं।
अब बात करते हैं शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्ड की जिसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का ऑस्कर दिया गया है। इसे गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है। ऑस्कर तक इस फिल्म का पहुंचना और अवार्ड मिलना सभी भारतवासियों के लिए गौरव का क्षण रहा। यह डॉक्यूमेंट्री तमिलनाडु के निवासी बोमन और बेली के जीवन पर आधारित है, जो हाथियों के बीच रहते हैं और उनकी देखभाल करते हैं। अब बोम्मन और बेल्ली ने एक बार फिर अनाथ हाथी के बच्चे की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया है। पूरी फिल्म मनुष्य, प्रकृति और जानवर के प्रेम और एकाकार होने की कहानी है। ये फिल्म वात्सल्य प्रेम को भी दिखाता है। इस फिल्म को कई फेस्टिवल में इस प्रदर्शित किया गया था, जिस वजह से ये काफी चर्चा में रही थी।
प्रियंका चोपड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पर स्टोरी साझा की थी, जिसमें उन्होंने एस पोस्टर शेयर किया था। उन्होंने लिखा था- भावनाओं से भरी दिल को छू लेने वाली डॉक्यूमेंट्री, मैंने हाल ही में देखी है बहुत अच्छी लगी है। इस अद्भुत कहानी को जीवंत करने के लिए कार्ति गोंसाल्विस और गुनीत मोंगा को बहुत बहुत धन्यवाद।
इससे पहले भारत के इन फिल्मों को मिला है ऑस्कर

1. भानु अथैया ने जीता कॉस्टयूम डिजाइन अवॉर्ड- गांधी 1983
2. रसूलु ल पुकुटी स्लमडॉग मिलेनियर- साउंड मिक्सिंग-2008
3. एआर रहमान, स्लमडॉग मिलेनियर- ओरिजनल सॉन्ग-2008
4. जय हो सॉन्ग को मिला ऑस्कर-2008
हर भारतीय के मन में एक सवाल जरूर कौंधता है कि कोई भी भारतीय फिल्म ऑस्कर क्यों नहीं प्राप्त कर पाती है इसके बारे में जवाब कर देते देते हुए कहा कि फिल्म मेकर आशीष दुबे ने कहा कि हमारे यहां जो फिल्में बनती हैं, ‘उनका विषय उसका विषय अंतर्राष्ट्रीय स्तर को छूने वाला नहीं होता है और जनमानस को उस तरह से प्रभावित नहीं कर पाती। भारतीय फिल्म ये सोच कर नहीं बनाई जाती कि इन्हें ऑस्कर ही पाना है। उनका उद्देश्य केवल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बटोरना होता है। यहां हर महीने फिल्में बन जाती है कि लेकिन हॉलीवुड साल में एक फिल्म बनाता है और उस पर जी तोड़ मेहनत करता है।
ऐसा नहीं है कि भारत में अच्छी फिल्में नहीं बनती हैं लेकिन उनकी मार्केटिंग उस तरीके से नहीं हो पाती जिस तरह से होनी चाहिए। फिल्म ‘आरआरआर की सफलता का पूरा श्रेय मार्केटिंग को ही जाता है। फिल्म के निर्देशक राजमौली ने अपनी फिल्म ‘आरआरआर को अमेरिका में जाकर रिलीज किया और वहां की जनता को इस फिल्म को देखने के लिए प्रोत्साहित किया। आशीष के मुताबिक, निर्देशक ने अपनी फिल्म ऑस्कर कमेटी को भी दिखाई।
आसान भाषा में कहें तो राजमौली ने अपनी फिल्म को ऑस्कर दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगाया।
ऐसी फिल्में जिनको नहीं मिला ऑस्कर
अपूर संसार, गाइड, सारांश, नायकन, परिंदा, अंजलि, हे राम, देवदास, हरिचन्द्रा फैक्ट्री, बर्फी और कोर्ट, मदर इंडिया, सलाम बॉम्बे, लगान।
ये फिल्में भी रही ऑस्कर में हिट
द बॉय, द मोल, द फॉक्स एंड द हॉर्स
कहानी- द इलेस्ट्रेटर चार्ली मेकर्स ने लॉकडाउन के दौरान कुछ चित्र बनाए थे उसी पर ये शॉर्ट फिल्म बनी है।
द व्हेल
इस फिल्म के अभिनेता ब्रेंडन फ्रेजर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया है। धर्म, बाप-बेटी का प्यार, जीवन, मृत्यू-मृत्यु, अमेरिकी पॉलिटिक्स और पूंजीवाद जैसे विषय को समझ सकते हैं।
ऑल क्वाइट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट
इस फिल्म को 4 ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया है। युद्ध पर आधारित इस फिल्म का सिनेमैटोग्राफी के लिए भी देख सकते हैं।
टॉप गन मैचरिक
यह फाइटर पायलट की कहानी है। टॉम क्रूज की ये पहली ऐसी फिल्म है जिसने बिलियन डॉलर में कमाई की है।
‘एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वंस
सात ऑस्कर अपने नाम करने वाली ये फिल्म कई ब्रह्मïांड की कहानियां आपको दिखाती है। इस फिल्म से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
ब्लैक पैंथर
अगर आप विजुल्स की समझ रखते हैं और इसका पहला पार्ट देखा है तो इसे आप जरूर देखना चाहेंगे।

अवतार: दे वे ऑफ वॉटर
इस फिल्म में कई ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसे देखकर आप अचंभित हो जाएंगे।
पिनोकियो
लकड़ी की एक कठपुतली को गढ़ने वाली कलाकार और उस कठपुतली के बीच की बॉन्डिंग की कहानी को इसमें दर्शाया गया है। यह फिल्म बच्चों को काफी पसंद आएगी।
ऐसा नहीं है कि भारत में अच्छी फिल्में नहीं बनती हैं लेकिन उनकी मार्केटिंग उस तरीके से नहीं हो पाती जिस तरह से होनी चाहिए। फिल्म ‘आरआरआर की सफलता का पूरा श्रेय मार्केटिंग को ही जाता है।
