Sridevi Birthday: बॉलीवुड की सुपरस्टार श्रीदेवी का आज बर्थडे है। वह आज भले ही इस दुनिया में नहीं है। लेकिन अपने अभिनय के बल पर वह जिंदा रहेेंगी आज भी और आने वाले कल भी।
कुछ ऐसा काम कर जाते हैं लोग
बहुत कम लोग अपने जीवन में कुछ ऐसा काम कर पाते है कि वह मरकर भी लोगों के दिलों में अपने योगदान की वजह से याद रह जाते हैं उनमें से एक नाम श्रीदेवी का भी है। प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने तमिल फिल्म से अपने करिअर की शुरुआत की। वहीं बॉलीवुड में उनकी एक एंट्री हिम्मतवाला के साथ हुई। निजी जीवन की बात करें तो उनका एक छोटा सा सुखी संसार था। जहां उन्हें बेहद प्यार करने वाले पति बोनी कपूर और उन पर अपनी जान छिड़कने वाली दो बेटियां खुशी और जाह्नवी कपूर हैं। वह बॉलवुड का ऐसा नगीना थीं जो बॉलीवुड के आसमान पर चांदनी की तरह छा गईं
‘सदमा’ की वह मासूम सी लड़की
1983 में आई सदमा मूवी श्रीदेवी और कमल हासन की एक बेहतरीन फिल्म है। फिल्म में उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया था जो क अपनी याद्दाश्त भूल जाती है और अपने टीचर के घर जाकर रहने लगती है। लेकिन जब उस लड़की की याद्दायत वापस आ जाती है वह कमल हसन को छोड़कर अपनी दुनिया में लौट जाती है। फिल्म में श्रीदेवी के हावभाव कमाल के थे। इस फिल्म की स्टोरी तो लोगों को पसंद आई थी। लेकिन उसका एंड हैप्पी नहीं था जो दर्शकों के साथ उनकी बेटी जाह्नवी को भी पसंद नहीं आया था। जाह्नवी ने यह फिल्म तब देखी थी जब वह छह साल की थीं। आप कितनी गंदी हो मम्मा आपने उन्हें क्यों छोड़ा?
चांदनी में वह रूप
1983 में आई श्रीदेवी और कमल हासन ने की फिल्म ने बाॅक्स पर कमाल कर दिया था। इसमें श्रीेवी ने नेहालता नाम की एक ऐसी लड़क का करदार निभाया था जो कि अपनी याद्दाश्त भूल जाती है और एक छोटी सी बच्ची की मानिंद बन जाती है। वह अपने टीचर के घर जाकर रने लगती है। इस रोल में श्रीदेवी की मासूमियत उनके फैंस को काफी पसंद आई थी। फिल्म का अंत लोगों को अच्छा नहीं लगा था। याद्दाश्त आने के बाद वह अपने जीवन में वापिस चली जाती है। लोग एक हैप्पी एंड की उम्मीद कर रहे थे।
चांदनी में वह रूप
80 के दशक में एक और फिल्म आई थी जिसका नाम था चांदनी। फिल्म में उनके अपोजिट ऋषि कपूर थे। इस फिल्म में उनकी खूबसूरती अपनी पराकाष्टा पर नजर आई थी। फिल्म के गाने मैं ससुराल नहीं जाउंगी, मेरे हाथाे में नौ-नौ चूडि़या हैं वो नंबर बने थे जो बहुत बड़े हिट साबित हुए। इतने हिहट हुए कि उस दौर में महिला संगीत में ढोलकी की थाप पर यह गाने गाए जाने लगे। यह वो गाने बने जिनके बिना शादी अधूरी थी। इस फिल्म में उनका नाम चांदनी था वह सचमुच में चांदनी ही नजर आई थीं। यह फिल्म श्रीदेवी के करिअर के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
इंग्लिश-विंग्लिश की शशि
यह फिल्म श्रीदेवी की एक कमबैक फिल्म थी। उनके फैंस को बेसब्री से पर्दे पर देखने का इंतजार था। फिल्म में उनका किरदार और स्टोरी दोनों ही बहुत मजबूत थी। इसमें उन्होंने एक ऐसी महिला शशि का किरदार निभाया था जो कि एक बिजनेस वुमन है। लेकिन उसके साथ दुविधा यह थी कि उसे अंग्रेजी अच्छी नहीं आती थी। इस वजह से उसकी टीनएज बेटी और उसके पति उसे बहुत ज्यादा इम्पोर्टेंस नहीं देते थे। उसके जीवन में कुछ ऐसा इतेफाक होता है कि वह अमेरिका जाती है अपनी बहन की बेटी की शादी में और वहां पर इंगिलश सीखती है। यह फिल्म एक औरत की जीत की कहानी थी। इसमें श्रीदेवी ने कहीं न कहीं हिंदुस्तानी औरत के मर्म को छुआ था। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे समाज में बहुत महिलाओं को उनके अपने ही परिवार के लोग पीछे करते हैं।
मॉम की वह मां
इस फिल्म में वह एक मां के साथ एक टीचर के किरदार में नजर आई थीं। वह बायोलॉजी की टीचर देवकी थीं। उनकी सौतेली बेटी का मर्डर हो जाता है। वह उसे इंसाफ दिलवाने के लिए बहुत कुछ करती है। फिल्म में उनका किरदार बेहद सशक्त था। यह फिल्म उनके करिअर की आखिरी फिल्म रही।
श्रीदेवी जी आप एक सुपरस्टार हैं और रहेंगी। आज जहां भी हैं गृहलक्ष्मी की ओर से बर्थडे की बधाई स्वीकार करें। आप खुश् रहें और आपके फैंस आपकी फिल्में देखकर ऐसे ही खुश होते रहेंगे।