Diljit Dosanjh in Met Gala
How Shakira Helped Diljit Dosanjh in Met Gala to Carry His Kirpan in Event

Overview: जब आस्था और दोस्ती ने फैशन के मंच पर लिखी एक नई कहानी

मेट गाला 2025 सिर्फ एक फैशन इवेंट नहीं रहा, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक पल का गवाह बना। दिलजीत दोसांझ की आंखों से छलकते आंसू उस जीत के प्रतीक थे, जो उन्होंने अपने धर्म और परंपरा के सम्मान के लिए पाई।

Diljit Dosanjh In Met Gala: मेट गाला फैशन और ग्लैमर का सबसे बड़ा मंच माना जाता है, लेकिन इस साल एक भावुक पल ने सबका ध्यान खींचा। दिलजीत दोसांझ, जो अपने सिख पहचान के साथ पहली बार इस इंटरनेशनल इवेंट में शामिल हुए, उस वक्त अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके जब उन्हें अपने कृपाण के साथ एंट्री की इजाज़त मिली। इस इजाज़त के पीछे जिस इंसान ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई, वो थीं ग्लोबल आइकन शकीरा। आइए जानें क्या था वो पल जिसने दिलजीत को मेट गाला में रुला दिया और कैसे शकीरा बनीं उनकी ताकत।

मेट गाला में दिलजीत की मौजूदगी बनी इतिहास

दिलजीत दोसांझ मेट गाला जैसे ग्लोबल इवेंट में पारंपरिक पंजाबी और सिख अंदाज़ में पहुंचे। उनका पहनावा जितना स्टाइलिश था, उतना ही गर्व से भरा था। लेकिन उनके लिए सबसे ज़्यादा अहम थी उनकी कृपाण, जो उनके धर्म और आस्था का प्रतीक है।

सुरक्षा नियमों ने खड़ी की बड़ी चुनौती

मेट गाला की सिक्योरिटी टीम ने शुरुआत में साफ कह दिया था कि कृपाण को साथ ले जाना सुरक्षा नियमों के खिलाफ है। ये दिलजीत के लिए बेहद तकलीफदेह था, क्योंकि बिना किरपाण के जाना उनकी पहचान के साथ समझौता होता।

शकीरा ने की दिल से मदद, निभाई इंसानियत

इसी दौरान शकीरा को इस स्थिति के बारे में पता चला। उन्होंने न सिर्फ दिलजीत की बात सुनी, बल्कि मेट गाला के आयोजकों से बातचीत कर उनकी आस्था को सम्मान दिलाने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कृपाण को धार्मिक स्वतंत्रता के तहत देखने की अपील की।

मिल गई इजाज़त: परंपरा और ग्लैमर का अद्भुत संगम

शकीरा की इस पहल का असर हुआ और आयोजकों ने दिलजीत को कृपाण पहनने की अनुमति दी, बशर्ते कि वह उसे पारदर्शी केस में रखेंगे और सुरक्षा टीम को पहले से जानकारी देंगे। इसके बाद दिलजीत ने मेट गाला में अपने खास अंदाज़ में एंट्री की, जहां उनकी परंपरा और ग्लैमर दोनों का अद्भुत मेल देखने को मिला।

भावुक हो गए दिलजीत, भर आईं आंखें

जब आयोजकों ने शकीरा की पहल पर विचार कर कृपाण रखने की अनुमति दी, तो दिलजीत खुद को रोक नहीं पाए। उनकी आंखों में आंसू थे—क्योंकि वो सिर्फ एक कलाकार नहीं, अपने धर्म और संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

सोशल मीडिया पर छाया यह पल

मेट गाला के इस पल ने सोशल मीडिया पर खूब वाहवाही बटोरी। लोग शकीरा की समझदारी और दिलजीत की आस्था के सम्मान की तारीफ करते नहीं थके। सिख समुदाय में इसे एक गर्व का क्षण माना गया, जब एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी पहचान को मान्यता मिली।

सांस्कृतिक स्वीकार्यता की मिसाल बना मेट गाला 2025

इस पूरे वाकये ने साबित कर दिया कि जब मंच बड़ा होता है, तो जिम्मेदारी भी बड़ी होती है। दिलजीत और शकीरा ने मिलकर दिखाया कि संस्कृति, आस्था और फैशन साथ-साथ चल सकते हैं—अगर थोड़ा दिल से सोचा जाए।

मेरा नाम श्वेता गोयल है। मैंने वाणिज्य (Commerce) में स्नातक किया है और पिछले तीन वर्षों से गृहलक्ष्मी डिजिटल प्लेटफॉर्म से बतौर कंटेंट राइटर जुड़ी हूं। यहां मैं महिलाओं से जुड़े विषयों जैसे गृहस्थ जीवन, फैमिली वेलनेस, किचन से लेकर करियर...