हि मालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए पर्वतारोही लगातार कोशिश करते रहते हैं। पर्वतारोहियों द्वारा लगातार चोटी पर चढ़ने के कारण उसकी धवलता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। चोटी की बर्फ का सफेद रंग काला पड़ रहा है। सफेद बर्फ पर कचरे के कारण काला दाग पड़ रहा है। नेपाल के पर्यटन विभाग के महासंचालक दंडू राज घिमिरे का कहना है कि, ‘पर्वतारोहियों के लिए कुछ कड़े नियम बनाए जाने चाहिए, जिससे बर्फ के शुभ्रता पर असर न पड़े।’ एवरेस्ट यानी कचरे का ढेर ऐसी जनश्रूति न बने, इसके लिए नेपाल के सोलुखंबू जिले के पसंगलहमु ग्रामीण नगरपालिका की ओर से 45 दिनों का एवरेस्ट स्वच्छता अभियान चलाया गया। स्वच्छ एवरेस्ट अभियान के तहत 10 हजार किलोग्राम कचरा एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया। पांच हजार बेसकैप से कचरा एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया और इस अभियान के अंतर्गत कचरे के रूप में ऑक्सिजन के खाली सिलेंडर, बचा हुआ अनाज, विष्टा आदि को एवरेस्ट की सफेद बर्फ से मुक्ति दिलायी गई। पता चला है कि एक पर्वतारोही की वजह से 8 किलो कचरा एवरेस्ट पर एकत्र होता है। सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं तथा नेपाल सरकार की ओर से दी गई 2.30 करोड़ की धनराशि से एवरेस्ट का स्वच्छता अभियान संचालित किया गया। 45 दिन चले इस अभियान में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि अब एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने वालों के लिए कुछ आवश्यक दिशा निर्देश बनाए जाएंगे, जिससे भविष्य में एवरेस्ट की सफेद बर्फ कचरे के कारण काली न हो।

पचास से ज्यादा देशों ने दिया अनुदान

नेपाल में 2015 में आए भूकंप तथा वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण विश्व की सबसे बड़ी चोटी एवरेस्ट की ऊंचाई कम होने के कारण पर्वतारोही एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि चीन ने गत वर्ष एवरेस्ट के उत्तर की ओर से शिखर की ऊंचाई नापी थी, लेकिन एवरेस्ट का अधिकांश भाग नेपाल में होने के कारण उक्त नाप को अधिकृत दर्जा नहीं प्राप्त हुआ। दो साल पहले नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की ऊंचाई नापने के काम की शुरुआत की थी, उस वक्त पश्चिम बंगाल से इन शिखरों की ऊंचाई ही नापी गई। इसके बाद एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का काम ठप पड़ गया। नेपाल सरकार ने इस वर्ष फिर एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का काम हाथ में लिया। इस कार्य के लिए 50 से ज्यादा देशों ने नेपाल सरकार को अनुदान दिया है। ट्रिम्बल जीएनएसएस नामक डिवाइस की सहायता से एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का काम किया जाएगा। कहा जा रहा है कि जून माह से एवरेस्ट चोटी की ऊंचाई नापने का काम शुरू हो जाएगा और सन् 2019 के समाप्त होने से पहले एवरेस्ट की चोटी मापने का काम पूरा हो जाएगा।

जीएनएसएस क्या है?

जीएनएसएस का पूरा नाम ग्लोबन नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। जीपीएस प्रणाली जीएनएसएस प्रणाली का ही एक हिस्सा है। यह प्रणाली सबसे ज्यादा अचूक तथा विश्व के किसी भी क्षेत्र में स्थित ऊंची से ऊंची इमारत या पर्वत श्रेणी की ऊंचाई नाप सकती है। इस प्रणाली पर आधारित विशेष यंत्र बनाने का काम ट्रिंबल नामक संस्था कर रही है और पिछले तीन दशकों से यह संस्था इस व्यवसाय में है। नेपाल सरकार ने भी इस जीएनएसएस प्रणाली पर भरोसा जता कर एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का निर्णय लिया है। जिन्हें इस बात की उत्सुकता है कि एवरेस्ट की चोटी अपनी पूर्व स्थिति में है या उसकी ऊंचाई घटी है, इसके लिए उन्हें 2019 के समाप्त होने तक इंतजार करना होगा। एवरेस्ट चोटी स्वच्छता तथा ऊंचाई घटने की बात खासी चर्चाओं में रही, अब देखने की बात यह होगी कि एवरेस्ट की चोटी बर्फ की पहले जैसी सफेदी बरकरार रहती है या फिर उस पर कचरे का ढेर फिर से लगता है।

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